स्कूल में बॉयफ्रेंड को गिफ्ट में दी वर्जिनिटी-school girl fuck

हेलो दोस्तों मैं आदित्य, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “चुदाई के लिए पोती ने दादा से चुदवाया-dada ne pela poti ko” यह कहानी काशवी की है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।

दोस्तो, मैं आपकी काशवी एक बार पुनः आपके समक्ष उपस्थित हूँ.

जो मेरे नाम से परिचित नहीं हैं, उनके लिए अपना परिचय पुनः लिख रही हूँ.

वर्तमान में मेरी उम्र 21 साल है. मेरे डैड बिजनेस मैन हैं. मैं अपने पापा के चाचा चाची के पास रहती हूँ.
वे एक तरह से मेरे दादा दादी ही हुए तो यों समझ लो कि मैं दादा दादी के पास रहती हूँ.

मुझे मेरे दादा दादी से बहुत लगाव है.

मेरी फिगर बहुत मस्त है.
मेरे बड़े बड़े चूचे हैं जिन पर सभी मर्दों की नजर रहना सामान्य सी बात है. dada ne pela poti ko
लेकिन यहां यह लिखना आपको हैरान करेगा कि मेरे मम्मों पर मेरे दादा जी की नज़र अक्सर टिकी रहती है.

फॅमिली कहानी मेरे ददद जी की है

एक बार मैं अपने कमरे में सोई हुई थी तो अचानक से मेरी नींद खुल गई.

मैंने देखा कि कहीं से रोशनी आ रही है.
मुझे अहसास हुआ कि यह रोशनी बाजू वाले कमरे से आ रही है.

मैं उठ कर देखने गई तो बाजू वाले कमरे में यानि मेरे दादा दादी के कमरे में रोशनी जल रही थी.

मैंने खिड़की से अन्दर झांक कर देखा तो अन्दर दादा जी, दादी जी को चोद रहे थे.

दादा जी तो जोश में थे मगर दादी जी थोड़ी ढीली सी हो गई थीं.
उनके चूचे भी लटकने लगे थे और उनकी चूत भी बड़ी हो कर फैल सी गई थी.

इन्हीं सब वजहों से शायद दादी जी को चुदाई से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था. dada ne pela poti ko

उन दोनों की चुदाई देख कर मेरा जवान दिल बल्लियों उछलने लगा था और मेरे दिल में भी अब चुदाई करने की प्यास जाग गई.
मुझे दादा जी का मूसल ब्रांड लंड बेहद दिलकश लगने लगा था.

मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी और चूत को भी रगड़ने लगी.
मेरी चूत से पानी रिसने लगा था तो मैं अपने कमरे में आ गई और अपने मोबाइल में अन्तर्वासना की साइट खोल कर सेक्स कहानी पढ़ने लगी.
फिर मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी.

अब मुझे अपनी चूत में उंगली करने की आदत हो गई थी.
तो जब भी मेरा मन करता … मैं अपनी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगती थी.
इससे मुझे बहुत अच्छा लगता था.

उस दिन दादा जी लंड अपनी नन्हीं सी चूत में घुसेड़ने की कल्पना करते हुए मैंने मुठ मारी तो बहुत मजा आया.

फिर एक दिन मेरी दादी की तबीयत खराब हो गई. पापा ने दादी का इलाज करवाने के लिए उन्हें शहर बुला लिया.
मेरे एग्जाम थे, इसलिए मैं और दादा जी पापा के पास नहीं गए.

रात में मैं अपने रूम में सेक्स कहानी पढ़ते पढ़ते नंगी हो गई और अपनी चूत में उंगली डालने लगी.

कहानी बहुत मस्त थी तो मैं जल्दी ही गर्म हो गई और उस कहानी में खुद को नायिका मानती हुई अपनी चूत की रगड़ाई का मजा लेने लगी.
कभी कभी मैं अपने चूचे भी दबाने में लग जाती थी.

उस दिन मैं ग़लती से अपने रूम के दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई थी.

दादा जी मुझे देखने आए कि मैं पढ़ाई कर रही हूँ, तो मुझे कुछ चीज़ की ज़रूरत तो नहीं है.

दादा जी ने सोचा होगा कि कहीं मुझे डिस्टर्ब ना हो … इसलिए वे बिना आवाज दिए धीरे धीरे से कमरे के करीब आए और दरवाजे की झिरी में से अन्दर झांकने लगे.

उन्होंने मुझे चूत में उंगली करते देख लिया और मेरे बड़े बड़े दूध नंगे देख कर वे उत्तेजित हो गए और वहीं अपना लंड हिलाने लगे.

उस वक्त शायद मेरे दादा जी के भी दिल में मुझे चोदने का ख्याल आने लगा था.

दादा जी की नज़रों में बार बार मेरी टाइट चूत और बड़े बड़े चूचे आ रहे थे.
उन्होंने अपने लौड़े की मुठ मारी और वे वापस अपने कमरे में चले गए.

जब वे अपने लंड की मुठ मार रहे थे तब मेरी नजर उन पर पड़ गई थी. dada ne pela poti ko
मैं अधखुली आँखों से दादा जी की वासना से खुद को गर्म करती रही और अपनी चूत में उंगली करती रही.

अगली सुबह मैं एग्जाम देकर आई, तो दादा जी कुछ अलग सी निगाहों से मुझे देखने लगे.
उनकी नज़र बार बार मेरे चूचे पर जा रही थी.

उन्होंने बातों बातों में मुझे अपनी गोदी में बिठा लिया और मुझे प्यार करने लगे.
उनका लंड मेरी जवान देह की गर्मी पाकर खड़ा होने लगा और मुझे उनका मोटा सा लंड नीचे से सीधा मेरी गांड पर चुभने लगा था.

उन्होंने बातों बातों में 1-2 बार मेरी चूचियों पर भी अपना हाथ फेर दिया था.

उनके कड़क लंड से मैं समझ गई थी कि दादा जी के मन में सेक्स भर गया है और शायद वे आज मुझे चोदना चाहते हैं.

मैंने उनकी गोदी से उठते हुए उनसे से कहा- मैं कपड़े बदल कर आती हूँ.

मैं उठी और अपनी गांड मटकाती हुई अपने दादा जी के लंड में आग लगाती हुई अपने कमरे में चली गई.
मैंने जानबूझ कर अपने कमरे के दरवाजे खुले ही छोड़ दिए थे.

अब मैं खुले दरवाजे में ही अपने कपड़े बदलने लगी.

मैंने दर्पण में से देखा कि दादा जी चुपके से मेरी तरफ देख रहे हैं और अपना लंड मसल रहे हैं. dada ne pela poti ko

उस वक्त मैं अन्दर ही अन्दर बेहद कामुक हो गई थी और मेरे दिल में भी चुदने की आशा बढ़ती ही जा रही थी.

उस वक्त तो कुछ नहीं हुआ लेकिन मुझे लगने लगा था कि आज हम दोनों की टांगों के बीच बहुत कुछ होने लगा था और शायद आज रात को खेला हो सकता था.

फिर रात में हम दोनों खाना खा कर सोने चले गए.

आधी रात में मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी टाँगों पर हाथ फेर रहा है, जो मेरी जाँघ से लेकर मेरी चूत के ऊपर भी हाथ रख रहा है.

इससे मेरी नींद खुल गई थी … मगर मैं फिर भी सोने का नाटक कर रही थी.

दादा जी ने मेरी टी-शर्ट ऊपर कर दी थी, जिससे मेरे चूचे उनके सामने खुल गए थे.
वे एकदम से कामान्ध हो उठे और मेरे दूध दबाने लगे. dada ne pela poti ko

कुछ पल बाद दादा जी ने मेरा एक दूध अपने मुँह में भर लिया और दूसरे दूध को वे मस्ती से दबाने और भींचने लगे.

फिर जैसे ही दादा जी ने मेरे एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसना चालू किया तो मैं मस्त होने लगी.

मेरी तरफ से जरा सी भी आपत्ति न पाते हुए दादा जी अब पूरे मर्द बन कर मेरी जवानी से खेलने लगे थे.

कुछ देर मेरे मम्मों से खेलने के बाद दादा जी ने मेरा नाइट पैंट भी निकाल दिया और मेरी टांगों को फैला दिया.

उन्होंने अपना मुँह मेरी चूत पर रखा और जैसे ही उन्होंने जीभ लगाई, मेरी बॉडी में मानो बिजली सी दौड़ने लगी, मैंने तुरंत उनके बाल पकड़ लिए.

मेरे यकायक ऐसा करने से दादा जी डर गए कि मैंने उन्हें पकड़ लिया है.
वे अलग होने को हुए तो मैंने कहा- करो दादा जी … प्लीज चाटो मेरी चूत!

दादा जी समझ गए कि मैं चुदना चाहती हूँ.
उन्होंने बिना देरी किए मेरी चूत चाटना चालू कर दिया.

‘अह … अया.’ मेरी मादक सिसकारियां रुक ही नहीं रही थीं.
पहली बार किसी मर्द की जुबान मेरी चूत के मज़ा ले रही थी.

कुछ देर ऐसे ही चूत चाटने के बाद दादा जी ने अपना पजामा उतार दिया.
मैं उनका लंड देखने लगी.
उनका खड़ा लंड ऐसा लग रहा था मानो अजगर चूत फाड़ने के लिए फनफना रहा है.

दादा जी ने मेरी चूत में लंड टिका दिया और धीरे से घुसेड़ दिया.

मेरी तो चूत जैसे फ़ट ही गई, ऐसा लगा कि मेरी चूत में पहली बार कोई लंड घुसा था.

मैं चिल्लाने लगी- अया … अया … उफ्फ़ … मेरी चूत … बहुत दर्द हो रहा है दादा जी! dada ne pela poti ko

दादा जी कहने लगे- कुछ नहीं होता … तूने शायद पहली बार लंड लिया है … पहली बार में तो दर्द होता ही है मेरी बच्ची … आज मजा ले ले!

यह कह कर दादा जी ने फिर से एक झटका मारा, जिससे उनका लंड और अन्दर चला गया.
अब मैं दर्द से तड़फ रही थी और छटपटाती हुई चिल्ला भी रही थी.

मेरी चूत से खून भी निकल गया था लेकिन दादा जी अपना लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर किए जा रहे थे.

कुछ देर बाद मेरा दर्द खत्म होने लगा और मुझे मज़ा आने लगा. मैं भी अपनी गांड उठाने लगी थी तो यह देख कर दादा जी अब मुझे जोर जोर से चोदने लगे.

वे बीच बीच में मेरे दूध अपने मुँह से खींचते हुए कहने लगे- आआहह! क्या मस्त माल चोदने मिला है … इतने साल से तू मेरे पास है, पर आज तुझे पहली बार चोद रहा हूँ … ऐसी टाइट चूत चोदे हुए ज़माना बीत गया … अब तो बस तेरी दादी की वही फटी हुई भोसड़ी चोदना पड़ती है.

मैं भी बीच बीच में बोल रही थी कि हाँ दादा जी, अब आप ही मेरी चूत की प्यास मिटाना. आपका जब दिल चाहे … मेरी चूत चोद देना!

दादा जी मुझे धकापेल चोदते जा रहे थे और मेरे मम्मों को बारी बारी से बदल बदल कर अपने होंठों से दबा दबा के खींच रहे थे.

मैं आह करती तो वे एक दूध को छोड़ कर दूसरे दूध को अपने मुँह में भर लेते और उसी के साथ दादा जी फिर से एक जोर का झटका देते हुए फिर से चोदने लगते.

थोड़ी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद दादा जी ने अपना लंड एकदम से चूत से बाहर निकाला और अपना पूरा पानी मेरी जाँघ पर निकाल दिया. dada ne pela poti ko

मैं उनके लंड के गर्म रस का अहसास लेती हुई हाँफ रही थी और दादा जी भी हांफते हुए रस की पिचकारियाँ मार रहे थे.

फिर वे झड़ कर मेरे ऊपर ही लेट गए.

कुछ देर बाद हम दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ करने लगे.

कुछ देर बाद दादा जी मुझे नहलाने लगे और मुझे नहलाते हुए ही मेरी चूत में उंगली करने लगे. जिससे मैं और दादा जी दोनों गर्म हो गए थे.

अब दादा जी का लंड फिर से मेरी चूत चोदने को तैयार हो गया था.

इस बार दादा जी ने मेरी एक टाँग को अपने हाथ से पकड़ कर उठाया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
मैं जब तक संभल पाती कि वे मेरी चूत को धकापेल चोदने लगे.

हम दोनों के बदन गीले होने की वजह से बाथरूम में फॅक … फॅक … की मस्त आवाज़ आने लगी और हम दोनों को मज़ा आने लगा.

कुछ देर ऐसे ही चुदाई होने के बाद हम दोनों झड़ गए और नंगे ही बाहर आकर एक साथ सो गए.

उसके बाद तो दादा जी ने दादी के आने तक मुझे न जाने कितनी बार चोदा होगा.
अब तो मुझे खुद भी उनके लंड से चुदे बिना चैन ही नहीं पड़ता है. dada ne pela poti ko

कुछ दिन बाद दादी जी वापस आ भी गई थीं तो भी दादा जी उनके सोने के बाद मेरे रूम में आकर मुझे चोद लेते हैं.

तो दोस्तो, मैं आशा करती हूँ कि आपको दादा पोती की चुदाई की इंडियन फॅमिली कहानी पसंद आई होगी.
तब तक आप अपने लंड चूत को सहलाने का मज़ा लीजिए, मैं काशवी फिर से अपनी नई चुदाई की कहानी लेकर आती हूँ.

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