गांडफाड़ हादसा 1 – padosi uncle chudai

हैलो दोस्तों, मेरा नाम जिया कुमारी है। मेरी उमर 28 साल है, लेकिन मैं दिखने में 20 साल की लगती हूं।

मेरे चूचो का साइज़ 34″ है, कमर का 30″ है, और गांड का 36″। (padosi uncle chudai)

मेरी इस कहानी में आपको बताऊंगी कि कैसे उस एक हादसे ने मेरे अंदर की रंडी को जगा दिया।

बात करीब 4 साल पहले की है। मेरी शादी को 2 साल पूरे हो गए थे। मेरे पति का नाम दीपक है। उनका बहुत बड़ा बिज़नेस है, और हम बहुत अमीर घराने से तालुक रखते है।(padosi uncle chudai)

मेरे पति ज्यादा तर काम से बाहर ही होते है, जिसके कारन मैं कई महीनों तक घर में अकेली रहती हूं। वैसे मेरे पति चुदाई में तो काफी अच्छे है, मगर बहुत ही कम बार मुझे चोदते है।

यानि जब वो घर पर होते है तभी। लेकिन जो भी हो, मैं अपने पति से प्यार करती थी, और उनके आने तक उंगलियों से काम चला लेती थी।

हमारे बंगले के पड़ोस के बंगले में एक 58 साल के बूढ़े बुजुर्ग रहते थे। उनसे हमारे अच्छे संबंध थे, और वो मेरे पिता समान थे।(padosi uncle chudai)

वो भले ही 58 साल के थे, मगर दिखने में और तन्दरूस्ती में वो 40 साल के मर्द को भी हरा दे। उन्होंने मुझे एक बार कहा था कि वो जवानी में कुश्ती खेलते थे,

और अब भी वो उसी तरह का खाना और व्यायाम करते थे। उनका नाम रतनेश है।

एक रात मैं और मेरे पति सोए हुए थे, और तभी हमने कुछ धमाके की आवाज़ सुनी। हम जल्दी से उठ गए, और बाल्कनी से देखा तो रतनेश जी का घर आग की लपटों में घिरा हुआ था।(padosi uncle chudai)

रतनेश जी बाहर खड़े फायर ब्रिगेड को फ़ोन लगा रहे थे। कुछ ही समय में फ़ायर ब्रिगेड आ गई, और आग को बुझाने में जुट गई।

हम दोनों भी नीचे रतनेश जी का हाल जानने चले गए। नीचे जाकर देखा तो रतनेश जी फूट-फूट कर रो रहे थे।

मेरे पति ने उन्हें थोड़ी तसल्ली दी तो वो थोड़े शांत हो गए और बोले, “मेरा घर जल गया, मेरी यादें राख हो गई, मेरी सब चीजे जल गई।” ये कह कर वो फिर रोने लग गए।(padosi uncle chudai)

फिर मेरे पति ने उन्हें गले लगाया और बोले, “आप हमारे घर चलिये”। आग बुझने में फ़ायर ब्रिगेड को 5 बज गए, और हम वहीं खड़े रहे।

अगले दिन ये हादसे की खबर पूरे शहर में फैल गई। रतनेश जी अब भी उदास थे। हमने उन्हें हमारे घर में रहने के लिए बोला जब तक उनका घर बनके तैयार नहीं हो जाता।(padosi uncle chudai)

सुबह नाश्ता करते वक्त मेरे पति ने रतनेश जी से पुछा कि वो कुछ घर बनाने में मदद कर सकते थे क्या। तो रतनेश जी ने कहा,

“अरे नहीं बेटा, तुमने मुझे रहने के लिये अपने घर में जगह दी बस वो ही काफी है।”

तो मैं बोली, “घर फिर से बनाने में बहुत खर्चा भी होगा ना?” उस पर रतनेश जी ने कहा, “अरे पैसे कि चिन्ता नहीं है, मेरा इतना बड़ा कारोबार है,

मुझे पैसे की कमी नहीं है। बस दुख इस बात का है कि मेरी यादे जुड़ी थी उस घर से।” ये कह कर उनकी आंखे नम हो गई। तो मैंने उन्हें गले लगाया और शांत किया।(padosi uncle chudai)

नाश्ता होने के बाद हम सो गए। रतनेश जी नीचे गेस्ट रुम में और हम दोनों उपर हमारे कमरे में सो गए। एक हफ्ते बाद उनके घर का काम शुरु हुआ,

और मेरे पति को जरुरी काम से 2 महीनों के लिए अमेरिका जाना पड़ा। हम दोनों यानि रतनेश जी और मैं अकेले ही घर में रह गए। पहले दो-तीन दिन बिल्कुल सामान्य थे।

फिर एक रात रतनेश जी लिविंग रूम में टीवी देख रहे थे। हमारा खाना खा कर हो गया था। मुझे सोने से पहले नहाने की आदत थी,(padosi uncle chudai)

तो मैं हर रात की तरह इस रात भी नहा कर बाहर आई। लेकिन मैंने सोचा कि थोड़ी देर टीवी देखा जाए। तो मैं नीचे गई। मेरे बाल भीगे हुए थे,

और मैंने नाइट गाउन पहना हुआ था, जिसके अंदर मैंने कुछ नहीं पहना था, और मेरी फिगर उसमें से साफ झलक रही थी।(padosi uncle chudai)

मैं रतनेश जी के बगल के सोफा पे जाकर बैठ गई। मुझे देख रतनेश जी थोड़े अचम्भित हो गए। हम दोनों बातें कर रहे थे, और उनका ध्यान रह-रह कर मेरी खुली टांगो पर जा रहा था।

कुछ देर बाद मैंने देखा कि उनका लंड एक-दम खड़ा हो गया था। मेरी नज़र वहां गई और फिर वहां से हट ही नहीं रही थी। मेरी नज़र उनके लंड पर थी,

ये उन्होंने देख लिया और बोले, “अरे बेटी, मुझे माफ कर दो। मेरी पत्नी को मरे 20 साल हो गए है, इसलिये मेरी ये अवस्था है। मुझे माफ कर दो।”(padosi uncle chudai)

मैंने कहा, “अरे नहीं, में समझ सकती हूं।” तभी टीवी पर कंडोम का ऐड आया, और माहौल और भी अजीब हो गया।

रतनेश जी ने कहा, “बेटी तुम टीवी देखो, मैं अपने कमरे में सो जाता हूं।” यह कह कर वो उठे तो उनका मोटा लम्बा लंड उनकी लुंगी से बाहर फुदक गया।

उनका बड़ा लंड मेरे चहरे के सामने ही था। उन्होंने झट से लंड लुंगी के अंदर डाला, और माफी मांगने लगे।(padosi uncle chudai)

में उनका लंड देख कर गरम हो गई थी। मैंने कहा “क्या आप मुझे अपना लंड फिरसे दिखा सकते है?” तो वो बोले, “देखो बेटी ये गलत है।”

तो मैंने कहा, “बस मुझे सिर्फ देखना है”। तो वो झिझकते हुए अपना लंड बाहर निकालने लगे।(padosi uncle chudai)

उनका लंड 8 इंच लम्बा था, और मोटा भी था। लंड देख कर मेरी चूत गीली हो गई, और मेरा हाथ अपने आप उनके लंड को हिलाने लगा।

कुछ पल के लिए रतनेश जी भी मजा ले रहे थे। फिर होश आने के बाद वो पीछे हो गए। मैं इतनी गरम हो गई थी कि उनका लंड फिर से हाथ में ले लिया। अब वो भी ज्यादा विरोध नहीं कर रहे थे।(padosi uncle chudai)

रतनेश जी बोले, “बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं?” मैं उनका लंड हिलाने में मग्न थी, तो मैंने हां में सिर हिलाया।

तो वो बोले, “भीगे बालों में तुम बहुत सुंदर लग रही हो।” ये सुन कर मैं खुश हो गई, और उन्हें देख मुस्कुराने लगी।

कुछ पल हिलाने के बाद मैंने उनका लंड धीरे से अपने होठों से चूम लिया। वो बोले, “बेटी अब और ना तड़पाओ इस उम्र में।

” ये सुनते ही मैं झट से लंड का टोपा मुंह में लेकर चूसने लगी। रतनेश जी से और रहा नहीं गया। उन्होंने मेरा सर पकड़ा और एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरे मुंह में भर डाला,(padosi uncle chudai)

और मेरे मुंह को जोर-जोर से चोदने लगे।

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा।(padosi uncle chudai)

कहानी का दूसरा भाग : chudai padosi uncle

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