कहानी का पांचवा भाग : hardcore chudai ki dastan
जब जतिन मेरे पूरे नंगे बदन को ऊपर से नीचे तक प्रशंशा भरी नज़रों से देख रह थे,
तब मैंने कुछ शरारत भरी नज़रों से अपना एक होंठ दांतों के नीचे दबाते हुए मुस्कुरा कर पूछा, (chudai ki dastan xxx)
“जब मैं पानी में डूब रही थी, और मुझे बचाते हुए आपके हाथों से अफरा-तफरी में मेरी पैंटी निकल गयी, तब आपको तो पूरा मौक़ा था कि पूल में ही आप अपनी मंशा पूरी कर लेते।”
मैंने जतिन की निक्कर के ऊपर से उनके लंड को अपनी उंगलियों में पकड़ कर सहलाते हुए कहा, “मैं जब नंगी आपकी कमर से चिपक कर लिपट गयी थी, तब अगर आप चाहते तो अपनी निक्कर हटा कर उसी समय सब कुछ कर लेते, और मैं कुछ भी नहीं कर पाती, और आप को रोकती भी नहीं। उस समय आपका यह तो अगर निक्कर में ना होता तो मेरे में घुसने वाला ही था।”(chudai ki dastan xxx)
यह कहते हुए मैंने कुछ देर जतिन को कुछ देर मेरे नंगे बदन को निहारने दिया। फिर झुक कर जतिन की निक्कर नीचे खिसका दी, जिसे जतिन ने पांव हिला कर नीचे गिरा दी, और उसे फर्श से उठा कर मेरी पैंटी और ब्रा के साथ रख दिया। जतिन की निक्कर से आजाद होते ही जतिन का महाकाय लंड, जैसे कोई मदारी की टोकरी में गोल-गोल चक्कर बन कर रखा हुआ सांप बाहर निकलते ही अपना लंबा असली रूप धारण कर लेता है, ठीक वैसे ही जतिन का लंड भी फुर्ती से एक-दम कड़क तना हुआ सख्ती से सीधा खड़ा हो गया। उसे देखते ही मेरी चीख निकल गयी। इतना लंबा, इतना मोटा और इतना गोरा लंड?
मैंने उससे पहले कई लंड देखे थे। काले गोर, छोटे, मोटे, लम्बे, पतले वगैरह-वगैरह। पर इतना लम्बा, इतना मोटा, और इतना गोरा चिट्टा लंड उससे पहले मैंने नहीं देखा था। जब उस लंड को मैंने निक्कर में छिपा हुआ एक आकार के रूप में ही देखा था, तब मुझे उसके कद अथवा लम्बाई मोटाई का कुछ थोड़ा सा अंदाजा ही था। मैंने स्विंमिंगपूल में भी जतिन के लंड को मेरी चूत में कोंचते हुए और उसमें घुसने की कोशिश करते हुए महसूस किया था। उस टाइम भी मैं कुछ हद तक उसकी मोटाई को भांप रही थी।(chudai ki dastan xxx)
पर जब मैंने मेरी आंखों के सामने जतिन के लंड को एक मोटे नाग की तरह निक्कर में से आजाद हो कर बाहर निकल पड़ा तब उसे देख मैं वाकई में चौंक गयी। एक-दम कड़क, सख्त कम से कम 8 इंच से भी शायद कुछ और लंबा और अंगूठा और तर्जनी उंगली की पकड़ में भी आसानी से ना समा पाए, उतना मोटा और देखने में अतिशय गोरा चिट्टा लंड देखा तो वाकई में मेरी उत्तेजना और आतंक के मारे चीख निकल गयी।
मैंने पहले जतिन के लंड की ओर देखा और फिर जतिन से आंखें मिला कर बोली, “कुछ खा कर आये हो क्या? यह इतना बड़ा, मोटा, इतना ज्यादा लम्बा और इतना सख्त कैसे है? इस मेरे अंदर डाल कर मेरी फाड़ कर मुझे मार डालने का इरादा है क्या?”(chudai ki dastan xxx)
मैंने जतिन से लंड की शिकायत तो कर ली, पर उसके लंड को देख मैं पागल सी हो गयी थी।
जतिन का लंड मेरे लिए सुंदरता का एक अद्भुत नमूने जैसा था। उसकी लम्बाई, मोटाई और लोहे की तरह सख्ताई के अलावा उसका गोरापन और उसका अनूठा आकार बहुत ही ज्यादा आकर्षक था। लंड पर हर तरफ फैली हुई हलके नीले रंग की फूली हुई नसें, लंड के छिद्र में रिस रहा चिकनाहट भरा पूर्व रस, और लंड का ऊपर की तरफ मोड़ उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता था। जतिन के पूरे कसरती बदन की सख्ताई तब मैंने महसूस की। उसके लम्बे मजबूत बदन से जतिन का लंड बिल्कुल जच रहा था।(chudai ki dastan xxx)
जतिन ने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर हलके से हिलाते हुए मुस्कुरा कर कहा, “अगर मुझे पता होता कि तुम सी हसीना आज मुझे इस तरह मिलने वाली थी, तो मैं जरूर कुछ खा कर आया होता। पर तुम तो भगवान के वरदान सी अचानक ही मुझे रस्ते में टकराती हुई मिल गयी, और मुझे कुछ लेने का मौक़ा भी नहीं दिया। काश मुझे पता होता तो मैं कुछ खा लेता।”
मैंने कहा, “अरे बाप रे! जतिन जब तुमने कुछ खाया नहीं तब यह साला ऐसा है, तो अगर तुम खा लेते तो पता नहीं कैसा होता? नहीं रे बाबा यह ही काफी है। इसी को कैसे अंदर ले पाउंगी, यह सवाल मुझे खाये जा रहा है। खैर, यार जो भी हो यह है बड़ा प्यारा।”(chudai ki dastan xxx)
जतिन ने भी मेरे सुर में सुर मिला कर कहा, “बेबी यह जैसा भी है, आज यह है बिल्कुल तुम्हारा।”
मैंने थोड़ा झुक कर जतिन के लंड को मेरी हथेली में पकड़ ने का प्रयास किया। हालांकि मेरी मुट्ठी में वह समा नहीं पाया, पर फिर भी मैंने जतिन के लंड को एक हाथ में पकड़ा और उसकी अग्रभाग की त्वचा को मेरी मुट्ठी में दबा कर उसे ऊपर नीचे हिलाने लगी। जतिन के बदन की खुशबु तब तक मेरे ज़हन में बस चुकी थी। जतिन के लंड की भी एक अलग सी खुशबु मैं महसूस कर रही थी। इतना खूबसूरत लंड देख कर मैं अपने आप पर नियंत्रण रख नहीं पायी, और बाथरूम में अपने घुटनों के बल बैठ कर मैंने जतिन के लंड का मोटा टोपा मेरे होंठों के बीच लिया, और जतिन के लंड में से रिस रहे रस को मैं अपनी जीभ से चाटने लगी।(chudai ki dastan xxx)
जतिन का लंड इस तरह अपनी खातिर होते हुए देख कर और भी सख्त हो गया। जिस तरह से जतिन का लंड टोपे के पास से ऊपर की और मुड़ता हुआ दिख रहा था, वैसा लंड उससे पहले मैंने सिर्फ वीडियो में ही देखा था। मुझे हमेशा ऐसे लंड से चुदने की एक छिपी हुई तमन्ना थी।
जब यह मेरी चूत में जाएगा, तब मेरा क्या हाल होगा यह सोच कर ही मैं कांप रही थी। पर अब जब मैं नंगी हो कर नंग-धड़ंग जतिन के सामने खड़ी थी, तो यह तो तय था कि मैं उस शाम जरूर इसी लंड से चुदने वाली थी। जब ओखल में रख दिया सर तो मुसल से क्या डरना? तब तक मैं कम से कम दस से ज्यादा ही लंड से चुद चुकी थी। जो होगा देखा जाएगा यह सोच कर मैंने अपने मन को शांत किया।(chudai ki dastan xxx)
सबसे पहले उस महाकाय लंड को मेरे हाथ में और मेरे मुंह में तो अच्छे से मैं परख लूं फिर चूत में भी ले लूंगी। मुझे अच्छे लंड चूसने का बड़ा ही शौक है। मेरे पति भी मेरी इस कला की निपुणता से बड़े प्रसन्न हैं। जब मैं अच्छे मूड में होती हूं और उनका लंड बड़ी शिद्दत से चूसती हूं, तो अक्सर वह मेरे मुंह में ही झड़ जाते हैं। उनकी आह… निकल जाती है।
जैसे ही मैंने जतिन के लंड का टोपा मेरे मुंह में लिया और उसे चूसने लगी, तो जतिन भी मेरे लंड चूसने की कला से अभिभूत हो गए। उनके मुंह से भी अजीबो-गरीब आवाजें निकलने लगी। मुझे डर लगा कि अगर जतिन भी कहीं मेरे मुंह में ही झड़ गए तो गड़-बड़ हो जायेगी। पर साला जतिन का लंड ही ऐसा था कि मैं क्या करती?(chudai ki dastan xxx)
उसको मुंह में लेने के बाद मैं भूल गयी कि इसी लंड से मुझे चुदना भी था। जतिन के लंड की खुशबु बड़ी ही मादक थी। उसकी खुशबु से ही मेरा अंग-अंग रोमांच से भर गया। जैसे-जैसे मैं जतिन का लंड चूसती मुझे और मजा आता और जतिन को भी।
जतिन खड़े-खड़े उसका लंड मेरे मुंह में धकेलते और फिर वापस खींच लेते।
उन्होंने तो तभी मुझे चोदना शुरू कर दिया था। मैं खुद हैरान रह गयी कि जतिन का इतना बड़ा लंड मैंने कब और कैसे मेरे मुंह में ले लिया। मुझे जतिन के लंड चूसने की धुन में यह होश भी नहीं रहा कि जतिन का लंड कई बार मेरे गले के अंदर तक घुस जाता था, और मुझे बेचैन कर देता था।(chudai ki dastan xxx)
जैसे जतिन का लंड बाहर निकलता तो मैं उसे ठीक से देखती और मेरे मुंह की लार से उसको बहुत अच्छे तरीके से लपेटती। मुझे उसे इतना चिकना करना था कि जब वह मेरी चूत के मुख्य द्वार से मेरी चूत में घुसे तो सरक जाए और मुझे कम से कम दर्द दे।
कुछ देर तक जतिन ने अपना लंड मुझे चूसने देने के बाद मुझे खड़ा किया,और बोला, “चलो, मुझे तुम्हें नहलाना है यार।” यह कह कर जतिन ने नीचे झुक कर मेरी चूत को चुम्मी दी, और फिर खड़े हो कर मेरे दोनों स्तनों को बारी-बारी से मुंह में ले कर चूसने लगे। मेरी निप्पलों को मुंह में जीभ से पकड़ कर कभी जोर से ऐसे चूसते जैसे वह उन्हें खा जाना चाहते हो।
जतिन शायद यह सोच कर कि उन्हें प्रियंका दीदी को लेने के लिए पूल जाना है, इस लिए जल्दी-जल्दी सब करना चाहते थे। मुझे मेरे सारे बदन पर साबुन लगा कर जतिन ने मुझे अच्छे से नहलाया। नहलाते हुए जब भी उन्हें मौक़ा मिलता वह मेरे स्तनों, गांड और चूत के उभार से खेलना नहीं चूकते थे। मुझे फिर रैक पर रखे तौलिये से पोंछा और उसी तौलिये से खुद को पोंछ कर मुझे नंगी ही अपनी बांहों में उठा कर कमरे में ले जा कर मुझे पलंग पर लिटा दिया।(chudai ki dastan xxx)
मेरी दोनों टांगों को अपने कन्धों पर रख कर जतिन मेरी चूत को चाटने लगे। जतिन की जीभ उस दक्षता से मेरी चूत को चाट रही थी, कि मेरा वैसे ही रिस रहा स्राव तेजी से बढ़ने लगा। मेरी चूत के भगशिश्न (क्लाइटोरिस) को बार बार जतिन अपनी जीभ की नोंक ऐसे कुरेद रहे थे कि मैं जतिन से चुदवाने के लिए बेबस हो रही थी।
जतिन शायद मुझे मादकता की चरम पर ले जाना चाहता थे। उन्हें क्या पता था कि मैं पूल में और उनके कमरे में भी एक-एक बार झड़ चुकी थी। उन्होंने अपने मुंह में अपनी दो उंगलयों को डाला, उन्हें अच्छी तरह से अपने मुंह की लार से लपेटा, और और फिर वह उंगलियां मेरी चूत में डाल दी। मेरी चूत में उंगलियां जाते ही मैं पलंग के ऊपर बल खा कर इधर-उधर करवटें लेने लगी। मुझे मेरी चूत में उंगली डालने से पता नहीं क्या हो जाता है। मैं अपना होशोहवास खो बैठती हूं।(chudai ki dastan xxx)
उस समय उंगली डालने वाला मर्द मुझसे जो चाहे करवा सकता है। जतिन को मेरे बल खाने से और उस तरह मचलने से मेरी यह कमजोरी का पता लग गया होगा। वैसे भी जिस तरह जतिन मुझे अपनी कामुक हरकतों से नचा रहे थे, मुझे कोई शक नहीं था कि वह औरत की हर कमजोरी और कामवासना के आतुरता के संकेत समझने में पूरी तरह माहिर थे। कोई शक नहीं कि वह मेरे से पहले कई औरतों को चोद चुके होंगे।(chudai ki dastan xxx)
तब मुझे लगा कि अब मेरा धीरज जवाब दे रहा था। जतिन का इतना तगड़ा मुझे आतंकित कर देने वाला, पर फिर भी प्यारा लंड भले ही मेरी छोटी सी चूत को फाड़ दे, पर मेरे सर पर उस लंड से चुदने का भूत सवार हो चुका था। सच देखा जाए तो मैं खुद चाहती थी कि जतिन मुझे ऐसे चोदे, ऐसे चोदे की चुदने के बाद भले ही मैं चल ना पाऊं या मेरी चूत सूज जाए, पर जतिन रुके बगैर मुझे चोदते ही रहे।
मैंने जतिन का हाथ थाम कर कहा, “भले आदमी, इसमें डालना ही है तो अपना वह डालो ना यार। उंगलियां डालने से मेरा काम नहीं चलेगा। अब बस करो और मेरे अंदर डालो इसे। अब आगे जो होगा देखा जाएगा। मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती।“(chudai ki dastan xxx)
कहानी का सातवां भाग : hot chudai ki dastan
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