ससुर और बहू का खतरनाक खेल-Bahu Naye Tarike se Chudwaya P-4

ससुर और बहू का खतरनाक खेल-Bahu Naye Tarike se Chudwaya P-4

Bahu Naye Tarike se Chudwaya P-4 : इस बार वह अपने ससुर को और भी अधिक चौंकाने और रोमांचित करने का मन बना चुकी थी। आज की योजना थी कि वे दोनों खेतों के बीच, जहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं था, वहां जाकर खेल खेलें। सोनिया ने सुरेंदर को पहले से ही बता दिया था कि आज का खेल पिछले बार से कहीं ज्यादा मजेदार और जोखिम भरा होने वाला है।

सुरेंदर अब किसी भी हालत में सोनिया का मना नहीं कर सकता था। दोपहर के वक्त सोनिया ने घर से निकलने की योजना बनाई।

कहानी का पिछला भाग: Khet me Bahu ki Chudai P-3

उसने एक हल्की साड़ी पहनी थी, जिससे उसका गोरा बदन साफ-साफ झलक रहा था। उसकी कमर से नीचे की हर हरकत सुरेंदर को और भी ज्यादा पागल कर रही थी। दोनों खेतों में एक सुनसान जगह पर पहुंच गए। चारों तरफ हरियाली थी और दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था।

सोनिया ने जैसे ही खेत में कदम रखा, उसने साड़ी का पल्लू उठाया और अपने पैरों की तरफ इशारा करते हुए सुरेंदर से कहा, “बाबूजी, देखो ये पैर… इनसे आपको आज और भी ज्यादा मजा मिलने वाला है।” सुरेंदर पहले से ही गर्म था। सोनिया के इशारे पर वह और भी उत्तेजित हो गया। उसने तुरंत सोनिया को अपनी ओर खींचा और उसके होंठों पर अपना मुंह रख दिया।

सोनिया ने भी अपने होठों से सुरेंदर के होंठों को पूरी तरह से चूसना शुरू कर दिया। वह धीरे-धीरे सुरेंदर के लंड को पकड़ने लगी और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी। सुरेंदर का लंड अब और भी सख्त हो चुका था। सोनिया ने सुरेंदर को एक पेड़ के सहारे खड़ा किया और खुद उसकी पैंट की ज़िप खोलने लगी। “बाबूजी, आज आपको खेतों की मिट्टी का असली मज़ा दूंगी,” उसने कहा और सुरेंदर का लंड बाहर निकाल लिया।

उसने अपने होंठों से सुरेंदर के लंड पर किस करना शुरू किया, और धीरे-धीरे उसे अपने मुंह में लेना शुरू कर दिया। सुरेंदर ने एक जोरदार सिसकारी ली और सोनिया की कमर को कसकर पकड़ लिया। “आह… बहू, आ……तूने मुझे पागल कर दिया,” सुरेंदर ने तड़पते हुए कहा।

सोनिया ने उसकी गांड को सहलाना शुरू किया और फिर अपनी जीभ से उसके लंड को चाटने लगी। उसके हाथ अब सुरेंदर की गांड पर जोर-जोर से फिर रहे थे, और सुरेंदर का लंड उसकी मुंह में अन्दर-बाहर हो रहा था और उसकी सांसें तेज हो गई थीं। खेतों की ताजगी और खुले आसमान के नीचे इस तरह का खेल उन्हें और भी ज्यादा रोमांचक बना रहा था। सुरेंदर की आंखें बंद थीं, और सोनिया उसके लंड को अपने होंठों और जीभ से सहला रही थी।

थोड़ी देर बाद सोनिया ने अपने होंठ हटाए और सुरेंदर की ओर शरारती नजरों से देखा। “बाबूजी, अभी तो खेल शुरू हुआ है। आज आपको मेरी गांड का असली मजा मिलेगा,” सोनिया ने कहा। सुरेंदर की आंखों में और भी ज्यादा उत्तेजना आ गई। सोनिया ने अपनी साड़ी को उठाया और अपनी चिकनी गांड को सुरेंदर के सामने कर दिया।

उसने कहा, “बाबूजी, अब इसे अंदर डालो, देखती हूँ तुम कितना मर्द हो।” सुरेंदर ने बिना कोई समय गंवाए सोनिया की गांड को पकड़ लिया और अपने लंड को उसके पास ले गया। सोनिया की गांड अब पूरी तरह से सुरेंदर के लंड के लिए तैयार थी।

उसने धीरे-धीरे एक जोर का धक्का मारा, और सुरेंदर का लंड सोनिया की गांड में घुसने लगा। “आह… बाबूजी, और जोर से… मेरी गांड फाड़ दो,” सोनिया ने सिसकारी लेते हुए कहा। सुरेंदर ने अब अपनी पूरी ताकत से सोनिया की गांड में धक्के मारने शुरू कर दिए। दोनों के शरीर पसीने से तर हो चुके थे, और दोनों ही एक-दूसरे को पूरी ताकत से भोग रहे थे। सोनिया की सिसकारियां खेतों की खामोशी को तोड़ रही थीं। “आह… बाबूजी, और तेज़ धक्के मारो… मेरी गांड को पूरा भर दो,” सोनिया ने कराहते हुए कहा।

सुरेंदर ने अब अपनी गति और बढ़ा दी, और उसके जोर के धक्कों से सोनिया की गांड के अंदर उसका लंड और गहराई तक चला गया। सोनिया की सिसकारियां और तेज़ हो गईं, और वह सुरेंदर को और धक्के मारने के लिए प्रेरित करने लगी। कुछ ही देर में, सुरेंदर और सोनिया दोनों चरम सीमा पर पहुंच गए। सुरेंदर का लंड सोनिया की गांड के अंदर पूरी तरह से घुसा हुआ था, और वह जोर-जोर से धक्के मार रहा था। सोनिया का शरीर भी तड़पते हुए हर धक्के पर हिल रहा था।

सुरेंदर और सोनिया दोनों ही चरम सीमा तक पहुंच चुके थे। सोनिया की गांड सुरेंदर के लंड से भरी हुई थी। जैसे ही सुरेंदर ने आखिरी जोर का धक्का मारा और उसकी गांड के अंदर ही स्खलित हो गया, सोनिया की सिसकारियां और तेज़ हो गईं। पर तभी एक अजीब घटना घटी। सुरेंदर का लंड जब सोनिया की गांड से बाहर आया, तो उसके लंड पर थोड़ा गंदगी लग गई थी।

सोनिया को भी इस बात का एहसास हुआ, लेकिन वह शर्माने के बजाय शरारत में मुस्कुराई। “बाबूजी, लगता है आप मेरी गांड को फाड़ने के चक्कर में कुछ ज्यादा ही अंदर तक चले गए,” सोनिया ने हंसते हुए कहा। सुरेंदर ने भी स्थिति को हल्के में लिया और हंसते हुए बोला, “बहू, यह सब तुम्हारी मस्ती का नतीजा है।” सोनिया ने अपने हाथ से सुरेंदर के लंड को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे साफ करना शुरू किया। “कोई बात नहीं बाबूजी, मैं इसे साफ कर दूंगी,” उसने कहा और अपने होंठों से सुरेंदर के लंड को चूमने लगी।

उसकी जीभ अब सुरेंदर के लंड पर लगी गंदगी को चाटने लगी, और उसने धीरे-धीरे उसे पूरी तरह से साफ कर दिया। सोनिया अब और भी उत्तेजित हो चुकी थी। “बाबूजी, अब मैं पूरी तरह से तैयार हूं। आप जब चाहो, मेरी चूत और गांड दोनों तुम्हारे लिए हमेशा खुली रहेंगी,” उसने कहा। सुरेंदर ने सोनिया की इस बेजोड़ वफादारी को देखते हुए उसकी पीठ पर एक प्यार भरी थपकी दी और कहा, “बहू, तूने मुझे वो मजा दिया है जो मैं कभी नहीं भूल सकता।” सोनिया ने सुरेंदर की ओर देखा और शरारत से मुस्कुराई। “बाबूजी, अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है। अभी तो और भी मजेदार खेल बाकी हैं।”

सुरेंदर ने सोनिया को अपनी बाहों में भर लिया और दोनों ने एक-दूसरे को आखिरी बार चूमा। फिर उन्होंने अपने कपड़े पहने और खेत से वापस घर की ओर चल दिए, यह सोचते हुए कि अगली बार और भी ज्यादा खतरनाक खेल खेलेंगे।

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कहानी का अगला भाग: Bahu ne Sasur ki gand maar li P-5

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