कहानी का पंद्रहवां भाग : hot sex story padosi uncle
मेरी इस चुदाई कहानी के पिछले भाग में अपने पढ़ा कि कैसे हमने हमारी ताबड़तोड़ चुदाई गोली खा कर जारी रखी, और आखिर में मैं बेहोश हो गई।
अगले दिन दिन बाथरूम में जा कर रतनेश जी ने मुझ पर पेशाब किया, (padosi uncle xxx chudai story)
और उस पूरे हफ्ते में हमने घर में हर कोने में चुदाई करी। फिर आया पूजा का दिन। अब आगे…
मैं पूजा वाले दिन सुबह जल्दी 5:30 बजे उठी, क्योंकि मुझे सारी तैयारी जो करनी थी। मैं सबसे पहले बाथरूम गई, और वहां अच्छे से नहा लिया।
कल रात को हमने तगड़ी चुदाई की थी, क्योंकि हमें पता था कि आज तो हमें चुदाई का मौका नहीं मिलने वाला। (padosi uncle xxx chudai story)
मैंने अपने मुंह और शरीर पर से रतनेश जी के वीर्य को साफ कर दिया, और बाकी शरीर भी रगड़ कर साफ किया।
करीब आधे घंटे बाद में बाहर आ गई। मैंने एक अच्छी पारंपरिक तरीके से साड़ी पहन ली। माथे पर सिंदूर लगाया, और गले में दो मंगल सूत्र थे, एक रतनेश जी के नाम का,
और एक मेरे असली पति के नाम का। वैसे भी दो मंगल सूत्र पहनने का आज-कल फैशन है।
फिर मैंने लीविंग रूम को अच्छे से फूलों से सजा लिया, और लीविंग रूम के बीच रंगोली बनाई जहां पर पूजा होनी थी। (padosi uncle xxx chudai story)
ये सब करने में मुझे 1 घंटा लगा। फिर मैंने किचन में जा कर आने वाले लोगों के लिए नाश्ता बनाया। आज बहुत लोग आने वाले थे।
रतनेश जी का मित्र परिवार उनके दोस्तों के परिवार आने वाले थे।
मैंने नाश्ते में बड़े पतीले में गाजर का हलवा बनाया। मुझे इसमें एक और घंटा लग गया। फिर सब काम होने के बाद मैं चाय पीने सोफे पर बैठ गई।
कुछ पल बाद रतनेश जी भी उठ गए, वो कमरे से बाहर आ गए और मैं उन्हें देख मुस्कुराई। (padosi uncle xxx chudai story)
मैं: उठ गए मेरे प्यारे पति देव?
रतनेश जी: हां, कल रात पता है ना ज्यादा हो गया था।
ये कह कर हम दोनों हस पड़े। रतनेश जी ने मैंने किया हुआ इंतज़ाम देखा और बहुत खुश हो गए। उनको मेरे द्वारा की गई सजावट बहुत अच्छी लगी।
रतनेश जी: वाह जिया! तुमने तो घर को सजा कर रौनक ला दी। और तुम भी बहुत खूबसूरत लग रही हो। (padosi uncle xxx chudai story)
मैं उनकी ये बात सुन कर शर्मा गई।
मैं (शरमाते हुए): क्या आप भी! जाइये तयारी कीजिये, लोग आते ही होंगे।
रतनेश जी हस्ते हुए नहाने के लिए बाथरूम चले गए, और मैं चाय पीने लगी। रतनेश जी के बाथरूम जाने के करीब 15 मिनट बाद दरवाजे की घंटी बजी।
मैंने टाइम देखा तो लगभग 8:30 बज गए थे। मैंने दरवाजा खोला तो रतनेश जी के दोस्त विजय ठाकुर जी थे। मैंने उन्हें हल्की सी मुस्कान दी और अंदर बुलाया। (padosi uncle xxx chudai story)
मैंने उन्हें सोफे पर बैठने के लिए कहा, और किचन से नाश्ता ला कर उन्हें दे दिया, और मैं भी फिर काउच पर बैठ गई। विजय जी अकेले ही आये थे। उनके साथ उनका परिवार नहीं था।
मैं: विजय जी, कैसा बना है हलवा?
विजय जी: बहुत बढ़िया बनाया है बेटा।
मैं: आप अकेले ही आये है, आपका परिवार नहीं आ रहा है? (padosi uncle xxx chudai story)
विजय जी: हां, दरहसल मेरे बीवी की तबियत खराब रहती है, और मेरी बेटी अमेरिका में पढ़ने गई है, तो इसलिए मैं अकेला ही आ गया।
फिर उन्होंने रतनेश जी के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें बताया कि वो अभी नहाने गए थे। फिर हमने इधर-उधर की बातें की, और थोड़ी देर बाद रतनेश जी भी नहा कर तैयारी करके बाहर आ गए।
रतनेश जीने सफेद कुर्ता और पजामा पहना था, और गले में सोने की चेन थी। रतनेश जी बहुत अच्छे लग रहे थे। (padosi uncle xxx chudai story)
मन कर रहा था उन्हें गले लगाऊं। रतनेश जी और विजय जी अब एक-दूसरे से बातें कर रहे थे, और मैं किचन में बाकी की तैयारियां कर रही थी।
अब हर 5 से 10 मिनट में कोई ना कोई आ रहा था। मैं बस विजय जी और संजय जी को ही जानती थी। बाकियों से मैं पहली बार मिल रही थी।
जैसे-जैसे लोग बढ़ते गए, मेरा काम भी बढ़ता गया। मगर शुक्र है कि आये हुए परिवार की औरतें मुझे मदद कर रही थी। आखिर में पंडित जी आ गए, और पूजा शुरू हुई।
पूजा के लिए रतनेश जी और मैं बैठे हुए थे। पूजा खतम होने के बाद हमने सारे मेहमानों को प्रशाद दे दिया। (padosi uncle xxx chudai story)
ये सब कुछ होते-होते दोपहर हो गई। मैं सुबह जल्दी उठी थी, तो मेरा सर दर्द कर रहा था। वैसे भी अब मेहमान धीरे-धीरे जा रहे थे, तो मैंने रतनेश जी के पास जा कर कहा कि-
मैं: सुनिये, मैं उपर कमरे में सोने जा रही हूं। आप जरा संभाल लेना।
रतनेश जी ने मुझे हां कहां और मैं सबसे उपर वाले कमरे में जा कर सो गई। मेरे पीछे-पीछे पंडित जी भी उपर आ गए, और मेरे कमरे में आ गए।
मैं: क्या हुआ पंडित जी? आज भी उस दिन जैसा कुछ करना है क्या? (padosi uncle xxx chudai story)
पंडित जी: नहीं बेटा आज पूजा है। आज मैं वैसा कुछ कर नहीं सकता।
दरहसल पंडित जी बस मुझसे मिलने के लिए आये थे। पंडित जी ने मुझसे यहां-वहां की बाते की, और फिर उन्होंने कुछ ऐसी मांग की कि मैं चौंक गई।
पंडित जी: बेटा मेरी एक इच्छा है, तुम पूरी करोगी?
मैं: कौन सी इच्छा? (padosi uncle xxx chudai story)
पंडित जी: बेटा तुम अपने कपड़े उतारो ना, मुझे तुम्हें नंगा देखना है।
मैं इस बात पर हस पड़ी और बोली-
मैं: बस इतनी सी बात? रुको यही पर।
मैं उठ कर दरवाजे के पास गई, और उसे लॉक किया ताकि कोई अंदर ना आ जाए। फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतार दी, (padosi uncle xxx chudai story)
और उनके सामने ब्लाउस और पैंटी में खड़ी थी। फिर मैंने अपने बाकी के कपड़े धीरे-धीरे उतार दिये, और उनके सामने पूरी नंगी हो गई।
पंडित जी मुझे जी भर कर देख रहे थे। करीब 10 मिनट तक मेरे शरीर के हर अंग को करीब से देखने के बाद वो चले गए।
मैंने भी दरवाजा उनके जाने के बाद अच्छे से लॉक कर दिया, और नंगे बदन ही बेड पर सो गई।
शाम को मेरी आँख खुल गई और मैं साड़ी पहन कर नीचे आ गई। सारे मेहमान चले गए थे। (padosi uncle xxx chudai story)
बस रतनेश जी और उनके 6 दोस्त सोफा पर बैठे हुए गप्पे मार रहे थे। मुझे नीचे आते देख रतनेश जी मेरी तरफ आए।
रतनेश जी: तो दोस्तों, आज के दिन का सारा श्रेय जिया को जाता है। इसी ने सारा इंतज़ाम किया था।
मुझे अपनी तारीफ सुन कर बहुत अच्छा लगा। फिर रतनेश जी ने अपने दोस्तों से मिलवाया। मैं विजय और संजय जी को जानती थी।
उनके बाकी के चार दोस्तों का नाम था प्रवीण, जो रियल इस्टेट का बिजनेस चलाते थे। दूसरे थे माधव, जो शेयर मार्केट में काम करते थे। (padosi uncle xxx chudai story)
तीसरे थे कमल, जो मिल की फैक्टरी के मालिक है। और चौथे थे प्रताप सिंह, जो एक होटल के मालिक है।
दोस्तों आप तो समझ ही गए होंगे कि रतनेश जी के सारे दोस्त बहुत अमीर थे। लेकिन सारे एक-दम अच्छे थे।
किसी को भी पैसे का घमंड नहीं था। सब जन लगभग एक उमर के ही थे, और हां, सब के सब हट्टे-कट्टे थे, 6 फीट ऊंचे और तंदुरुस्त।
मैं तो उन सात जन के बीच में एक-दम छोटी लग रही थी।
मैंने उन सभी के पैर छू लिए और वो फिर आपस में बात करने लगे। ऐसा लग रहा था उन सब को कुछ कहना था, लेकिन बोलने के लिए झिझक रहे थे। (padosi uncle xxx chudai story)
मैं (रतनेश जी को): क्या हुआ? कुछ परेशानी है क्या?
रतनेश जी: नहीं परेशानी नहीं है। तुमसे कुछ अनुमती लेनी थी।
मैं: किस बात की?
रतनेश जी: दरहसल हम सब दोस्त सोच रहे थे कि बहुत दिनों बाद मिले है, तो क्यों ना एक हफ्ता यहीं पर रह कर थोड़ा समय बिताए।
मैं थोड़ी सोच में पड़ गई कि सात दिन अगर ये लोग घर में रहेंगे, तो मुझे और रतनेश जी को टाइम नहीं मिलेगा। (padosi uncle xxx chudai story)
मैं: लेकिन सात दिन आप करोगे क्या?
विजय जी: अरे हम बूढ़े क्या ही कर सकते है? भजन कीर्तन करेंगे और क्या।विजय जी: अरे हम बूढ़े क्या ही कर सकते है? भजन कीर्तन करेंगे और क्या।
मैंने थोड़ा और सोचा फिर रतनेश जी की खुशी के लिए मैंने हां कर दी। सातों जन खुश हो गए, और मुझे शुक्रिया कहने लगे।
मैंने रात का खाना बनाया, और हम सब डिनर कर के अलग-अलग कमरे में सो गए। मैं सबसे उपर की मंजिल के कमरे में जा कर सो गई।
बहुत दिनों बाद मैं और रतनेश जी अलग-अलग कमरे में सो रहे थे। मुझे तो चुदाई का मूड हो रहा था, मगर जैसे-तैसे करके मैंने अपने आप को शांत किया। (padosi uncle xxx chudai story)
क्योंकि घर में बहुत लोग थे। अगर हम पकड़े गए तो अनर्थ हो जाएगा।
अगला दिन कुछ खास नहीं था। मैं सुबह जल्दी उठी। सब के लिए नाश्ता बनाया, और रतनेश जी भी अपने दोस्तों के साथ बातें करते रहते थे।
हमारी दिन में ज्यादा बात भी नहीं हुई थी। मुझे अब गुस्सा आने लगा था। एक तो मुझे चुदाई की इतनी आदत पड़ गई थी, कि मेरा अब लंड के बिना दिमाग खराब हो गया था।
दिन भर मेरी चूत में आग लगी हुई थी। मैं जैसे-तैसे खुद को कंट्रोल कर रही थी। (padosi uncle xxx chudai story)
फिर जब रात के 12:30 बज रहे थे, तब मैं अपने कमरे में चूत में उंगली करके उसे शांत करने की कोशिश कर रही थी।
आधे घंटे उंगली करने के बाद भी मेरी चूत शांत नहीं हो रही थी। मेरी चूत को अब रतनेश जी के लंड की आदत पड़ गई थी।
मैं अपने कमरे से बाहर आ गई, और देखा कि कोई जगा हुआ था कि नहीं। सब अपने-अपने कमरे में सो गए थे। घर में पूरा अंधेरा था। मैंने रतनेश जी को फोन किया।
मैं: हैलो रतनेश जी। सो गए थे क्या?
रतनेश जी: नहीं जिया, तुम्हारी याद आ रही थी। नींद नहीं आ रही। (padosi uncle xxx chudai story)
मैं: मेरा भी यही हाल है जान। एक काम करो, तुम उपर आ जाओ।
रतनेश जी: कोई देख लेगा जिया।
मैं: नहीं सब सो गए है। आप जल्दी आइये मेरे कमरे में मेरी चूत तरस रही है आपके लंड के लिए।
ये कह कर मैंने फोन रख दिया, और बेड पर जाके नंगे हो कर लेट गई रतनेश जी के इंतज़ार में।
करीब पांच मिनट बाद मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई। मैं समझ गई कि रतनेश जी ही थे। मैंने जल्दी से दरवाजा खोला और उन्हें अंदर खींच लिया। (padosi uncle xxx chudai story)
उनके अंदर आते ही मैं उन पर टूट पड़ी। हम दोनों एक-दूसरे को ऐसे किस्स कर रहे थे कि हम मानों बरसो बाद मिल रहे है।
ऐसे ही कुछ देर एक-दूसरे के होंठ चूसने के बाद रतनेश जी ने मुझे पलंग पर फेंक दिया, और मेरी चूत चाटने लगे। मैं बहुत मजे से सिसकियां ले रही थी आह… आह्ह…
फिर रतनेश जी उठे, और मेरी चूत में अपना लंड डालने की तयारी में थे। उन्होंने जब मेरी चूत में लंड डाला, तब जाकर मुझे सुकून मिला।
वरना मेरी चूत में तो दिन भर आग लगी हुई थी। रतनेश जी जोर-जोर से मुझे चोद रहे थे, और मैं उस आनंद में चिल्ला रही थी “आह्ह… आह्ह… और जोर से करो बहुत अच्छा लग रहा है आह…” (padosi uncle xxx chudai story)
हम दोनों ही इस बात को भूल गए थे कि घर में हम अब अकेले नहीं थे। हम बेफिक्र हो कर चुदाई कर रहे थे।
आधा घंटा मेरी चूत मारने के बाद रतनेश जी ने लंड मेरी चूत से निकाल कर मेरे मुंह में घुसेड़ दिया। मेरे सर को पकड़ कर वो दना दन मेरे मुंह को चोदे जा रहे थे, और कह रहे थे-
रतनेश जी: ले साली लंड की भूखी। बहनचोद, तेरा मुंह चोदने के लिए ही बना है। खा मेरा लंड!
हम दोनों अब गाली-गलौच करके ही चुदाई करने लगे थे। हम दोनों को ही इसमें मजा आता था। रतनेश जी मुझे रंडी समझ कर चोदते और मैं उनकी रांड जैसे लंड की सेवा करती थी।
रतनेश जी के मेरे मुंह को चोदने के वजह से मेरे मम्मे मेरी थूक से सने हुए थे। मेरी आँखों का काजल भी आंसू बहाने के कारण मेरे चेहरे पर फैल गया था। (padosi uncle xxx chudai story)
मेरा रूप एक-दम बाजारु औरत के जैसा हो गया था। पूरे आधे घंटे तक मेरा मुंह चोदने के बाद रतनेश जी मेरे मुंह पर झड़ गए।
मेरा चेहरा उनके वीर्य से ढक गया जिसे मैंने अपनी उंगलियों से साफ करके चाट लिया।
रतनेश जी का बड़ा मोटा लंड मेरी थूक से चमक रहा था। मैंने उस लंड को हल्की सी किस्स दी और रतनेश जी की ओर देखा।
हम दोनों एक-दूसरे को देख हसने लगे। लेकिन तभी हमें तालियों की आवाज़ आइ। हम दोनों हड़बड़ा गए, और दरवाजे की और देखा तो हम दोनों की गांड फट गई।
दरवाजे पर विजय ठाकुर जी खड़े थे। उन्होंने हमारा सारा खेल देख लिया था।
इस मुसीबत से बचने के लिए जिया को क्या करना होगा, जानिए अगले भाग में। (padosi uncle xxx chudai story)
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