गांडफाड़ हादसा 15 – hot sex story padosi uncle 

कहानी का चौदहवां भाग : xxx fuck story padosi uncle

मेरी इस चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे हमने हमारे रिश्ते की शुरुआत की, और मेरे पति से फोन पर बात करने के दौरान कैसे रतनेश जी ने मेरे साथ मजा किया।

फिर ताबड़-तोड़ चुदाई करके मेरी चूत का भोंसड़ा बनाया। अब आगे। (hot sex story padosi uncle)

ऐसी जोरदार चुदाई के बाद मेरी चूत में दर्द होने लगा था, और हम दोनों का शरीर पसीने से चमक रहा था। रतनेश जी ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में से बाहर निकाला।

लंड बाहर निकलते ही मेरी चूत से रतनेश जी के वीर्य की धार बहने लगी।

मैंने चैन कि सांस ली, कि ये चुदाई आखिरकार थम गई। मुझे ऐसी चुदाई में मजा तो बहुत आया, मगर मेरे शरीर में अब जान नहीं थी रतनेश जी का लंड लेने की।

मैं (आंसू पोंछते हुए): क्या रतनेश जी, अपने मेरी चूत फाड़ दी।

रतनेश जी: सॉरी जिया, जिया मुझसे रोका नहीं गया। (hot sex story padosi uncle)

मैं: ठीक है, कोई बात नहीं। मै़ आपकी पत्नी हूं और मैंने आपको वादा किया था जब चाहो चोद सकते हो।

मुझे लगा रतनेश जी का अब मन भर गया होगा।

लेकिन ये दिन मेरे लिए बहुत लंबा होने वाला था।

मैंने मुझे उठाने के लिए रतनेश जी के आगे हाथ बढ़ाया, ताकि उनके सहारे मैं खड़ी हो सकूं।

मगर रतनेश जी ने ऐसी बात बोल दी कि मेरे होश उड़ा दिए।

रतनेश जी: कहां जा रही हो? अभी तक चुदाई खतम नहीं हुई है। (hot sex story padosi uncle)

मैं ये सुन कर दंग रह गई। रतनेश जी इंसान है या जानवर? कोई कैसे इतनी चोदने की क्षमता रख सकता है?

मैं: आप मजाक कर रहे है? आपने मेरी चूत फाड़ दी है। मेरे शरीर में अब खड़े होने की जान नहीं है, और आपको मुझे और चोदना है?

रतनेश जी ये सुन कर थोड़े मायूस हो गए। मुझे उनको ऐसा देख बहुत बुरा लग रहा था।

आखिर मैंने ही बड़े ताव में आकर उनको मुझे आज दिन भर चुदाई का सपना दिखाया था।

मैं आगे कुछ बोलने वाली थी मगर उतने में ही रतनेश जी ने कहा। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी: जिया माफ कर दो। मगर, चाहे कुछ भी हो जाए, आज मैं तुम्हें मेरी पूरी ताकत के साथ ही चोदने वाला हूं।

मैं थोड़ी शॉक में थी। आखिर ऐसा क्या हो गया जो इतना चुदाई का जुनून इनके सर चढ़ गया?

लेकिन रतनेश जी ने आगे जो बोला, उससे मुझे बहुत बुरा लगा।

रतनेश जी: आखिर अपना पति-पत्नी का रिश्ता तो नाम का है ना, तुम भला क्यों मेरा हर कहना मानोगी?

मैं: ऐसे मत बोलिये। मैंने अभी आपसे कहा के मुझे आपसे प्यार है।

रतनेश जी: छोड़ो जिया जाने दो। (hot sex story padosi uncle)

ये कह कर रतनेश जी निराश होकर मुड़ने लग। मुझे बहुत बुरा लगा और मैंने अपने प्यार को सच्चा साबित करने के लिए उनको रोक दिया और कहा-

मैं: रुकिए… आपके पास वोह चुदाई वाली गोली है ना? वो लादो प्लीज़।

रतनेश जी ने वो गोली का पैकेट और पानी लाकर मेरे सामने रख दिया। मैंने तुरंत उस पैकेट में से चार गोलियां खा ली।

रतनेश जी ने मुझे कहा: इतनी गोलियां मत खाओ एक साथ। (hot sex story padosi uncle)

मगर मैंने अपने प्यार को साबित करने की ठान ली थी।

मेरा शरीर अब भी ढीला था। मेरे टांगों में अभी जान नहीं थी, मगर मेरे दिमाग में जल्दी ही कामुकता से भरे खयाल आने लगे और चूत फिर से गीली होने लगी।

कुछ ही पल में मेरी चूत का दर्द आनंद में बदल गया।

मेरा बदन अब धीरे-धीरे झटपटाने लगा। मैं आँखें बंद कर काउंटर पर लेट के मेरे निप्पल दबाने लगी,

और फिर मेरे मुंह से लार टपकने लगी। गोली का नशा अब मेरे दिमाग में पूरी तरह से हावी हो चुका था।

मेरे शरीर पूरी तरह थकने के बावजूद मुझे अब चुदाई करनी थी। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी ये सारा नजारा देख दंग रह गए थे।

वो समझ गए कि मैं चुदाई के लिए फिरसे रेडी थ। वो बिना कोई समय गवाए मेरे पास आए, और मेरी चूत को चाटने लगे।

मैं मजे से सिसकियां ले रही थी अह्ह… आह्ह… फिर रतनेश जी अपना लंड मेरी चूत में डालने ही वाले थे कि मैंने उन्हें रोक दिया।

मैं: नहीं जान, चूत नहीं। अभी गांड मारो मेरी।

ये कह कर मैं मुस्कुराने लगी। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी: सोच लो, तेरी गांड का भरता बना दूंगा मैं।

मैं: सोच लिया, आज से मेरा सारा बदन आपके हवाले। चीर के रख दो मेरी गांड को।

रतनेश जी ने तेल की बॉटल ली, और ढेर सारा तेल मेरी गांड पर डाल दिया,

और अपने लंड को भी तेल से लथ-पथ कर दिया। रतनेश जी ने लंड मेरी गांड पर सेट किया,

और एक जोर के धक्के के साथ पूरा लंड एक ही बार में मेरी गांड में घुसेड़ दिया।

ली हुई गोलियों के वजह से मुझे दर्द नहीं हुआ, बल्कि और मजा आने लगा। (hot sex story padosi uncle)

लंड अंदर जाते ही मेरी चूत ने पानी की पिचकारी छोड़ दी, जो सीधा रतनेश जी के मुंह पर जाके लगी।

 रतनेश जी अब पहले के जैसे ही मुझे अपनी पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे।

मेरी गांड में उनका लंड बड़ी तेजी से और जोर से अंदर-बाहर हो रहा था।‌ मैं हर दो मिनट में झड़ रही थी। 

रतनेश जी रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। उन्होंने ने मुझे अपनी गोदी में उठाया,

और दनादन मेरी गांड चोदने लगे। मैं बस इस चुदाई के आंनद से चीख रही थी आहह.. आह्ह…

मैं: चोदो, और जोर से गांड को फाड़ कर रख दो। अपनी रंडी बना कर रख दो। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी (मुझे चोदते हुए बोले): हां मेरी जान, तुझे ऐसा चोदूंगा कि मेरे लंड के आगे कुछ सोच नहीं पाओगी।

रतनेश जी ऐसे ही मुझे गोद में लिए खड़े-खड़े 10 मिनट तक चोदते रहे।

फिर उन्होंने मुझे किचन के फ्लोर पर मुंह के बल लिटा दिया, और मेरी गांड चोदने लगे।

लेटे होने की वजह से उनका लंड मेरी गांड में और भी अंदर जा रहा था,

और वो मुझे अपने पूरे शरीर के भार के साथ चोद रहे थे। मैं तो मानो उनके शरीर के नीचे कुचली जा रही थी।

मुझे ऐसे और भी मजा आ रहा था। (hot sex story padosi uncle)

करीब 2 घंटे की नॉन-स्टॉप गांड चुदाई के बाद रतनेश जी मेरी गांड में झड़ गए।

मेरी गांड का छेद तो मानो फट गया था। रतनेश जी के लंड निकालने के बावजूद वो खुला का खुला था।

 रतनेश जी अब चुदाई करके थक गए थे, और गोलियां भी खतम हो गई थी। लेकिन मुझ पर अब भी चुदाई का भूत सवार था।

मैं: और चोदो प्लीज़, मैं हाथ जोड़ती हूं। आप जो बोलोगे में वो करूंगी, मगर मुझे और चोदो।

रतनेश जी: मेरा हो गया जिया, और ताकत नहीं बची।

मुझे ये सुन कर बहुत गुस्सा आया। कि मैंने इनके लिए इतनी चुदाई सही, और अब जब मेरी बारी आई तो मुझे ऐसे ही छोड़ रहे थे।

मैं: अब क्यों? मन भर गया? जब चोदना था तो गिड़गिड़ा रहे थे।

रतनेश जी: देखो तुम पर गोलियों का असर ज्यादा हो गया है।

मैं: मुझ पर कुछ असर नहीं हुआ है। आपको मेरे उपर प्यार नहीं है। (hot sex story padosi uncle)

मैं ये कह कर जैसे-तैसे उठने की कोशिश करने लगी।

बड़ी मुश्किल से मैं खड़ी हो पाई, और धीरे-धीरे फ्रिज की ओर बढ़ने लगी।

मेरी टांगे लड़खड़ा रही थी, और चूत में अब भी आग लगी थी। दिमाग में अभी भी चुदाई के खयाल चल रहे थे।

मैं फ्रिज के पास पहुंच गई, और फ्रिज में से एक बड़ा खीरा लिया।

वो लगभग रतनेश जी के लंड जितना ही होगा। मैं नीचे बैठ कर उस खीरे को मेरी चूत में डाल कर खुद को चोदने लगी।

मुझे ऐसा करके बहुत मजा आ रहा था। रतनेश जी ये सब चुप-चाप देख रहे थे। (hot sex story padosi uncle)

मैं खीरे को कभी चूत में डालती, तो कभी मेरी गांड में।

ऐसे ही करीब आधे घंटे तक खुद को चोदने के बाद में ऐसी झड़ी, कि मैं जोर-जोर से कांपने लगी,

और मेरी चूत का इतना बुरा हाल हो गया था कि मेरा पेशाब निकल गया। मेरा शरीर भी अब पूरी तरह से जवाब दे चुका था।

मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और मैं बेहोश हो गई। जब आँखें खुली, तो सुबह हो गई थी।

मैं उठने की कोशिश कर रही थी, मगर मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था।

बहुत कोशिश के बाद मैं बेड पर से उठ कर खड़ी हो गई। मेरी चूत और गांड दोनों बहुत दर्द कर रहे थे।

मैंने आईने में देखा तो मेरी चूत लाल और फूली ही थी। (hot sex story padosi uncle)

मैं अब भी नंगी ही थी। मैं धीरे-धीरे चल कर बाहर आ गई। बाहर रतनेश जी लिविंग रूम में सोफे पर बैठे हुए थे। मुझे बाहर देख वो बोले-

रतनेश जी: उठ गई जिया, तबियत कैसी है?

मैं: पूरा बदन दर्द कर रहा है। चूत और गांड दोनों तो मानो फट गई है, और सिर दर्द भी कर रहा है।

रतनेश जी: कल क्या हुआ याद है या भूल गई?

मैं: याद है बाबा, सब याद है।

मैं धीरे से आगे बढ़ने लगी। हर कदम पर मेरी चूत में दर्द हो रहा था।

मैं बस कुछ कदम ही आगे बड़ी थी, कि मुझे उल्टी जैसे होने लगा। रतनेश जी समझ गए,

और वो तुरंत मेरी तरफ आए, और मुझे गोद में उठा कर बाथरूम ले गए। (hot sex story padosi uncle)

बाथरूम में जा कर मुझे नीचे रखते ही मैंने कमोड में उल्टी करना शुरू कर दिया।

उल्टी करके थोड़ा हल्का एहसास हुआ और थोड़ा अच्छा लगा। मैंने उल्टी फ्लश कर दी और कमोड पर पेशाब करने बैठ गई।

मैंने देखा कि रतनेश जी अभी भी वहीं खड़े होकर मुझे देख रहे थे।

मैं: यहां क्यों खड़े हो? मुझे पेशाब करने दो, जाओ। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी: क्यों जाऊं? कल तो तुम गोली खाने के बाद एक-दम चुदक्कड़ बन गई थी,

और मेरे सामने ही किचन में पेशाब करके बेहोश हो गई थी।

मैं: अरे वोह गोलियों का असर हो गया था। मैं दिल से माफी मांगती हूं।

रतनेश जी हसने लगे और बोले-

रतनेश जी: माफी मत मांगो। मुझे तुम्हारा वो रूप अच्छा लगा। तुम ऐसे ही बेफिक्र होकर मुझसे चुदाई करो। (hot sex story padosi uncle)

मैंने राहत की सांस ली। रतनेश जी तो जाने का नाम नहीं ले रहे थे,

तो मैंने भी सोचा “वैसे भी ये मेरे पति है, इनके सामने पेशाब करने में कैसी शर्म?

” मैं पेशाब करने लगी, और मुझे पेशाब करता देख रतनेश जी अपना लंड निकाल कर मेरे सामने हिलाने लगे।

मैं ये देख कर दंग रह गई, और डर गई कि फिर ये मेरी चूत ना मार दे।

मैं: छी! ये क्या कर रहे हो? प्लीज़ अभी मत चोदना।

रतनेश जी: मेरा लंड पहली बार देखा है? डर मत चोदूंगा नहीं। कल की चुदाई से मेरी कमर में थोड़ा दर्द है। (hot sex story padosi uncle)

मैं ये सुन कर थोड़ी खुश हुई, कि अब और नहीं चुदना था। मेरा पेशाब करके हो गया और मैं कमोड पर से उठ गई। 

रतनेश जी का हाथ पकड़ कर मैंने अपने आप को संभाल लिया।

अब मैं रतनेश जी को पकड़ के धीरे-धीरे शॉवर की ओर बढ़ने लगी।

शॉवर में जाकर मैंने नल चालू किया, और शॉवर के नीचे गरम पानी में खड़ी हो गई।

गरम पानी मेरे शरीर पर पढ़ने से मुझे सुकून मिला। बदन में दर्द भी थोड़ा कम हुआ।

मैंने देखा रतनेश जी बाथरूम में खड़े होकर मेरा नंगा बदन घूर रहे थे, और अपना लंड हिला रहे थे।

मुझे उन्हें ऐसा देख बोहोत अच्छा लगा। मैंने उन्हें इशारे से मेरे साथ नहाने के लिए बुलाया। 

रतनेश जी अपने कपड़े उतार कर मेरे साथ शॉवर में आ गए। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी ने साबुन लिया और मेरे बदन पर रगड़ना शुरू कर दिया।

मुझमें खड़े होने की ताकत नहीं बची थी, तो मैं नीचे बैठ गई। रतनेश जी भी मेरे साथ नीचे बैठे।

वो मुझे बड़े प्यार से और कोमलता से साफ कर रहे थे।

मुझे इसीलिए उनसे प्यार हो गया था, क्योंकि उन्हें पता था कब जोर लगाना है,

और कब स्त्री को प्यार करना है। हम दोनों बीच-बीच में एक-दूसरे को किस्स कर रहे थे।

ऐसे शॉवर करने में बहुत मजा आ रहा था। मुझे अच्छे से साफ करने के बाद रतनेश जी खड़े हो गए।

उनका लंड मेरे चेहरे के सामने ही था। मैंने बिना कुछ सोचे उनका लंड मुह में लिया और चूसने लगी।

रतनेश जी: अरे ये क्या कर रही हो? तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है। आज आराम करो। (hot sex story padosi uncle)

मैं: जानती हूं, मगर आपको इस हालत में छोड़ नहीं सकती। और मैं कोन सा चुदाई करने वाली हूं, बस लंड ही तो चूसना है।

मैंने दस मिनट तक रतनेश जी का लंड धीरे-धीरे बड़े आराम से चूसा।

वह भी एक-दम संयम के साथ खड़े थे। जरा सा भी जोर नहीं लगा रहे थे।

कुछ ही पल में रतनेश जी झड़ गए, और मेरे चेहरे पर अपना वीर्य छोड़ दिया।

मेरा चेहरा उनके वीर्य से ढक गया। मैंने उठने की कोशिश की, तो रतनेश जी ने मुझे नीचे बैठे रहने को कहा। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी: अभी तुम्हारी शिक्षा की बारी है।

मैं: किस बात की?

रतनेश जी: कल तुमने किचन में पेशाब किया, वो मुझे साफ करना पड़ा।

मैं: क्या शिक्षा दोगे अब?

रतनेश जी: तुमने पेशाब किया तो मुझे भी पेशाब करना है।

मैं: तो करिये, रोक कौन रहा है?

रतनेश जी: जिया तुम समझी नहीं। (hot sex story padosi uncle)

मैं: क्या मतलब?

रतनेश जी: मुझे तुम पर पेशाब करना है।

मैं ये सुन कर दंग रह गई, और घिन आने लगी।

मैं: छी! कैसी बाते कर रहे हो आप? पागल हो गए हो?

रतनेश जी: इसमें गलत कुछ नहीं है। जानवर अपनी चीजों पर हक जमाने के लिए पेशाब करते है। मैं भी वहीं कर रहा हूं।

मैं: जानवर और इंसानो में फरक है। ये शिक्षा नहीं चलेगी। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी: अभी क्यों घिन आ रही है? कल खुद पेशाब करने के बाद मुझे बुला कर अपने उपर मूतने तूने ही तो बोला था।

मैं: मैंने ये कब किया कल?

रतनेश जी ने मुझे याद करने के लिए कहा।

मैंने अपने दिमाग पर जोर दिया तो मुझे याद आया जब कल मेरा मूत निकल गया था, तो मैं जोर से हंस पड़ी,

और रतनेश जी को बुला कर उन्हें मुझ पर मूतने के लिए भी बोला, और उसके उपर उनका मूत भी पिया था।

मैं थोड़ी देर के लिए शांत हो गई, और उनकी शिक्षा को मंजूर किया।

मैं आँखें बंद करके घुटनों के बल बैठी थी। रतनेश जी समझ गए कि में तैयार थी।

उन्होंने अपने मूत की धार को मेरे चेहरे पर धीरे-धीरे छोड़ना शुरू कर दिया।

मुझे शुरू के कुछ सेकंड गंदा लगा। मगर बाद में ना जाने क्यों वो गरमा-गरम मूत मेरे चेहरे पर गिरता हुआ अच्छा लग रहा था।

 रतनेश जी पूरे 30 सेकंड या शायद उससे ज्यादा मूत रहे थे, और मैं मस्त मजे में बैठी थी, और मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। जब रतनेश जी का पेशाब करके हो गया तो मैंने अपनी आँखें खोल दी। (hot sex story padosi uncle)

रतनेश जी: मजा आया ना?

मैंने मुस्कुरा कर हां में सर हिलाया, और शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया।

मैं: चलो अब बाहर जाओ। मुझे फिर से नहाना पड़ेगा अभी।

रतनेश जी बाहर चले गए और मैंने फिर से जल्दी से नहा लिया।

मैं बाथरूम के बाहर टॉवल लपेट कर बाहर आ गई। मेरी तबियत खराब होने के कारण हम दोनों डॉक्टर के पास गए।‌

वहां डॉक्टर ने कुछ दवाइयां लिख कर दी। वो दिन हम दोनों ने चुदाई नहीं की।

मैं आराम कर रही थी और रतनेश जी मेरे हाथ पैर की मालिश कर रहे थे। (hot sex story padosi uncle)

अगले दिन मेरी तबियत ठीक हो गई। चूत की सुजन भी हट गई।

लेकिन अब भी मेरी चूत फूली ही नज़र आ रही थी। शायद रतनेश जी का लंड ले-ले कर मेरी चूत का आकार ही बदल गया हो।

हमने आने वाले दिनों में पहले जैसे चुदाई करना चालू किया, और अब तो मुझे रतनेश जी के पेशाब से नहाने में भी मजा आता था।

ऐसे ही दिन बीतते गए।

हमने शॉवर से लेकर बालकनी तक, घर के हर कोने में चुदाई की।

मुझे तो अब नंगी रहने की आदत सी पढ़ गई, और रतनेश जी के वीर्य के साथ-साथ उनका मूत पीने में भी मजा आता था,

वो भी मेरा मूत बड़े मजे से पीते थे। (hot sex story padosi uncle)

ऐसे ही एक हफ्ता कब गुजर गया मुझे पता भी नहीं चला,

और आखिरकार पूजा का दिन आ गया। पूजा के दिन कुछ बड़ा हुआ,

जिससे मेरे जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबत आई। वो मुसीबत आखिर क्या थी जानिए इस सेक्स कहानी के अगले भाग में। (hot sex story padosi uncle)

कहानी का सोलहवां भाग : 

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