हेलो दोस्तों मैं आदित्य, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “लॉकडाउन में बुआ की गांड चुदाई का मजा-xxx bua ki gandmari” यह कहानी शहीद की है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।
दोस्तो,
मेरा नाम शहीद है.
मैं 20 साल का हूँ.
मेरी बुआ का नाम सुमन है. वे बहुत सेक्सी व हॉट हैं. उनका फिगर 34DD-30-36 का है.
बुआ फूफा जी के साथ नोएड में रहती हैं. जबकि मेरा गांव फ़ैज़ाबाद जिले में है. xxx bua ki gandmari
आज मैं अपनी देसी बुआ गांड चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ
पिछले साल लॉकडाउन से पहले मैं गांव गया था, तभी लॉकडाउन लग गया था.
उन दिनों मेरी बुआ भी गांव में ही थीं.
यह उस दिन की बात है, जब मेरी बुआ गांव आई थीं.
मैंने ही उन्हें सबसे पहले देखा था.
उनके घर में आते ही मैंने उन्हें नमस्ते किया.
बुआ ने मुझे अपने सीने से लगा लिया. xxx bua ki gandmari
उनके सीने की नर्मी से कलेजा हिल गया; उनके ठोस दूध मेरे सीने में गड़ से गए.
मुझे बेहद सुखद लगा और लंड में झनझनी सी आ गई.
एक दो पल के इस मीठे अहसास से मेरे जवान लंड ने एकदम से उठ कर बुआ की टांगों के बीच में फन मारा तो बुआ ने मुझे अलग कर दिया और मेरी आंखों में देखती हुई मुस्कुरा दीं.
मैं झेंप गया और बुआ का सामान लेकर अन्दर वाले कमरे में रखने लगा.
बुआ सबसे बातचीत करने लगीं.
उसके बाद लॉकडाउन लग गया तो सब कुछ बदल गया.
यूं ही दिन बीतते गए.
एक दिन घर पर कुछ कार्यक्रम था. xxx bua ki gandmari
गाँव का माहौल था तो लॉकडाउन में भी किसी तरह से आस पास के गांवों से सब रिश्तेदार आ गए थे.
मेरी बुआ की बहुत जमती थी. हम दोनों खूब मस्ती करने लगे थे.
उस रात सोने के लिए घर में जगह कम पड़ गई थी.
मैं, बुआ, मेरी चाची की बेटी हम सब एक ही कमरे में सो गए.
बुआ और चचेरी बहन बगल में एक खाट पर सो गई थीं.
मैं पलंग पर लेटा था.
मुझे उस दिन बुआ के चुचो का अहसास करके लंड हिलाने का बहुत मन कर रहा था.
मैंने पॉर्न देख कर मुठ मारी और स्पर्म गद्दे पर गिरा दिया.
गद्दे पर माल के दाग पड़ गए.
सुबह हुई.
बुआ ने गद्दे पर देखा और बोलीं- यह क्या है … किस चीज़ का दाग है.
मैं कुछ नहीं बोला.
लेकिन बुआ शायद समझ गई थीं.
अब हम लोग टीवी देख रहे थे. xxx bua ki gandmari
बुआ लेटी थीं, उनके पैर बेड के नीचे लटक रहे थे.
मेरी बुआ उल्टी लेटी थीं.
मैंने बुआ की गांड पर सर रख दिया.
वे कुछ नहीं बोलीं.
इतना हम दोनों के बीच चलता था.
मेरी बुआ हंस कर बोलीं- देखते रहना, कहीं गैस न निकल जाए!
मैं एक बार तो उठ गया और उनकी गांड पर हल्के से एक थप्पड़ मारा.
मेरी बुआ उन्ह बोलीं और हंसने लगीं.
शाम को मैं और बुआ एक साथ बेड पर लेटे थे.
मैं सोने का नाटक कर रहा था.
बुआ टीवी देख रही थीं.
मैं करवट लेकर बुआ से सट गया.
मेरा लंड बुआ की गांड की दरार में लग रहा था.
बुआ की गांड कुछ कुछ हिलने लगी थी. xxx bua ki gandmari
उससे मेरा हथियार खड़ा होने लगा.
उसी वक्त मुझे बुआ के चुचो की फिर से याद आ गई और मेरा लंड एकदम कड़क हो गया.
बुआ को मेरे कड़क लंड का अहसास होने लगा.
उस वजह से बुआ थोड़ा आगे को हुईं तो मैं नाटक करते हुए फिर से बुआ से सट गया.
वे कुछ नहीं बोलीं.
कुछ देर में ही हम दोनों अपने अपने सामान हिलाने लगे.
बुआ गांड हिला रही थीं और उनके दोनों चूतड़ों के बीच में मेरा कड़क लंड चल रहा था.
अब जवान लंड था तो गर्मी जल्दी भड़क गई और मैं भी अपनी कमर चलाते हुए बुआ की गांड में कपड़ों के ऊपर से ही लंड पेलने लगा.
ऐसे करते करते मेरा पानी निकल गया.
सारा पानी मेरी चड्डी और पजामे में निकला था, तब भी पानी की नमी का अहसास बुआ को अपनी गांड में हो गया था.
मैं सो गया.
कुछ देर बाद मैं उठा, तो बुआ जा चुकी थीं.
मैंने कमरा बंद किया.
कपड़े उतारे और लंड को साफ किया, फिर बाहर गया.
दूसरे दिन फूफा जी आ गए थे.
रात को फूफा जी भी कमरे में थे.
मैं बुआ और चचेरी बहन खाट पर लेटी थीं. xxx bua ki gandmari
फूफा जी पलंग पर थे.
रात के एक बजे का समय हुआ था.
मैं जग रहा था.
बुआ खाट से उठीं और फूफा जी के पास आ गईं.
कुछ देर बाद दोनों में चुदाई चलने लगी.
बुआ के मुँह से धीरे धीरे ‘आ आ उः उः उः.’ निकल रहा था.
मुझे सब सुनाई दे रहा था.
मैं गर्म हो गया.
लाइट ऑफ होने की वजह से मैं सारा खेल थोड़ा थोड़ा ही देख पा रहा था.
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी बुआ को चोद दूँ, पर नहीं कर सकता था.
रात को चुदाई के बाद सब सन्नाटा छा गया. हम सब सो गए.
सुबह हुई.
मैं जल्दी 7 बजे ही उठ गया.
तब बुआ सोई हुई थीं.
फूफा जी बाहर चले गए थे. xxx bua ki gandmari
मैंने बुआ की गांड को ऊपर से सूँघा, तो मस्त महक आ रही थी.
बुआ ने लैगी पहनी थी.
मैं बस हाथ फेर कर बाहर आ गया.
दोपहर में फूफा जी वापस चले गए थे.
मैं, बुआ और चचेरी बहन लूडो खेल रहे थे.
रात हुई, तो बुआ बोलीं- शहीद तुम पलंग बाहर कर दो और खाट पर ही आ जाओ. सब मिल कर लूडो खेलते है. फिर तीनों लोग यहीं सो जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
हम सबने लूडो खेला, फिर सोने की बारी आई.
मैं बुआ के बगल में लेट गया था.
सब सो गए.
मैं बुआ की गांड पर हाथ फेर रहा था.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने अपना लंड लोवर के अन्दर से ही बुआ की गांड पर सटा दिया और उनसे चिपक गया.
मैं उनकी पीठ को भी चूम रहा था.
सुबह हुई, बुआ छत पर थीं. xxx bua ki gandmari
चचेरी बहन स्कूल गई थी.
मैं दूसरे रूम में गया, जिसमें बुआ का बैग रखा था.
मैंने उनका बैग खोला और पैंटी निकाल कर सूंघने लगा.
आह क्या मस्त महक आ रही थी.
मैंने एक हाथ से पैंटी नाक से लगाई और दूसरे हाथ से लंड की मुठ मारी.
रस झाड़ कर मैं दूसरे कमरे में आ गया.
बुआ नहाने जा रही थीं.
मैंने देखा कि बुआ आज पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि उनके हाथ में पैंटी थी ही नहीं.
उन्होंने ब्रा भी नहीं ली थी. बस लोवर और टी-शर्ट ली थी.
जब वे नहा कर सिर्फ लोअर और टी-शर्ट पहन कर निकलीं तो क्या मस्त गांड दिख रही थी.
मेरा मन कर रहा था कि दौड़ कर जाऊं और बुआ की गांड को मसल दूँ.
कुछ देर बाद दोपहर हुई तो बुआ फूफा जी से वीडियो कॉल पर बात कर रही थीं.
मैं उस वक्त उनके पीछे लेटा था.
मैं अपना फोन चला रहा था. xxx bua ki gandmari
बुआ का मुँह दूसरी तरफ था.
बुआ को वीडियो में देखने के बहाने से मैं बार बार अपना लंड बुआ की गांड को टच करा रहा था.
इससे बुआ को भी शायद मज़ा आ रहा था.
उन्होंने अपनी गांड और पीछे को कर ली.
अब मैं बुआ से सटा हुआ था.
काफी देर तक लंड की रगड़ का मजा लेने के बाद बुआ सो गईं और मैं बाथरूम में जाकर लंड हिला आया.
उसी रात को हम लोग साथ में सोने लगे.
मैं सो गया था.
अचानक रात को मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड कोई छू रहा है.
मैं समझ गया कि ये बुआ हैं.
क्योंकि दिन में लंड की गर्मी से बुआ भी गर्म हो गई थीं.
मैं चुपचाप लेटा रहा.
मैंने कुछ भी अहसास नहीं दिलाया कि मैं जाग रहा हूँ.
मैं बस मज़े ले रहा था.
बुआ कुछ देर बाद सो गईं, पर मैं गर्म हो गया था. xxx bua ki gandmari
तब रात के एक बजे का समय हो रहा था.
मैंने बुआ की चूचियों पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे उनके दूध सहलाने लगा.
बुआ मेरे हाथ के स्पर्श से शायद जाग गई थीं, पर उन्होंने कुछ नहीं बोला.
मैं समझ गया कि बुआ भी मजा लेना चाहती हैं.
तब मैं बुआ से सट गया और अपना लोवर नीचे सरका कर उतार दिया.
अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में ही था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर बुआ की गांड से सटा दिया और कड़क हो चुके लौड़े को बुआ की गांड की दरार में घिसने लगा.
बुआ को कड़क लंड से अपनी गांड रगड़वाने में मज़ा आ रहा था.
मैंने अपना हाथ बुआ की चूचियों से हटाया और उनके लोवर के पास ले गया.
मैंने बुआ का लोअर उतारने की कोशिश की.
बुआ कुछ नहीं बोलीं तो मैंने एक झटके में लोवर नीचे सरका दिया. xxx bua ki gandmari
बुआ ने आज पैंटी नहीं पहनी थी तो सीधे गांड की दरार का मखमली अहसास हुआ.
मैंने अपना लंड बुआ की गांड में दरार में कुछ अन्दर को पेला और उनकी गांड के छेद पर रगड़ने का मजा लेने लगा था.
बुआ अभी भी सोने का नाटक कर रही थीं(xxx bua ki gandmari)
उसी समय बुआ थोड़ा और पीछे को हुईं भी, जिससे मैं बुआ की गांड का छेद महसूस करने लगा था.
उनके छेद की गर्मी लंड के सुपारे को भकभकाने लगी थी.
मैंने थोड़ी ताक़त लगाई और लंड को गांड के छेद पर रख कर ठेला.
गांड टाइट होने की वजह से लंड अन्दर नहीं गया.
मैंने लौड़े के टोपे पर थूक लगाया और दुबारा पेलने की कोशिश की.
इस बार बुआ ने भी अपनी टांगों को कुछ फैला कर छेद खोल दिया था, तो लंड का टोपा बुआ की गांड में घुस गया.
बुआ के मुँह से उहह की आवाज़ आई.
तब मैं समझ गया कि देसी बुआ गांड चुदाई की शौकीन हैं.
लंड के घुस जाने के बाद भी बुआ कुछ नहीं बोल रही थीं.
मैं बुआ के ऊपर चढ़ने की कोशिश करता हुआ उनकी गांड मारने लगा. xxx bua ki gandmari
बुआ भी सही से औंधी हो गईं.
अब मैं बुआ के ऊपर चढ़ गया और उनकी गांड में पूरा लंड पेल कर चोट मार रहा था.
अब बुआ बोलीं- आराम से चोद भोसड़ी के … कहीं भाग नहीं रही हूँ.
मैं हंसने लगा और मैंने स्पीड बढ़ा दी.
बुआ चीख नहीं सकती थीं क्योंकि मेरी चचेरी बहन भी बगल की खाट पर लेटी थी.
मैंने बुआ के मुँह को दाब दिया और धकापेल गांड मारते हुए झड़ने वाला था.
मैं धीरे से बोला- पानी किधर टपकाऊं!
बुआ बोलीं- गांड में ही निकाल दे.
मैंने सारा माल बुआ की गांड में निकाल दिया और सीधा लेट गया.
कुछ देर बाद हम दोनों सो गए.
सुबह हुई, तो बुआ थोड़ा मटक कर चल रही थीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
बुआ हंस कर बोलीं- मादरचोद ने गांड मार ली और पूछ रहा है कि क्या हुआ?
मैं हंसने लगा- मेरा कैसा लगा?
बुआ बोलीं- तुम्हारा तो फूफा से भी बड़ा है.
मैंने कहा- सच?
उन्होंने कहा- हां.
मैंने कहा- आज चूत चोदूंगा.
बुआ मुस्कुरा कर चली गईं. xxx bua ki gandmari
फिर जब बुआ नहाने जा रही थीं, तब मैंने बुआ के कान में कहा- बुआ आज नई वाली पैंटी पहनो, मज़ा आएगा.
बुआ बोलीं- मेरे पास नई नहीं है.
मैं बोला- है, नेट वाली पहनो न!
बुआ बोलीं- साले तुम्हें कैसे पता!
मैं मुस्कुरा दिया.
वे बोलीं- ठीक है.
उसी दिन दुपहर में सब अपने अपने कमरे में सो रहे थे.
मैं और बुआ छत पर थे.
छत पर एक किचन है, जो अभी नया बना है.
उसमें अभी खाना नहीं बनता है.
मैं और बुआ धूप की वजह से उसी में लेटे थे. xxx bua ki gandmari
मैंने बुआ से कहा- बुआ मुँह में लो ना! बहुत मन कर रहा है.
बुआ बोलीं- भक … मैं मुँह में नहीं लूँगी.
मैंने अपना लंड निकला और बुआ के होंठों के पास ले गया.
मैं ज़बरदस्ती बुआ के मुँह में अपना लंड देने की कोशिश करने लगा.
वे मुँह हटाने लगीं.
मैंने उनका मुँह पकड़ा और अन्दर दे दिया.
बुआ घूँ घूँ करके लंड चूसने लगीं.
लंड चूसने में वे पुरानी रांड जैसी थीं.
एक बार चूसना शुरू किया तो दस मिनट तक लंड चूसती ही रहीं.
अब मैं झड़ने वाला था पर मैंने बताया नहीं और जैसे ही झड़ने वाला हुआ कि तभी मैंने अपना लंड निकाला और उनके मुँह पर रस झाड़ दिया.
सारा माल बुआ के गालों पर टपक गया.
वे छी छी करके गाली देने लगीं- मादरचोद हरामी साले … फर्श पर टपका देता!
मैं बोला- चाट लो बुआ, देसी घी है. xxx bua ki gandmari
वे बोलीं- हट साले … चल अब मेरा मुँह पौंछ!
मैंने बुआ की टी-शर्ट से ही उनका मुँह पौंछ दिया.
उसके बाद चुदाई शुरू हुई.
मैंने बुआ को नंगी करके खूब चोदा. वह सब विस्तार से बताऊंगा.
अगर आप ऐसी और कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं तो आप “brazzersstories.com” की कहानियां पढ़ सकते हैं।