Khet me bahu ki chudai : सोनिया अब पूरी तरह से अपनी मर्जी की मालकिन बन चुकी थी। इस बार उसने फैसला कर लिया था कि खेल को और भी मजेदार बनाया जाए। घर की चारदीवारी के भीतर छुप-छुप कर प्यार का खेल अब उसे नीरस लगने लगा था। अब उसे कुछ नया और खतरनाक करना था, और इस बार उसने सुरेंदर को लेकर जंगल में जाने का सोचा।
कहानी के पिछले दो भाग: Sasur ne ki Bahu ki Chudai P-1 , Bahu ne karwai Sasur Se Chudai P-2
सुरेंदर खुद भी बहू की नई-नई हरकतों से हैरान था, लेकिन वह पूरी तरह से सोनिया के जाल में फंस चुका था। सोनिया ने रात को राहुल को किसी काम का बहाना बनाकर भेज दिया, ताकि वह सुरेंदर के साथ अपनी योजना को अंजाम दे सके। सोनिया और सुरेंदर एक सुनसान जगह पर पहुंचे, जहां चारों ओर पेड़-पौधे थे और कोई भी देखने वाला नहीं था।
सोनिया ने जैसे ही वहां कदम रखा, उसने अपनी साड़ी का पल्लू उठाया और कहा, “बाबूजी, आज आपको जंगल की हवा में मजा लेने का मौका मिलेगा। आज मैं आपको वो सब कुछ दिखाऊंगी, जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा।” सुरेंदर का लंड खड़ा हो चुका था।
सोनिया ने उसकी पैंट की ज़िप खोलते हुए कहा, “देखो बाबूजी, तुम्हारा लंड मेरे लिए कितना बेताब है। आज मैं तुम्हें ऐसा मजा दूंगी, जो तुम जिंदगी भर याद रखोगे।” सोनिया ने सुरेंदर की पैंट नीचे खींच दी और उसका लंड जोर से पकड़ लिया।
उसने सुरेंदर को एक पेड़ के सहारे टिकाया और खुद उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई। सोनिया ने उसके लंड को चूसना शुरू किया, और साथ ही अपनी उंगलियाँ सुरेंदर की गांड पर फिराने लगी।
“आह… बाबूजी, तुम्हारा लंड तो किसी जानवर से कम नहीं है। आज मैं इसे पूरी तरह से चूस कर तृप्त कर दूंगी,” सोनिया ने कहा और उसकी सिसकारियां तेज हो गईं।
सोनिया ने अपनी जीभ से सुरेंदर की गांड को चाटना शुरू किया और फिर अपने होंठों से उसके लंड को जोर से चूसने लगी। सुरेंदर अब खुद को रोक नहीं पा रहा था। उसकी सांसें तेज हो गईं और वह सोनिया की कमर को पकड़ कर जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगा। “बहू, तू तो गजब कर रही है।
अब मेरी लोड में अपना मुंह भर और मुझे तड़पा मत,” सुरेंदर ने कराहते हुए कहा। सोनिया ने अपना खेल और तेज कर दिया।
उसने अपनी साड़ी को पूरी तरह उतार दिया और अब वह सिर्फ अपनी ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसने सुरेंदर के लंड को एक बार फिर अपने मुंह में लिया और उसे अंदर-बाहर करना शुरू किया।
फिर सोनिया ने एक और शरारत की। उसने सुरेंदर को पेड़ के साथ ही टिकाए रखा और उसकी गांड में अपनी उंगली डाल दी।
सुरेंदर ने एक जोरदार सिसकारी ली, “आह… बहू, तूने मुझे पागल कर दिया है।” सोनिया ने उसकी उंगली को और गहराई में डाला और फिर से लंड चूसना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ अब सुरेंदर की गांड में मस्ती कर रही थीं, और सुरेंदर का लंड उसकी चूत में जाने के लिए बेताब हो रहा था।
सुरेंदर अब पूरी तरह से सोनिया की मर्जी के गुलाम बन चुका था। जंगल की खुली हवा में, उस सुनसान जगह पर, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई सपना देख रहा हो। सोनिया के हाथ और उसकी उंगलियां उसकी गांड में पूरी मस्ती से खेल रही थीं, और सुरेंदर का लंड अब और ज्यादा सख्त हो चुका था।
सोनिया ने अब सुरेंदर को जमीन पर लिटा दिया। उसने खुद को पूरी तरह से नंगा कर दिया। सुरेंदर ने जैसे ही सोनिया का गोरा और गदराया बदन देखा, उसकी सांसें तेज हो गईं।
सोनिया ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “बाबूजी, अब मैं आपको वो मजा दूंगी जो आप कभी भूल नहीं पाएंगे।” सोनिया ने सुरेंदर के लंड पर अपना चूत रखा और धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी।
सुरेंदर ने एक जोरदार सिसकारी भरी, “आह… बहू, तेरी चूत तो एकदम आग है।” सोनिया ने अपनी कमर को जोर से हिलाना शुरू कर दिया।
ससुर और बहू का खतरनाक खेल – Khet me Bahu ki Chudai P-3
उसका गोरा और जवान बदन सुरेंदर के लंड पर सवार था, और वह उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी। सुरेंदर का लंड पूरी तरह से सोनिया की गीली चूत में समा चुका था, और दोनों की सिसकारियां जंगल की खामोशी को तोड़ रही थीं।
“आह… बाबूजी… जोर से मारो, और तेज़… मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए ही बनी है,” सोनिया ने जोर से कहा और अपनी कमर को और तेजी से हिलाने लगी। सुरेंदर की हालत अब और बिगड़ती जा रही थी। उसने सोनिया की कमर को कसकर पकड़ लिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
सोनिया की चूत से रस टपक रहा था, और दोनों ही अब चरम सुख की ओर बढ़ रहे थे। सोनिया ने सुरेंदर के लंड को पूरी ताकत से अंदर लिया और फिर अचानक खड़ी हो गई।
उसने सुरेंदर को घुटनों के बल बिठाया और कहा, “अब मेरी गांड में डालो, बाबूजी… आज मैं तुम्हारी पूरी मर्दानगी का स्वाद चखूंगी।” सुरेंदर ने बिना कोई समय गंवाए सोनिया की गांड को पकड़ा और अपने लंड को उसकी गांड के पास ले गया।
सोनिया की गांड चुत की पानी बहने से पहले से ही गीली हो चुकी थी, और सुरेंदर का लंड उसकी गांड के अंदर जाने के लिए तैयार था। उसने एक जोर का धक्का मारा और उसका लंड सोनिया की गांड में घुस गया।
“आह… बाबूजी, और जोर से… मेरी गांड फाड़ दो,” सोनिया ने तड़पते हुए कहा और सुरेंदर को अपनी गांड में और गहराई तक धकेलने लगी। सुरेंदर अब पूरी तरह से सोनिया की गांड में डूबा हुआ था। उसने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए और सोनिया की सिसकारियां और तेज हो गईं।
दोनों का शरीर पसीने से तर हो चुका था, और दोनों एक-दूसरे को पूरी ताकत से भोग रहे थे। सुरेंदर ने सोनिया की गांड में और तेज धक्के मारते हुए कहा, “बहू, तू तो एकदम छिनाल है… तेरी गांड और तेरी चूत, दोनों का स्वाद आज तृप्त कर दूंगा।
” सोनिया ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी। उसकी गांड अब सुरेंदर के लंड को पूरी तरह से अंदर समेटे हुए थी, और उसकी सिसकारियां जंगल की हवा में गूंज रही थीं।
सुरेंदर की मर्दानगी अब चरम पर थी, और सोनिया भी पूरी तरह से अपने आप को उसके हवाले कर चुकी थी। जंगल की वह खामोशी और दोनों के शरीर की गर्मी, सब कुछ और ज्यादा उत्तेजक हो गया था। सुरेंदर ने अब सोनिया की गांड में जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए थे।
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सोनिया की हर सिसकारी और कराह सुरेंदर को और ज्यादा तेज धक्के मारने पर मजबूर कर रही थी। सोनिया ने अपनी कमर को और उठाकर, सुरेंदर को और अंदर आने का मौका दिया। “आह… बाबूजी, और जोर से, मेरी गांड को पूरी तरह से फाड़ डालो,” सोनिया ने जोर से कहा, और उसकी सिसकारियां पूरे जंगल में गूंजने लगीं। सुरेंदर अब खुद को संभाल नहीं पा रहा था। उसने एक जोरदार धक्का मारा और सोनिया की गांड के अंदर उसके लंड का पूरा जोर से घुसा दिया। “आह… बहू, तेरी गांड तो जन्नत है,” सुरेंदर कराहते हुए बोला।
सोनिया ने अपनी कमर को और हिलाना शुरू कर दिया, और अब दोनों के शरीर एक दूसरे के साथ ताल में ताल मिला रहे थे। सोनिया की चूत से रस लगातार बह रहा था, और सुरेंदर की सख्त लोड उसकी गांड में अन्दर-बाहर हो रही थी। सोनिया ने अपने हाथों से सुरेंदर के गालों को कस कर पकड़ा और कहा, “बाबूजी, अब मेरी चूत को भी भर दो। आज मुझे तुम्हारे लंड का पूरा-पूरा मज़ा चाहिए।” सुरेंदर ने उसे तुरंत पलटाया और अब सोनिया को जमीन पर पेट के बल लिटा दिया।
उसने अपनी सख्त लोड को सोनिया की चूत पर रखा और जोर का धक्का मारा। “आह… बाबूजी, मेरी चूत पूरी तरह से तुम्हारे लिए ही बनी है,” सोनिया ने तड़पते हुए कहा। अब सुरेंदर ने सोनिया की चूत में जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए। सोनिया की चूत गीली हो चुकी थी, और सुरेंदर का लंड उसकी चूत के अन्दर पूरी तरह से डूबा हुआ था।
दोनों की सिसकारियां अब और तेज हो चुकी थीं। “आह… बाबूजी, और तेज़, मेरी चूत को पूरा भर दो,” सोनिया ने कराहते हुए कहा। सुरेंदर ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और सोनिया की चूत में अपना लंड और तेज गति से धकेलने लगा।
सोनिया का शरीर अब तड़पने लगा था, और उसने सुरेंदर की हर धक्के पर जोर से सिसकारी ली। कुछ ही देर बाद, सुरेंदर ने खुद को रोक नहीं पाया और जोर से कराहते हुए सोनिया की चूत में स्खलित हो गया। सोनिया ने भी एक जोरदार सिसकारी ली और दोनों एक साथ झड़ गए।
दोनों का शरीर अब पूरी तरह से पसीने में लथपथ हो चुका था। सोनिया ने अपनी साड़ी को उठाया और सुरेंदर की ओर मुस्कुराते हुए बोली, “बाबूजी, आज आपने मेरी सारी इच्छाएं पूरी कर दीं। अब मैं हमेशा के लिए आपकी हूँ।” सुरेंदर ने मुस्कुराते हुए कहा, “बहू, आज तूने मुझे वो मज़ा दिया जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
” दोनों ने अपनी कपड़े पहने और फिर जंगल से वापस घर की ओर चल पड़े, इस वादे के साथ कि यह खतरनाक खेल अब और भी मजेदार बनेगा।
कहानी का अगला भाग: Bahu Naye Tarike se Chudwaya P-4