कहानी का पहला भाग : padosi uncle chudai
मेरी तो मानो सांस ही अटक गई थी। बस बीच-बीच में सांस लेने के लिए अपना लंड मेरे मुंह से बाहर निकालते, और फिर मुंह चोदने लगते।(chudai padosi uncle)
ऐसा करीब 15 मिनट चला, और उसके बाद एक जोर के झटके से अपना सारा पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया। उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में रख कर मेरा सिर दबा कर रख दिया,
और जब तक मेरी सांस फूल नहीं जाती, तब तक वैसे ही दबाए रखा।(chudai padosi uncle)
जब उन्होने लंड बाहर निकाला, तब मैं जोर-जोर से हांफने लगी, और उनका पानी पी गई। मैंने देखा कि रतनेश जी का लंड अब भी खड़ा ही था।
मैंने जल्दी से अपने कपड़े निकाल दिये, और नंगी हो कर सोफे पर अपने पैर फैला कर लेट गई। फिर चूत में उंगली डाल कर उन्हें इशारे करने लगी।(chudai padosi uncle)
वो भी बिना किसी झिझक के मेरी चूत के सामने खड़े होकर मेरी चूत को देख रहे थे। रतनेश जी ने अपना लंड मेरी चूत के उपर थोड़ा रगड़ा, तो मैं पूरी तरह से हवस की दुनिया में खो गई। मैंने कहा-
मैं: अब आप मुझे मत तड़पाओ, मेरी चूत आपके लंड की भीख मांग रही है।(chudai padosi uncle)
यह सुन कर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में थोडा अंदर डाला, और मेरी सिस्कारी निकल गई आह्ह।
उन्होंने अपना लंड फिरसे बाहर निकाला और एक ही जोर के झटके से अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया।
झटका इतना जोर का था कि मैं वहीं झड़ गई और चीखने लगी आआऊऊईई अरे मर गई आआ।(chudai padosi uncle)
कुछ देर बाद दर्द थोड़ा कम हुआ, तो उन्होंने फिरसे धक्के लगाने शुरु कर दिये, और मैं भी मजे से उनसे चुदने लगी आ आ आ करके सिस्करियां लेने लगी।
कुछ देर बाद उनके धक्के तेज हो गए, और में फिरसे झड़ने की कगार पे थी। उन्होंने एक जोर का झटका लगाया, और हम दोनों एक साथ झड़ गए। उनके लंड का सारा पानी मेरी चूत में बह गया।
वो मेरे उपर ही लेट गए, और कुछ पल बाद वो उठ गए, और अपना लंड मेरी चूत में से बाहर निकाला।(chudai padosi uncle)
मैं देख कर हैरान थी, कि उनका लंड अब भी शांत नहीं हुआ था। रतनेश जी ने मुझे बड़ी ही आसानी से गोद में उठा लिया,
और अपने कमरे में लेकर गए। कमरे में ले जाने के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर पर ऐसे फेंक दिया कि मानो मैं कोई छोटी गुड़िया थी। अब वो भी वासना से भर चुके थे।
वो बिस्तर पर चढ़ गए, और मेरे पैरों को फैलाया, और मेरी चूत में उंगली करने लगे। बाद में वो मेरी चूत को चाटने लगे, और मैं उउउम-उउउम करके मजा ले रही थी।(chudai padosi uncle)
कुछ देर बाद मैं फिरसे झड़ने वाली थी, तो मैंने उनका सर मेरी चूत में दबा के रखा, और मेरे पैर भी बंद कर दिये।
फिर मैं इतनी जोर से झड़ी कि मेरा पूरा शरीर ढीला पड़ गया, और मैं कपकपाने लगी।
रतनेश जी उठ गए और अपना लंड चूत पर सेट किया, और धक्के देने लगे। करीब आधे घंटे बाद वो फिर मेरी चूत में झड गए।(chudai padosi uncle)
हमने उस रात सुबह 4 बजे तक सेक्स किया, और हम दोनों थकने के बाद खुद बा खुद सो गए। सुबह के 9:30 को मेरी आंख खुली।
मैं नींद से उठी तो देखा कि रतनेश जी का लंड मेरे चेहरे के सामने था, और मेरी चूत उनके चेहरे के।(chudai padosi uncle)
मैंने पिछली रात के बारे में सोचा कि मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी और मैंने अपने पति को धोखा दे दिया।
मेरे आंखों में आंसू आ गए। मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो लडखड़ा कर गिर गई। मेरे शरीर में जरा भी जान नहीं बची थी।
मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। मैं रेंग-रेंग कर रूम से बाहर निकल आई, और सीड़ियों पर लड़खड़ाते हुए चढ़ने लगी।(chudai padosi uncle)
मैं बाथरुम में गई, और जैसे-तैसे दीवार के सहारे खड़े हो गई, और अपने आप को शीशे में देखा तो मेरे पूरे चेहरे और स्थानों पर रतनेश जी का वीर्य सूख गया था।
मेरा पूरा बदन लाल हो गया था, और चूत भी सूझ गई थी। मैं अपने आप को इस तरह देख रोने लगी। बाथ टब में जब गरम पानी भर कर अंदर गई तो शरीर को सुकून महसूस हुआ।(chudai padosi uncle)
मैंने अपनी आंखें बंद की तो पिछली रात की हर बात मेरे दिमाग से गुजरती, और मैं झट से अपनी आंखें खोल देती।
मैं दो घंटे बाद बाथरूम से बाहर निकल गई, और मेरे कमरे में जाकर कपड़े पहनने लगी। अब मैं अपने कमरे में ही बैठ कर रो रही थी।
थोड़ी देर बाद जब मैं शांत हुई तो नीचे चली गई। नीचे गई तो देखा कि कल रात को पहने हुए कपड़े फर्श पर थे।(chudai padosi uncle)
करीब 12 बज गए थे, और रतनेश जी कहीं नज़र नहीं आए। मैंने उनके कमरे का दरवाजा देखा तो बंद था।
मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला तो देखा कि रतनेश जी एक कोने में बैठ कर रो रहे थे। मैं अंदर गई तो वो मुझे देख कर बोले, “बेटी मुझे माफ कर दो।(chudai padosi uncle)
मुझसे गल्ती हो गई। मैं अभी घर छोड कर चला जाता हूं”। मैं कुछ नहीं बोली। फिर वो एक-दम से मेरे पैरों पर गिर पड़े और माफी मांगने लगे।
मैंने उन्हें खड़े होने के लिए कहा और बोली: बाहर जा कर बात करते है।
बाहर आकर वो मुझे बोले: देखो बेटी, मैं ये घर छोड़ कर चला जाता हूं।
मैं बोली: आप ऐसा मत किजीये। आप इस उम्र में कहा जाएंगे?”(chudai padosi uncle)
मैंने उन्हें यहीं रुकने बोला और नाश्ता करने के बाद में बोली: दोष अपका नहीं है। कल रात पहल मैंने ही की।
वो बोले: बेटी लेकिन गलती मेरी भी उतनी ही है।
तो मैंने कहा: इस बात को यही मिटा देते है। ना ही आप कल रात टीवी देख रहे थे, और मैं भी बाथरुम से सीधा मेरे कमरे में सो गई। जो हुआ उसे भूल जाने की कोशिश करते है।(chudai padosi uncle)
उन्होने हां में सिर हिलाया और बोले: ठीक है, मैं ऐसा ही करूंगा।
इसके आगे क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में जानने को मिलेगा।(chudai padosi uncle)
कहानी का तीसरा भाग : hot padosi uncle chudai
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