गन्ने के खेत में चोदम चुदाई - Ganne Ke Khet Me Chudai

गन्ने के खेत में चोदम चुदाई – Ganne Ke Khet Me Chudai

Ganne Ke Khet Me Chudai :- हैलो दोस्तों, मेरा नाम विकास है। मैं एक छोटे से गांव में रहता हूँ, जहां खेतों की हरियाली और सन्नाटे की सैर हर रोज का हिस्सा है। मेरी उम्र 24 साल है, और मैं खेतों में काम करता हूँ, ट्रैक्टर चलाता हूँ, और गांव की जिंदगी का पूरा मजा लेता हूँ। मेरी कहानी उस दिन की है, जब मैंने अपनी खेत वाली पड़ोसन निकिता को गन्ने के खेत में चोदा। निकिता, यार, क्या माल थी! गोरी-चिट्टी, भरे हुए चूचे, पतली कमर, और वो गांड, जो सलवार में हिलते हुए देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। वो मेरे पड़ोस में रहती थी, और हमारी अक्सर बातचीत होती थी। कभी खेत में, कभी कुएं पर, कभी गांव की गलियों में। उसकी स्माइल में कुछ ऐसा था कि मेरा दिल और लंड दोनों ही पागल हो जाते थे।

उस दिन सुबह-सुबह मैं अपने खेत में ट्रैक्टर लेकर पहुंचा। सूरज की हल्की धूप थी, और गन्ने के खेतों में ठंडी हवा चल रही थी। मैंने देखा कि निकिता अपने खेत में अकेली थी, झुककर सरसों का साग तोड़ रही थी। उसकी सलवार में उसकी गांड इतनी मस्त उभरी हुई थी कि मेरा लंड पजामे में तंबू बन गया। वो झुकी हुई थी, और उसका दुपट्टा थोड़ा सा खिसक गया था, जिससे उसकी कमर और चूचों की लकीर साफ दिख रही थी। मैंने मन में सोचा, “विक्रांत, आज मौका है, इसको चोदने का टाइम आ गया।”

मैंने पीछे से आवाज लगाई, “अरे निकिता, आज अकेली कैसे?” वो सीधी हुई, उसने मुझे देखकर एक सेक्सी स्माइल दी और बोली, “सब घरवाले बुआ की लड़की की शादी में गए हैं। मैं अकेली ही हूँ।” उसकी आवाज में कुछ ऐसा था, जैसे वो मुझे ललकार रही हो। मैंने मन में सोचा, “साला, आज तो ये चूत मेरी है।” उसकी स्माइल ने मेरे दिमाग को शैतान बना दिया। मैंने उससे पूछा, “निकिता, तेरे पास दराती है?” वो बोली, “मेरे पास तो नहीं, लेकिन कुएं पर रखी है।” मैंने कहा, “मेरा ट्रैक्टर स्टार्ट नहीं हो रहा, तू ले आ।” वो बोली, “ठीक है, मैं अभी लाती हूँ। वहां कौन-कौन है?” मैंने कहा, “बस मैं अकेला हूँ।” उसने फिर वही सेक्सी स्माइल दी और बोली, “ठीक है, मैं लाती हूँ, तू चल।”

मैं ट्रैक्टर के पास पहुंचा, जहां मैंने चूल्हे पर दूध गर्म किया हुआ था। गांव का शुद्ध दूध, गरम-गरम, जिसे मेरा छोटा भाई नवीन लाया था। मैंने सोचा, “आज ये दूध भी काम आएगा।” थोड़ी देर में निकिता दराती लेकर आई। वो बोली, “ये ले, दराती। इसका क्या करना है?” मैंने कहा, “इसे यहीं रख दे। और हां, मुझे तुझे कुछ दिखाना है।” पास में ही गन्ने का खेत था, घना और सुनसान। मैंने कहा, “चल, गन्ने के खेत में। वहां कुछ है, पता नहीं क्या।” वो बिना कुछ सोचे मेरे साथ चल पड़ी।

गन्ने के खेत में चोदम चुदाई – Ganne Ke Khet Mein Chudai

जैसे ही हम गन्ने के खेत में घुसे, मैंने उसे पीछे से कसकर पकड़ लिया। उसकी कमर इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया। वो चौंकी और बोली, “ये क्या कर रहा है, दीपक? पागल हो गया है क्या? मैं अपने भैया को बता दूंगी।” मैंने कहा, “यार, मैं तुझे बहुत पसंद करता हूँ। तू इतनी सेक्सी, इतनी हॉट है।” वो बोली, “पसंद तो मैं भी तुझे करती हूँ, लेकिन ये कोई तरीका है?” मैंने कहा, “आज मुझे मत रोको। कब से तेरे लिए पागल हो रहा हूँ।” वो बोली, “तू सही में पागल है। अगर किसी ने हमें देख लिया, तो गांव में हमारी इज्जत उछल जाएगी।” मैंने कहा, “कुछ नहीं होगा। तेरे घरवाले नहीं हैं, मेरे भी नहीं। आज बस हम दोनों हैं।”

मैंने उसे किस करना शुरू किया। उसके गले, होंठों, गालों पर। उसके कान के पास के छोटे-छोटे बाल देखकर मेरा लंड और तन गया। मैंने उसके चूचे धीरे-धीरे दबाने शुरू किए। वो बोली, “मुझे दर्द हो रहा है, छोड़ दे। तुझे शर्म नहीं आती? अकेली लड़की देखी और टूट पड़ा?” मैंने उसे बोरी पर लेटा दिया, जो मैंने ट्रैक्टर के पास से लाई थी। गन्ने के पत्तों की सरसराहट के बीच मैंने उसे लगातार किस किया। उसके गले, जांघों, और चूचों पर मेरे होंठ घूम रहे थे। अब उसे भी मजा आने लगा था। वो कुछ नहीं बोल रही थी, बस सिसकियां ले रही थी।

वो डरते हुए बोली, “हम किनारे पर हैं, हमारी आवाज बाहर जाएगी। कोई सुन लेगा, तो दिक्कत हो जाएगी।” मैंने कहा, “तू मुझे पसंद करती है ना?” वो बोली, “हां।” मैंने कहा, “तो भाग मत। मैं बोरी और दूध का डब्बा लाता हूँ।” मैं दौड़कर ट्रैक्टर के पास गया, जूट की बोरी और गरम दूध का डब्बा उठाया, और वापस खेत में आ गया। निकिता खड़ी थी, मुझे देखकर बोली, “तू बड़ा जल्दी आ गया। डर था मैं भाग जाऊंगी?” मैंने हंसकर कहा, “अब बकचोदी मत कर। चल, अंदर चलते हैं।” वो बोली, “इस डब्बे में क्या है?” मैंने कहा, “दूध है, नवीन लाया था।”

हम खेत में और अंदर चले गए, जहां आवाज बाहर नहीं जा सकती थी। मैंने पैरों से गन्ने तोड़े, बोरी बिछाई, और दूध का डब्बा रख दिया। निकिता को गोद में उठाकर बोरी पर लेटाया। उसका चेहरा लाल हो रहा था, आंखों में शरम और चाहत का मिक्सचर था। वो साली पटाखा लग रही थी। मैं उसके पास लेट गया, एक पैर उसके ऊपर रखा, और उसे किस करने लगा। उसके चूचे दबाते हुए मैंने कहा, “तुझे किस करना अच्छा आता है।” वो बोली, “तुझे क्या, मैं चूतिया लगती हूँ?” मैंने कहा, “वाह, मेडम में बड़ा दम है।” वो बोली, “लड़ के देख, कौन जीतेगा।”

बस, फिर मैं उस पर टूट पड़ा। उसने सलवार-सूट पहना था, मैंने भी पजामा और बनियान। मैं उसके ऊपर आ गया, उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूत पर कपड़ों के ऊपर से लंड रगड़ने लगा। उसके बाल बिखर गए थे, और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोलने की कोशिश की, तो वो बोली, “दीपक, मुझे बहुत डर लग रहा है। मैंने आज तक ये सब नहीं किया।” मैंने कहा, “तू तो अभी से हार गई।” वो बोली, “साले, मैं अभी हारी नहीं। टाइम आएगा, तू रोकर भागेगा। मेरी भाभी कहती थी, पहली बार बड़ा दर्द होता है।” मैंने कहा, “डर मत, मैं आराम से करूंगा।”

मैंने उसकी सलवार खींची। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था, और उसकी चूत एकदम गोरी, साफ की हुई थी। मैंने उसकी चूत के दाने को सहलाया, और वो सिसकियां लेने लगी। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली, लेकिन वो इतनी टाइट थी कि उंगली भी मुश्किल से गई। मैं समझ गया, ये अभी वर्जिन है। मैंने अपना पजामा उतारा, लंड बाहर निकाला, लेकिन उसे दिखाने से पहले उसकी आंखों पर कपड़ा बांध दिया। वो बोली, “ये सब किसके लिए?” मैंने कहा, “ताकि तुझे और मजा आए, मेरी जान।”

गन्ने के खेत में चोदम चुदाई – Ganne Ke Khet Mein Chudai

मैंने उसकी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसकी चूत गीली हो रही थी, और वो सिसकियां ले रही थी। मैंने दूध का डब्बा खोला, थोड़ा दूध पिया, और उसे भी पिलाया। डब्बे में मलाई बची थी, जिसे मैंने उसकी चूत पर लगाया और चाटने लगा। वो पागल सी हो गई, बोली, “दीपक, अब चोद दे, मैं और इंतजार नहीं कर सकती।” मैंने उसकी ब्रा उतारी, उसके चूचे चूसने शुरू किए। वो मेरे सिर पर उंगलियां फेर रही थी, और मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया।

वो नीचे से धक्के मार रही थी, और मैंने धीरे से लंड उसकी चूत में डाला। वो चिल्लाई, “आह्ह्ह, दीपक, बाहर निकाल, मेरी चूत फट गई!” मैंने देखा, उसकी चूत से खून निकल रहा था, लेकिन वो मजा भी ले रही थी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे, और उसका दर्द कम होने लगा। वो बोली, “जोर से चोद, साले, मुझे कुतिया बना दे।” मैंने उसे कुतिया की तरह चोदा, कभी खड़े-खड़े, कभी लेटाकर। उसकी चूत अब मेरे लंड को पूरा ले रही थी, और वो सिसकियां भरते हुए मेरी छाती काट रही थी।

करीब चालीस मिनट तक मैंने उसे हर तरीके से चोदा। कभी उसकी गांड उठाकर, कभी उसके चूचे चूसते हुए। आखिर में मैंने अपना गरम वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। जब मैंने लंड निकाला, तो उसकी चूत खून और वीर्य से लाल थी। हम दोनों हांफ रहे थे, लेकिन निकिता की आंखों में सुकून था। Ganne Ke Khet Mein Chudai

जब हम खेत से बाहर निकले, निकिता को चलने में दिक्कत हो रही थी। उसने मुझे गले लगाया और बोली, “तूने मुझे आज जन्नत दिखा दी।” अगले दिन उसने मुझे फोन किया और कहा, “विक्रांत, अब जब चाहे मुझे चोद सकता है। मैं अब चुदाई से नहीं डरती।” उसके बाद मैंने उसे कई बार चोदा, और वो हर बार बिंदास होकर मेरे सामने अपनी चूत खोल देती थी।

Leave a Comment