Bhabhi ki Bahan ki Chudai की कहानी में पड़े:-
हलो दोस्तों, मैं रोहन, अपनी जिंदगी की वो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरे दिल और जिस्म, दोनों को हिला कर रख दिया। ये मेरी जिंदगी का वो हसीन पल था, जब मैंने अपनी भाभी की छोटी बहन ज़ोया के साथ वो मस्ती की, जो मैंने पहले कभी सोची भी न थी। बात उस वक्त की है, जब मेरे बड़े भैया राजन की शादी पक्की करने हम लोग लड़की देखने गए थे। मैं, मेरे पिताजी, और राजन भैया, सब साथ में बदायूं गए। वहाँ मेरी होने वाली भाभी, यानी रीता, एकदम कड़क माल थी। गोरी-चिट्टी, मस्त गदराया बदन, और वो चुन्नी के नीचे छुपी मोटी-मोटी छातियाँ, बाप रे! मैं तो दावे से कह सकता हूँ, भैया का लंड तो उसे देखते ही खड़ा हो गया होगा। रीता ट्रे में पानी और मिठाई लेकर आई थी, और उसकी शरमाई सी मुस्कान देखकर मेरा भी दिल ललचा गया। पर उस वक्त मेरी नजरें रीता की छोटी बहन ज़ोया पर टिक गईं।
ज़ोया, बाप रे, वो तो किसी अप्सरा से कम न थी। 18 साल की उम्र, काली-काली चमकती आँखें, लंबे घने बाल, और वो पतली कमर, जिसके नीचे मस्त गोल-गोल चूतड़ उभरे हुए थे। रिश्ते में वो मेरी साली थी, और मैंने मन ही मन सोच लिया, भाभी तो भैया के नाम बुक हो गई, पर ये ज़ोया तो अभी कुंवारी है। अभी इसकी पढ़ाई पूरी होने में कम से कम 5 साल बाकी हैं, तब तक तो मैं इसकी चूत का मजा लूट सकता हूँ। बस, उसी दिन से मेरे दिमाग में ज़ोया को पटाने की प्लानिंग शुरू हो गई।
भैया की शादी हो गई। सुहागरात की रात, मैंने चुपके से खिड़की से उनकी रासलीला देखी। बाप रे, क्या सीन था! भैया ने भाभी की चूत की ऐसी फाड़ चुदाई की, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार पर टूट पड़ा हो। भाभी की मादक सिसकारियाँ, उनके नंगे जिस्म की चमक, और वो बिस्तर का हिलना, सब कुछ मेरे दिमाग में बस गया। मैंने सोचा, अगर भाभी इतनी मस्त माल है, तो ज़ोया तो और भी गजब की होगी। Bhabhi ki Bahan ki Chudai
अगली सुबह मैं चाय लेकर भैया के कमरे में गया। “भैया! चाय लाया हूँ!” मैंने दरवाजा खटखटाया। कोई जवाब नहीं आया। मैंने खिड़की से झाँका तो देखा, भैया और भाभी दोनों नंगे, एक-दूसरे से लिपटे, बिस्तर पर गहरी नींद में थे। भाभी की गोल-गोल चुच्चियाँ, उनका गोरा बदन, और वो हल्का सा खून का दाग जो बेडशीट पर था, सब कुछ बता रहा था कि रात भर भैया ने भाभी की कुँवारी चूत को फाड़-फाड़ कर चोदा होगा। मैं चाय लेकर वापस लौट आया और माँ से कहा, “भैया अभी सो रहे हैं।” पर मेरा दिमाग तो बस भाभी की नंगी छातियों पर अटक गया था। मैं सोचने लगा, भैया ने कैसे भाभी की टाँगें उठाकर उनकी चूत में लंड पेला होगा, कैसे उनके मोटे-मोटे मम्मों को मुँह में भरकर चूसा होगा, कैसे उनकी गाण्ड को सहलाया होगा। क्या भाभी ने भैया का लंड मुँह में लिया होगा? क्या भैया ने उनकी नाभि को चाटा होगा? और क्या उनकी छातियों के बीच अपना लंड रगड़कर चोदा होगा? ये सब सोचते-सोचते मेरा लंड तन गया, और मैंने बाथरूम में जाकर जोरदार मुठ मार दी।
कुछ महीने बाद, भाभी के पैर भारी हो गए। घर में काम करने वाला कोई नहीं था, तो भाभी की माँ ने ज़ोया को लखनऊ हमारे घर भेज दिया। मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई। ज़ोया जब आई, तो उसका रूप देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। वो पहले से भी ज्यादा मस्त लग रही थी। गोरी-चिट्टी, मक्खन जैसा बदन, और वो टाइट सलवार-कमीज, जो उसके जिस्म के हर कट को उभार रही थी। पहले दिन हमने घरवालों के सामने ज्यादा बात नहीं की, पर मेरी आँखें बार-बार उसकी कमर और चूतड़ों पर चली जाती थीं। दोपहर में जब भैया और पिताजी ऑफिस चले गए, भाभी काम करके सो गईं, और माँ कूलर चलाकर लेट गईं, मैंने ज़ोया को छत पर बुलाया। Bhabhi ki Bahan ki Chudai
उस दिन गर्मी का आलम था। आसमान में सूरज आग उगल रहा था, और छत पर पड़ी टीन की छांव में पुराना कबाड़, सूखी लकड़ियाँ, और कुछ टाट के बोरे पड़े थे। मैंने ज़ोया को टीन के नीचे आने को कहा। वो आई, और उसकी आँखों में वही शरारत थी, जो फोन पर हमारी गंदी बातों में झलकती थी। हम दोनों पहले से ही फोन सेक्स में डूब चुके थे। मैं उसकी गीली चूत की बातें करता, और वो मेरे लंड की तारीफ करती। आज वो मेरे सामने थी, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
मैंने ज़ोया को अपनी बाहों में भर लिया। उसने भी मुझे कसकर जकड़ लिया, जैसे बरसों की प्यास बुझाने को बेताब हो। हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और मेरे हाथ उसके जिस्म के हर हिस्से को टटोलने लगे। उसकी कमर, उसके चूतड़, और वो मोटी-मोटी चुच्चियाँ, जो सलवार के ऊपर से ही उभरी हुई थीं। मैंने कुछ टाट के बोरे जमीन पर बिछाए, और हम दोनों उस पर बैठ गए। मैंने उससे उसके घर का हाल-चाल पूछा, पर मेरा ध्यान तो बस उसके होंठों पर था, जो गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लाल थे। वो बात करती रही, और मैं उसके गालों, माथे, और होंठों को चूमता रहा। उसकी साँसें तेज होने लगीं, और मैं समझ गया कि वो भी उतनी ही चुदासी हो रही है, जितना मैं।
एक घंटे तक हम यूं ही बातें करते रहे, पर मेरा लंड अब बेकरार हो रहा था। मैंने ज़ोया को टाट के बोरों पर लिटा दिया और कहा, “ज़ोया, आज तेरी चूत चाहिए। अब और बर्दाश्त नहीं होता।” उसने शरमाते हुए कहा, “ले लो, रोहन। मैं भी तो यही चाहती हूँ।” बस, फिर क्या था। मैंने उसका सलवार-कमीज ऊपर उठाया। उसकी ब्रा को थोड़ा सा खींचा, और बाप रे! उसकी चुच्चियाँ देखकर तो मेरी साँस रुक गई। गोल-गोल, मक्खन जैसे गोरे, और उन पर काली-काली निपल्स, जैसे कोई चेरी रखी हो। मैं तो बस उन्हें निहारता रहा। फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगलियों से उसकी निपल्स को छुआ। वो सिहर उठी, और उसके होंठ कांपने लगे। उसकी साँसें तेज हो गईं, और उसकी चुच्चियाँ ऊपर-नीचे होने लगीं। Bhabhi ki Bahan ki Chudai
मैंने उसकी बायीं चुच्ची को मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे कोई बच्चा अपनी माँ का दूध पीता है। उसकी निपल्स को मैंने जीभ से चाटा, और वो सिसकारियाँ भरने लगी। “उफ़्फ़, रोहन… आह्ह…” उसकी आवाज सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने दूसरी चुच्ची को भी मुँह में भरा और जोर-जोर से चूसा। उसका पूरा सूट मैंने उतार दिया। उसका गोरा-चिट्टा जिस्म, उसकी पतली कमर, और वो नाभि, जो किसी गहरे कुएँ की तरह थी, मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ उसकी नाभि में डाली और चाटने लगा। ज़ोया मचल रही थी, और उसकी सिसकारियाँ छत की टीन से टकरा रही थीं।
मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा लंड, जो अब पूरी तरह तन चुका था, देखकर ज़ोया शरमा गई और नजरें फेर लीं। मैंने हंसते हुए कहा, “देख ले, ज़ोया! इसे तो तू फोन पर इतना तारीफ करती थी।” मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने मोटे, गदराए लंड पर रख दिया। वो कांप गई, पर मैंने जबरदस्ती उसका हाथ अपने लंड पर रगड़वाया। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड को सहलाने लगीं, और वो शरम से लाल हो गई। मैंने उसे फिर से टाट के बोरों पर लिटाया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसकी पैंटी उतारी, और देखा कि मेरे फोरप्ले की वजह से उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। उसकी चूत की गुलाबी फांकें चमक रही थीं, और उसका पानी टपक रहा था।
“मत करो, रोहन… शरम आती है,” उसने मना किया, पर उसकी आवाज में वही चुदास थी, जो मैं चाहता था। मैंने उसकी चूत की फांकों को अपने अंगूठों से फैलाया और जीभ से चाटने लगा। उसका स्वाद, बाप रे, जैसे कोई मिठाई हो। मैंने उसकी चूत को चूस-चूसकर और गीला कर दिया। ज़ोया की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं। “आह्ह… रोहन… और करो… उफ़्फ़…” वो मचल रही थी, और उसकी कमर हिल रही थी। मैंने पूरे एक घंटे तक उसकी चूत को चाटा, उसकी निपल्स को मसला, और उसके जिस्म के हर हिस्से को प्यार किया। मैं जानता था कि चुदाई से पहले फोरप्ले जरूरी है, ताकि लड़की की चूत अच्छे से गीली हो जाए और वो कसकर चुदवाए। Bhabhi ki Bahan ki Chudai
अब मैंने अपना मोटा लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर पेल दिया। “उफ़्फ़, कितनी कसी चूत है तेरी, ज़ोया!” मैंने कहा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड पूरा अंदर जाने में वक्त लगा। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। ज़ोया की सिसकारियाँ और तेज हो गईं। “आह्ह… रोहन… धीरे… दर्द हो रहा है…” पर मैंने उसकी एक न सुनी और जोर-जोर से पेलने लगा। छत की टीन के नीचे, गर्मी की तपिश में, हम दोनों पसीने से तर-बतर थे, पर चुदाई का जुनून इतना था कि कुछ और दिखाई ही नहीं दे रहा था।
मेरा दिमाग में बस यही डर था कि कहीं भाभी या माँ छत पर न आ जाएँ, क्योंकि कोई दरवाजा नहीं था। पर चुदाई के मजे में ये डर भी कहीं गायब हो गया। मैंने ज़ोया की टाँगें उठाईं और उसके पेट पर क्रॉस करके मोड़ दीं। एक टांग दूसरी के ऊपर रखकर मैंने गहरे धक्के मारने शुरू किए। मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियाँ बढ़ रही थीं। “रोहन… और जोर से… चोदो मुझे…” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसे खूब देर तक पेला, और जब मैं झड़ने वाला था, मैंने लंड बाहर निकाला और उसका माल उसके पेट पर गिरा दिया। ज़ोया ने अपनी उंगलियों से मेरा माल उठाया और चाट लिया, जैसे कोई भूखी शेरनी हो।
अब मैंने उसे उठाया और खुद टाट के बोरों पर लेट गया। “ज़ोया, अब तू मेरा लंड चूस,” मैंने कहा। वो थोड़ा झिझकी, बोली, “ये कैसे करते हैं?” मैंने हंसकर कहा, “तेरी दीदी भी भैया का लंड ऐसे ही चूसती है। देख, ऐसे!” मैंने उसका मुँह अपने लंड पर रखा, और वो धीरे-धीरे चूसने लगी। पहले तो वो शरमाई, पर फिर वो ऐसे चूसने लगी जैसे कोई लॉलीपॉप हो। मैंने अपने दोनों हाथ सिर के नीचे रखे और मजे लेने लगा। “ज़ोया, तू तो बड़ी मस्त चूसती है,” मैंने कहा। वो हँस पड़ी और बोली, “तुम झांटे क्यों नहीं बनाते?” मैंने कहा, “जल्दी में था, तुझे चोदने की तलब जो थी!” हम दोनों हँस पड़े।
फिर मैंने उसे अपने लंड पर बैठाया। “धीरे-धीरे उछल, ज़ोया। मुझे चोद,” मैंने समझाया। वो अपनी कमर उठा-उठाकर चुदवाने लगी। उसकी चूत मेरे लंड को पूरा निगल रही थी, और उसकी चुच्चियाँ उछल-उछलकर मेरे सामने नाच रही थीं। मैंने उसकी निपल्स को मसला, उसके होंठों को सहलाया, और वो बस मजे में सिसकारियाँ भरती रही। बड़ी देर तक वो मुझे चोदती रही, और मैं उसकी चुच्चियों को सहलाता रहा। जब वो थक गई, मैंने उसे उठाया और पीछे मुँह करके बैठाया। अब वो उछल-उछलकर चुदवाने लगी, और मैं उसकी नंगी पीठ, उसकी कमर, और उसके गोल-गोल चूतड़ों को सहलाता रहा। उसकी चूत की गर्मी और मेरे लंड का तनाव, दोनों मिलकर मुझे जन्नत का मजा दे रहे थे। Bhabhi ki Bahan ki Chudai
जब मैं फिर से झड़ने वाला था, मैंने लंड बाहर निकाला और उसका माल उसके मुँह में छोड़ दिया। ज़ोया ने मेरा पूरा माल पी लिया, और जो उसके चेहरे पर लगा, उसे भी उंगलियों से चाट लिया। अब मैंने उसे चौपाया बनाया। उसके गुलाबी चूतड़ों के बीच मैंने अपना मुँह डाला और उसकी चूत को फिर से चूसने लगा। मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई तक जा रही थी, और वो मचल रही थी। “रोहन… बस करो… अब और नहीं…” वो कह रही थी, पर मैंने उसकी चूत को और जोर से चाटा। उसकी चूत की गुलाबी मलाई मेरे मुँह में घुल रही थी, और मैं बस उसका स्वाद लेता रहा।
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला, पर बार-बार सरक रहा था। मैंने थोड़ा थूक लगाया और फिर से कोशिश की। इस बार लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। मैंने उसकी मस्त दुधिया कमर को कसकर पकड़ा और जोर-जोर से पेलने लगा। हर धक्के के साथ उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं, और उसकी सिसकारियाँ छत पर गूंज रही थीं। “रोहन… आह्ह… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसे खूब देर तक पेला, और जब मैं झड़ने वाला था, मैंने फिर से माल उसके चूतड़ों पर गिरा दिया। Bhabhi ki Bahan ki Chudai
उस दिन के बाद, ज़ोया पूरे दो महीने हमारे घर रही। हर दिन दोपहर में, जब घरवाले सो जाते थे, मैं उसे छत पर ले जाता और टीन के नीचे उसकी चूत की चुदाई करता। कभी मैं उसकी चुच्चियाँ चूसता, कभी उसकी चूत चाटता, और कभी उसे अपने लंड पर उछलवाता। हर बार वो नई-नई मुद्राओं में चुदवाती, और मैं उसका माल पीता। जब भाभी का बेटा एक महीने का हुआ, ज़ोया अपने घर चली गई। पर हमारी फोन सेक्स की आदत नहीं छूटी। हर रात हम गंदी-गंदी बातें करते, और जब भी वो लखनऊ आती, मैं उसकी चूत का मजा लेता। ज़ोया मेरे लिए बस एक साली नहीं, बल्कि मेरी चुदाई की मालकिन बन गई थी।