कहानी का दूसरा भाग : chudai padosi uncle
मेरी इस चुदाई की कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे रतनेश जी और मैं हम दोनों अपने आप को ज्यादा रोक नहीं पाए,
और अपने आप को हवस के हवाले छोड़ बेफिक्र होकर चुदाई करने लगे। (hot padosi uncle chudai)
और कैसे मैंने रतनेश जी को मेरे पति आने तक मेरा पति बना दिया। अब आगे-
दोपहर को सोने के बाद मैं शाम को उठी तो देखा की रतनेश जी मेरे बगल में नहीं थे। मैं जल्दी से उठी और नंगी ही बाहर लिविंग रूम में गई। मैंने देखा की रतनेश जी किचन में चाय बना रहे थे।(hot padosi uncle chudai)
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे आप चाय भी बना लेते है। वाह पहलवान!” तो वो भी मुस्कुराने लगे और बोले, “वो सब छोड़ो, तुम अब भी नंगी क्यों हो?”
मैंने कहा, “क्या फरक पड़ता है? और वैसे भी मुझे नंगा रहने में अब मजा आ रहा है।” तो वो बोले, “तुम्हारे अंदर इतनी हवस भरी होगी, मुझे लगा नहीं था।” तो मैंने कहा, “सब आपके लंड का कमाल है।”(hot padosi uncle chudai)
कुछ देर ऐसे ही बातें करने के बाद रतनेश जी ने मुझे पूछा, “क्या तुम सच में तुम्हारे पति आने तक मुझसे चुदना चाहती हो?
” इस पर मैं बोली, “अरे हां बाबा, सच में। आप चिंता मत करो, हम दोनों मेरे पति आने तक खुब चुदाई करेंगे।”
फिर मैं किचन की स्लैब के उपर अपने पैर फैला कर बैठ गई और बोली, “अब चोदोगे नहीं?
” दोस्तों मैं अब इस स्थिति में थी कि अगर मुझे कभी भी चोदने के लिये बोला जाए, तो मैं तुरंत मान जाऊं। रतनेश जी ने कहा कि, “अभी नहीं, पहले चाय पी लेते है, फिर करते है।”(hot padosi uncle chudai)
मेरी शादी को 2 साल हो गए थे, लेकिन एक बार भी मेरे पति ने मेरे लिये चाय नहीं बनाई, और आज मेरे कुछ दिनों के लिये पति बने रतनेश जी ने मेरे लिये चाय बनाई।
चाय पीने के बाद मैं रतनेश जी की गोद में जाकर बैठ गई, और उन्हें चूमने लगी। वो भी मेरे होंठो को चूसने लगे,
और मेरे मम्मों को धीरे-धीरे दबाने लगे। मैंने सिसकारियां लेते हुए कहा, “चलो अब चुदाई का खेल फिर शुरु करते है।”(hot padosi uncle chudai)
ये कह कर मैं उठ गई और रतनेश जी भी अपना पजामा नीचे खिसका कर लंड बाहर निकाल कर तैयार हो गए।
मैंने उनके लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाना शुरु कर दिया, और मैं उनके लंड पर बैठने ही वाली थी कि वो बोले, “रुको जिया”।(hot padosi uncle chudai)
मैंने कहा “क्या हुआ?” तो वो बोले, “तुम्हारी चूत भारी चुदाई की वजह से लाल हो गई है। अगर मैंने तुम्हें फिर चोदा तो तुम्हारी हालत बुरी हो जाएगी।
”उनकी ये बात सच तो थी, मगर मुझ पर उनके लंड का ऐसा नशा चढ़ा था कि मैं उस बात पर गौर ही नहीं दे पा रही थी।(hot padosi uncle chudai)
मैंने कहा, “अरे वो बाद में देख लेंगे, अभी तो बस मुझे आपका लंड मेरी चूत में चाहिये।” वो फिर भी थोड़ा चिंतित थे,
तो मैंने ही पहल करने की ठानी। मैं घुटनों के बल बैठ गई, और उनके लंड के टोपे को मेरी जुबान सहलाने लगी। रतनेश जी भी सिसकियां ले रहे थे।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनका लंड मुंह में लेना शुरु किया। मैं जान बूझ कर उनका लंड धीरे-धीरे चूस रही थी, तांकि वो पूरी तरह हवस के नशे में डूब जाए।(hot padosi uncle chudai)
फिर कुछ देर बाद ही वो मेरे बाल सहलाने लगे, और मेरा सर पकड़ कर लंड मेरे मुंह में और अंदर तक डालने लगे।
अब मैंने भी जोर-जोर से उनका लंड चूसना शुरु कर दिया, और थोड़ी ही देर में उनका लंड मेरे मुंह में फुदकने लगा।(hot padosi uncle chudai)
मैं समझ गई कि ये अब झड़ने वाले थे। मगर मुझे उनका लंड चूत में लेना था। मैंने जल्दी से लंड मेरे मुंह से बाहर निकाला,
तो वो बोले, “अरे जिया, क्या कर रही हो? मेरा बस निकलने वाला था।” तो मैं बोली, “मुझे आपका लंड चूत में चाहिये।”
उनसे अब मेरी ये छेड़-खानी और बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद में बिठा दिया, और बोले, “अब तो तेरी चूत फाड़ कर ही दम लूंगा”।(hot padosi uncle chudai)
मैं उनकी ये बात सुन कर खुश हो गई, और जल्दी से उनके लंड पर बैठ गई।
मेरी चूत पहले से गीली थी, इसलिये मैं उनका लंड आसानी से ले पाई। उनका लंड अंदर जाते ही मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान आ गई।
जैसे कोई तड़पती मछली को पानी मिल जाए, मेरी लंड लेकर बिल्कुल वैसी ही हालत हो गई थी।(hot padosi uncle chudai)
रतनेश जी सोफे पर बैठे थे, और मैं उनके लंड पर उछल-उछल कर मेरी चूत चुदवा रही थी। रतनेश जी बिल्कुल मजे से सिस्कारियां ले रहे थे,
और मैं आअह उउह्ह्ह कर चिल्ला रही थी। करीब 15 मिनट बाद वो मेरी चूत में झड़ गए। मुझे भी बहुत मजा आया, और मैं उनका लंड अंदर लिये ही उनकी गोद में बैठ गई।
मैं हांफते हुए बोली, “बहुत मजा आया पतिदेव”। तो वो बोले, “अरे अभी तो बहुत मजा आना बाकी है।” ये कह कर मुझे उन्होनें गोद में से उठाया,
और सोफा पर लिटा दिया। फिर मेरे उपर चढ़ कर मेरे बूब्स दबाने लगे, और मेरे होंठों को जोर से चूमने लगे। मैं अब फिर से गरम होने लगी, और उनका लंड भी फिर से खड़ा हो गया।(hot padosi uncle chudai)
वो उठ गए और मेरी चूत पर अपना लंड सहलाने लगे, और फिर एक ही जोर के झटके से पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मेरी तो चीख निकल गई, “आआऊऊईई।
मर गई आअह”। लेकिन वो मुझे जोर-जोर से चोदे जा रहे थे। मैं मिशनरी पोज़ीशन में थी, इसलिये वो मेरी चूत में और अंदर तक लंड डाल पा रहे थे।
उनकी चोदने की गती और बढ़ गई, और फिर वो मेरे बड़े बूब्स दबाने लगे। बीच-बीच में वो मेरे बूब्स को जोर से मारते थे, और मुझे उससे बहुत मजा आता था।(hot padosi uncle chudai)
उन्होंने मेरे बूब्स दबा-दबा कर लाल कर दिये थे। मेरी चूत में भी अब थोड़ा-थोड़ा दर्द होने लगा था। मगर मुझ पर लंड का ऐसा नशा चढ़ा था कि मुझे उस दर्द में भी मजा आ रहा था।
मैं उनसे कहने लगी, “और जोर से करो बहुत मजा आ रहा है।” ये सुन कर वो और जोर से मुझे चोदने लगे। ये खेल करीब आधे घंटे तक चला,(hot padosi uncle chudai)
और फिर वो जब झड़ने वाले थे, तब वो मेरे पेट पर उनका सारा वीर्य छोड़ दिया।
इसके आगे क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा।(hot padosi uncle chudai)
कहानी का चौथा भाग : padosi uncle hot chudai
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