हैलो दोस्तों, मैं यश आपका स्वागत करता हूं अगली चुदाई की कहानी में। यह कहानी मेरे दोस्त की मां और मेरी चुदाई की है, मेरे दोस्त की मदद से। मेरे दोस्त का नाम बबलू है। वो मेरी उम्र का है, और उसकी मां सरिता सुंदर सेक्सी माल है, और फिगर भी कमाल का है। आपने पिछली कहानी जरूर पढ़ी होगी। यह अगला भाग है।
कहानी का तीसरा भाग : hot mom chudai
दोनों फिर से चुदाई करने के लिए तैयार थे। मैं उनकी चूत में उंगली डाल कर अंदर-बाहर करने लगा। (mom hot chudai)
वो मेरा खड़ा लंड सहलाने लगी थी। बबलू के चेहरे पर एक अलग सी खुशी दिख रही थी।
उनकी चूत में मैं फिर लंड डालने लगा। इस बार थोड़ा आराम से गया, पर आंटी को दर्द फिर भी हो रहा था। मैंने फिर से धक्का पेल चुदाई चालू कर दी। वो आँखें बंद करके लंड का मजा ले रही थी। उनकी चूत इस बार लंड मजे से ले रही थी। मैं भी उनको अपने जोश में चोद रहा था।
उनको मालूम नहीं था उनका बेटा उनके कारनामे देख रहा था, और देख कर लंड हिल रहा था। फिर मैंने लंड बाहर निकाला, और उनको कुतिया बनाया। फिर उनकी गांड पर थप्पड़ मारे-
आंटी: अहह आसिफ धीरे, दर्द हो रहा है।(mom hot chudai)
मैं: आंटी अब तुम्हारी गांड की बारी है। इतनी मोटी गांड है, मजा आएगा।
आंटी: अरे नहीं, तू तो जान निकाल देगा मेरी गांड मार के।
मैं: अरे आंटी, मजा आएगा। और मैं तो आज गांड मार के ही यहां से जाऊंगा।
आंटी: सिर्फ बबलू के पापा ने गांड मारी है। और तेरा लंड उनके लंड से बड़ा है। बहुत दर्द होगा।
मैं: मान जा कुतिया।
आंटी: ठीक है, पहले उधर से तेल लेकर आ।(mom hot chudai)
मैंने तेल की बोतल ली, उनकी गांड के छेद पर तेल लगाया, और थोड़ा तेल अपने लंड पर लगा कर उनको घोड़ी बना लिया।
आंटी: धीरे डालना, नहीं तो मर जाऊंगी दर्द से।
फिर मैंने लंड सेट किया गांड पर। तेल के कारण लंड भी फिसल रहा था गांड पर से। मैंने आंटी की कमर जोर से पकड़ कर एक धक्का दिया। लंड थोड़ा सा गांड में चला गया, और आंटी की चीखें निकलनी शुरू हो गई।
आंटी: अहह मादरचोद, निकाल साले। इतना बड़ा है तेरा, मर जाऊंगी मैं।(mom hot chudai)
मैंने उनको अनसुना किया, और फिर धक्का देने लगा। तेल का ज्यादा असर नहीं हुआ, पर मुझे मजा आ रहा था। मेरा आधा लंड गांड के अंदर चला गया था। आंटी की चीखें अब रोने में बदल गई थी।
मैं बोला: बिस्तर पर पड़ी हुई मेरी चड्डी अपने मुह में घुसा ले, ताकि चीखें बाहर ना जाएं।
मैं फिर उनकी कमर टाइट पकड़ के, वापिस जोरदार धक्के देने लगा। उनकी गांड के अंदर पूरा लंड समा गया। मैं फिर थोड़ा रुका। उनकी आखें लाल हो गई थी, और आंसू टपक रहे थे। मैं थोड़ा रुक कर धीरे-धीरे धक्के देने लगा। उनको अभी भी दर्द हो रहा था। दर्द से हालत खराब हो रही थी। पर मैं रुकना नहीं चाहता था, और ना ही रुका।
मैंने थोड़ा सा तेल फिर लंड पर लगाया, और इस बार जोरदार धक्के देने लगा। उनकी आवाज़ अंदर ही दब गई। पर बबलू को मजा आ रहा था, उसकी मां को ऐसे देख कर। कुछ झटकों में आंटी को आराम महसूस हुआ।(mom hot chudai)
मैंने उनके पीछे से बाल पकड़े, और घोड़ी बना कर उनकी सवारी करने लगा। आंटी भी मजा लेने लगी थी। मेरी जांघे उनकी गांड से टकरा रही थी, और कमरे में उनकी ही आवाज गूंज रही थी। मैं उनकी गांड की चुदाई करता रहा। वो अब जोर-जोर से सिसकियां ले रही थी।
आंटी: अहह, तूने तो आज मेरी गांड को मजे दे दिए। उफ्फ़, ऐसे ही चोदता रह।
मैंने उनकी गांड का छेद बड़ा कर दिया था पहली ही चुदाई में। वो पूरे मजे से चुद रही थी, और उनका बेटा देख कर अपने लंड को शांत कर रहा था। थोड़ी देर उनको ऐसे ही चोदता रहा मैं। हम दोनों पसीने में भीग चुके थे। मेरा होने वाला था। मैं जल्दी से उठा, उनके मुंह के सामने आ गया, और लंड आंटी के मुंह में डाल दिया। मैं उनका मुंह चोदने लगा, और अंदर ही माल निकाल दिया।
थोड़ा माल उनके गले, बूब्स, और मंगलसूत्र पर निकाल दिया। आंटी पूरा माल चाट गई। मैं फिर ऐसे ही थक कर बेड पर सो गया। बबलू ने भी पूरे मजे लिए चुदाई देखने के। शाम होने लग रही थी।
आंटी: शाम होने वाली है। तू निकल, अब बबलू आने वाला होगा।
मैं: अभी नहीं आएगा, और थोड़ा आराम करने दो।(mom hot chudai)
मैं थोड़ी देर सो गया, और आंटी भी सो गई थी। आज उनकी चूत और गांड का भोंसड़ा बना दिया था। चोद-चोद कर 5 बज गए थे। फिर आंटी उठी, और मुझे भी उठाया। हम दोनों कपड़े पहनने लगे, और मैं घर से निकलने लगा।
आंटी: चाय पी कर चले जाना।
मैं: आज आपका इतना दूध पी तो लिया आंटी।
आंटी: तो अब चाय पी ले।
मैं: ठीक है।
आंटी चाय बना कर लाई। बबलू घर से निकल चुका था। मैं हाल में सोफ़े पर बैठा था। आंटी ने चाय रख दी, और मेरी गोद में बैठ गई। हम दोनों चाय की चुस्की लेने लगे।
आंटी: आसिफ आज तूने मुझे जन्नत की सैर करा दी, और दर्द से जहन्नुम की भी।
मैं: थोड़े दिन लगातार चोदूंगा तो आदत हो जाएगी।(mom hot chudai)
आंटी: हां रोज आना मजा आएगा।
अब मैं चाय खत्म करके अपने घर चला गया, और सो गया। 7 बज जाते है और बबलू का काल आता है।
बबलू: भाई तूने तो मजा दिलवा दिया आज।
मैं: अभी तो शुरुआत है, तू तो देखता जा अभी।
बबलू: हां भाई अब तो रोज आएगा मेरे घर तू।(mom hot chudai)
मैं: हां आऊंगा आज रात को। देखनी है तेरी मां की चुदाई?
बबलू: हां कैसे?
मैं: अब वापिस समय आ गया है दोनों का दोस्त बनने का।
बबलू: अच्छा और आगे?
मैं: आज रात को तेरे घर आऊंगा, और दोनों पार्टी करेंगे। और तुझे बस सोने का नाटक करना है। बाकी तो तू समझदार है।
बबलू: हां भाई समझ गया।
मैं: रात को मिलते है।
9 बजे मैं बबलू के घर पहुंच गया। वहां डोर-बेल बजाई, और आंटी ने गेट खोला।
आंटी: तू अब यह क्या कर रहा है? बबलू देख लेगा तू निकल यह से।
मैं: अरे कुछ नहीं होगा।
इतने में बबलू आता है पीछे से।(mom hot chudai)
बबलू: कोन है मम्मी?
मैं: मैं आया हूं बबलू।
बबलू: अरे भाई आजा, बाहर क्यूं खड़ा है?
आंटी हमको देखती है और पूछती है-
आंटी: तुम दोनों की तो लड़ाई चल रही थी ना?
मैं: हां, पर अब खत्म हो गई, और फिर से दोस्त बन गए।(mom hot chudai)
बबलू: और आज फिर दोस्त बनने की खुशी में दोनों पार्टी कर रहे है।
मैं: हां आंटी, आज रात भर पार्टी करेंगे।
आंटी समझ जाती है, और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा देती है।
आंटी: चलो अच्छी बात है दोनों फिर दोस्त बन गए। मैं किचन में हूं, जरूरत हो तो बोल देना।
बबलू: ठीक है, हम ऊपर छत पर है।
बबलू ऊपर निकल जाता है। मैं किचन में जाता हूं। आंटी को पीछे से पकड़ लेता हूं, और बोलता हूं-
मैं: आज तो रात भर तू और मैं।
आंटी: इसलिए वापिस दोस्त बनाया है तूने उसको?(mom hot chudai)
मैं: हां, समझदार हो आप।
आंटी: पर बबलू रहेगा तो मैं तुझे कुछ नहीं करने दूंगी, यह भी समझ ले।
मैं: वो तो सब चल जाएगा।
मैं आंटी को किस करके ऊपर चला जाता हूं। बबलू और में थोड़ी बियर पीते है।
बबलू: भाई आज तो तूने मजे दिलवा दिए।
मैं: अरे आज रात को देख तू और मजा आएगा तुझे, और तेरी मां को।
बबलू: हां भाई।
आंटी: बस तू सोने और टल्ली होने का नाटक कर लेना।
बबलू: अरे हां बिलकुल।(mom hot chudai)
कहानी का पांचवा भाग : mom xxx chudai
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