प्रमोशन की रात में मेरे दो बॉस ने की चुदाई-Office hardcore sex

प्रमोशन की रात में मेरे दो बॉस ने की चुदाई-Office hardcore sex

हेलो दोस्तों मैं आदित्य, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “प्रमोशन की रात में मेरे दो बॉस ने की चुदाई-Office hardcore sex” यह कहानी आरुषि की है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।

कहानी के पहले भाग
कॉर्पोरेट ऑफिस में सेक्स पार्टी कल्चर
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मलिक सर और संजीव सर दोनों ने मुझे कामुक बना दिया था और उनकी गर्म सांसें मेरे जिस्म को आग का शोला बना रही थीं.

अब आगे बॉस चुदाई स्टोरी

मैंने उस दिन एक खूबसूरत डिजाइनर साड़ी और बैकलेस ब्लाउज पहना था, जिसकी लेस पीछे बंधी थी.
मलिक सर ने धीरे से मेरा पल्लू सरका दिया और एक हाथ से मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे चूचे को दबाने लगे.

उस वक्त तक मेरा होश गायब हो चुका था. Office hardcore sex
संजीव सर ने मुझे अपनी ओर खींचा, मेरा चेहरा अपने हाथों में थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.

मैं भी उनके जोश में बह गई और उन्हें उतने ही शौक से चूमने लगी.
अब मेरी पीठ मलिक सर की ओर थी.

उन्होंने मेरे ब्लाउज की लेस खोल दी और मेरी नंगी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगे, फिर उसे चूमने लगे.

एक साथ चार हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म पर किसी कामुक सपने की तरह लग रहा था.
संजीव सर के साथ मेरा किस खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था.

शराब का नशा और वह जोश हमें किसी और ही दुनिया में ले गया था.

तभी मलिक सर ने मुझे पीछे से कसकर जकड़ लिया और अपनी उंगली मेरे गाल पर रखकर मुझे अपनी ओर घुमाने लगे.
जैसे ही मैं उनकी ओर मुड़ी, संजीव सर ने मुझे रोका और बोले- बस 2 सेकंड मेरी जान, पहले तुम्हारा ब्लाउज उतार दें.

उन्होंने मेरे कंधों और हाथों से ब्लाउज खींचकर निकाला और मलिक सर ने पीछे से मेरी ब्रा की स्ट्रैप ढीली कर दी, जिसे संजीव सर ने सामने से उतार फेंका.

अब मैं पलटकर मलिक सर की ओर बैठ गई.
पीछे से मेरे खुले चूचे को संजीव सर अपने मजबूत हाथों से खूब मसल रहे थे और सामने मलिक सर मेरे होंठों को चूमने में डूबे हुए थे.

थोड़ी देर तक ये सब चलता रहा.
फिर मलिक सर ने संजीव सर से पूछा- इसे अन्दर ले चलें? 3 बजने वाले हैं.

संजीव सर ने हामी भरी और मुझसे कहा- आरुषि जान, चलो बेड पर चलते हैं.

मेरा हाथ पकड़कर वे मुझे अन्दर ले गए.

कमरे में घुसते ही मलिक सर ने लाइट्स जला दीं और बोले- मुझे इसकी जवानी पूरे उजाले में देखनी है.

मैं थोड़ा शर्मा गई. Office hardcore sex

लेकिन जल्द ही वे दोनों मेरे इतने करीब आ गए कि मैंने आंखें बंद कर लीं और उनके स्पर्श को महसूस करने में खो गई.

आंखें बंद थीं, लेकिन मुझे अहसास हुआ कि मेरी साड़ी धीरे-धीरे मेरे जिस्म से सरक रही है.
शर्म से मेरा शरीर कांप रहा था और आंखें खोलकर वह नजारा देखने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

फिर अगले ही पल मेरी पैंटी भी मेरे पैरों से खिसककर जमीन पर जा गिरी.

शर्म के मारे मैंने आंखें और कसकर बंद कर लीं.

उन्होंने मुझे आंखें खोलने को कहा लेकिन अपने आपको उनके सामने पूरी तरह नंगी देखने की सोच से मैं घबरा गई.

अचानक मुझे सब बहुत अजीब लगने लगा.
मैंने कांपती आवाज में कहा- सॉरी सर, मुझसे ये नहीं होगा.

उन्होंने जल्दी से मुझे तसल्ली देने की कोशिश की.
‘आरुषि, तुम फिक्र मत करो. हम तुम्हारे साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं कर रहे. हम सब बस मिलकर मजे ले रहे हैं. अगर तुम्हें अजीब लग रहा है, तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे. बस 2 मिनट हमारी बात सुन लो.’

मलिक सर ने फौरन अपने बैग से एक टाई निकाली और मेरी आंखों पर बांध दी.
फिर मुझसे पूछा- अब तुम्हें कुछ दिख रहा है? नहीं ना? अब शर्माओ मत, बस हमारी आवाज सुनो और मजे से सब महसूस करो.

इतना कहते ही उनमें से एक ने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया.
अब मैं सिर्फ उनकी आवाजें सुन पा रही थी.

कपड़े उतरने की हल्की सरसराहट, बेल्ट के फर्श पर गिरने की खनक … ये सब मेरे कानों में गूंज रहा था.

फिर उन्होंने मेरा हाथ थामा और बड़े संभालकर मुझे बिस्तर के बीच में लिटा दिया.

वे दोनों मेरे आगे-पीछे आ गए और मुझसे लिपट गए.

इस बार उनका स्पर्श कुछ अलग था, जिस्म से जिस्म टकरा रहा था.

वे दोनों भी मेरी तरह पूरी तरह नंगे होकर मुझसे चिपक गए थे. Office hardcore sex
मैं किसी एक को चूम रही थी, उसके हाथ मेरा चेहरा थामे मेरे होंठों को चूस रहे थे.

दूसरा मेरी कमर पर हाथ फेर रहा था, उसका तना हुआ कड़क लंड मेरे चूतड़ों को छू रहा था, तो सामने वाले का मेरी चूत के पास रगड़ खा रहा था.

वे मुझसे पूछते रहे- मजा आ रहा है आरुषि तुझे?
मैं बस सिसकारियों के बीच ‘हां’ कह पा रही थी.

फिर उन्होंने पूछा- चल, अब ये टाई हटा दें तेरी आंखों से?
मैंने कहा- नहीं सर, थोड़ी देर रहने दो.

उन्होंने आपस में बात की.
मलिक सर ने संजीव सर से पूछा- तू डालेगा या मैं डालूं?
संजीव सर बोले- नहीं, मैं अभी इसके होंठों के मजे ले रहा हूं. तू शुरू कर.

उनकी बातों से मैं सब समझ गई.
मेरे अन्दर ही अन्दर एक बेसब्री जागने लगी, मैं उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी.

तभी मलिक सर ने कहा- जान, ये टांग थोड़ी उठा!
संजीव सर ने मुझे चूमना रोका, मेरी एक टांग उठाई और मुझे अपनी ओर खींच लिया.

पीछे से मलिक सर ने मेरी कमर पकड़ी और मेरी चूत पर अपना मोटा लौड़ा टिका कर अन्दर डालने लगे.

थोड़ा दबाव पड़ते ही उनका बड़ा सा मशरूम जैसा टोपा मेरे अन्दर घुस गया.
मैं मजे से कराह उठी- आह्ह … उफ्फ … सर … उम्म्म!

मलिक सर ने संजीव सर से कहा- बहुत टाइट है साली की! Office hardcore sex
संजीव सर बोले- क्या बात कर रहे हो?

‘हां, डालकर देखो, सही में मस्त टाइट चूत है.
एक पल बाद वे फिर से हंसते हुए बोले- भाई, 28 साल की चिकनी लौंडिया है, टाइट चूत तो होगी ही!

उनकी कामुक बातें सुनकर मेरी सिसकारियां और बढ़ गईं.
मेरी चूत से तो जैसे पानी का झरना बह रहा था.

तभी संजीव सर ने कहा- हट, मैं देखता हूं.
उन्होंने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गए. मेरी टांगों के बीच अपना लंड मेरी चूत पर टिकाया और अन्दर घुसाने लगे.

कोई 2-3 धक्कों में उनका लंड फच-फच करता हुआ अन्दर सरक गया.
‘आह ये तो सही में टाइट निकली यार!’

यही सब कहते हुए वे और जोर से धक्के मारने लगे.
उनका लंड मेरे अन्दर लेना मुझे बेहद मजेदार लग रहा था.

मेरी हल्की-हल्की चीखें निकल रही थीं लेकिन हर धक्के के साथ मेरी चूत खुलती जा रही थी.

फिर सर ने मेरी आंखों की पट्टी हटा दी और बोले- हो गया बहुत नाटक, अब खुली आंखों से चुद.

मेरे ऊपर संजीव सर चढ़े हुए थे, धक्कों पर धक्के लगा रहे थे.
मजे में मेरी टांगें अपने आप खुल गईं और उनके लंड का स्वागत करने लगीं.

मलिक सर ने पूछा- कैसी लग रही है इसकी चूत, संजीव?
वे बोले- बहुत सही है भाई, बहन की लौड़ी बहुत मस्त टाइट है.

दोनों ठहाके लगाने लगे.

‘क्यों आरुषि, कैसी लगी प्राइवेट पार्टी?’ 
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा- हम्म … अच्छी है सर. Office hardcore sex

वे बोले- अब तू सीनियर हो गई है मेरी जान … और कॉरपोरेट में सीनियर्स की पार्टी ऐसी ही होती है.

मैं मस्ती में डूबकर मजे ले रही थी- आह सर … बहुत सही … उफ्फ … हां सर, ऐसे ही चोदो … आह आह!
वे और जोश में आ गए और मेरी चूत को तेजी से ठोकने लगे.

मैं झड़ने के करीब थी और वे भी तेज-तेज धक्के मार रहे थे ‘आह आह आह … आरुषि … ता आह … आरुषि मेरी जान … मेरी सेक्सी रंडी … मेरी माल …’

और फिर उन्होंने अपने गर्म-गर्म माल की पिचकारी मेरे पेट पर, मेरे चूचे पर छोड़ दी.
आखिरी बूंद गिरते ही वे थककर मेरे ऊपर ढेर हो गए.

मैं प्यार से उनके बालों को सहलाने लगी, उनके गाल और गर्दन को धीरे-धीरे चूमने लगी.
‘शhh … आराम कीजिए सर, आपने बहुत अच्छा चोदा मुझे!’
‘तुझे मजा आया ना मेरी जान?’ संजीव सर ने पूछा.

‘हां सर, बहुत!’
मैंने सिसकते हुए जवाब दिया.

फिर उन्होंने बड़े प्यार से माफी मांगी- अगर जोश में आकर कुछ उल्टा-सीधा कह दिया या गाली दे दी, तो बुरा मत मानना.
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- मैं समझती हूं सर.

तभी मलिक सर हमारे लिए तीन पैग बनाकर ले आए.
हमने बिस्तर पर बैठकर एक बार फिर मेरे प्रोमोशन की खुशी में चीयर्स किया. Office hardcore sex

पैग खत्म होते ही मलिक सर मेरे पास सरक आए और मेरे जिस्म से खेलने लगे.

मैंने हंसते हुए कहा- थोड़ा सब्र करो ना सर, अभी तो सब हुआ है.

वे बोले- इतनी जवान, कमसिन लड़की होकर एक राउंड में थक गई? तुझे तो एक रात में 5-5 लौड़े खुश करने चाहिए.

मैंने शर्माते हुए कहा- उम्म … सर, कुछ भी कहते हो आप. चढ़ गई है आपको, सच में!

इतना कहते ही उन्होंने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और मेरी पहले से गीली, संजीव सर के माल से भरी चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया.
अब वे मुझे चोदने लगे और मैं उनकी गोद में बैठकर उछल-उछलकर अपनी चूत मरवाने लगी.

एक-दूसरे की आंखों में आंखें डालकर हम चुदाई का नशा पी रहे थे.
मैं उन्हें चूम रही थी और उनकी गंदी-गंदी बातें मेरी चूत में और आग लगा रही थीं.

वे कह रहे थे- पति के लौड़े पर ऐसे ही उछलती है?
मैंने कहा- हां.

‘रोज चोदता होगा तुझे?’
‘नहीं सर, रोज नहीं.’
‘अच्छा, तभी इतनी टाइट है तू. हमारे लिए तो अच्छा हुआ ना?’

‘हां सर, आप दोनों के लिए.’ Office hardcore sex
‘हां मेरी लौड़े की रानी, अब पलट जा, तेरी गांड उछलती हुई देखनी है.’

मैं पलट गई और फिर उनके लंड पर बैठ गई.

अब मेरी नजर संजीव सर पर थी.
वे मुस्कुराते हुए अपना पैग पीते हुए मुझे निहार रहे थे और मैं मलिक सर के लंड पर उछल-उछलकर उन्हें मजा दे रही थी.

शर्माती हुई मैं संजीव सर को देखकर मुस्कुरा रही थी.

वे मेरे पास आए और बोले- यार मलिक, लग रहा है अपनी जवान रंडी को बहुत मजा आ रहा है.

मलिक सर हंसते हुए बोले- मजा आ रहा है, तभी तो उछल रही है ना ये!
मैंने शर्म से कहा- सर प्लीज…

संजीव सर मेरे पास आए, मेरे गाल को अपनी जीभ से चाटते हुए बोले- क्या प्लीज आरुषि?
‘कुछ नहीं सर’

‘क्या कुछ नहीं? तुझे रंडी न कहूं?’
‘नहीं, मत कहो सर.’

‘क्यों, तू रंडी नहीं है?’
‘नहीं सर.’
‘अच्छा? तू 2 गैर मर्दों के साथ नंगी चुद रही है और रंडी नहीं है?’

‘नहीं सर, प्लीज.’ Office hardcore sex
‘अभी तू रंडी है, समझी बहन की लौड़ी. इस कमरे से बाहर निकलने तक तू रंडी है, समझी?’
‘हम्म … सर …’
‘इतने शराफत के नखरे मत दिखा साली, वरना मुँह में दे दूंगा तेरे.’

इतना कहकर वे उठे और मेरे मुँह में अपना लंड ठूंस दिया.
‘उफ्फ … उफ्फ …’ मेरे दोस्तो, नीचे मलिक सर का लौड़ा मेरी चूत की गहराइयों को नाप रहा था और ऊपर संजीव सर का सोया हुआ लंड मेरे मुँह में फिर से तनने लगा था.

कुछ देर तक ये सिलसिला चलता रहा.
संजीव सर का लंड फिर से खड़ा हो गया.

तभी मलिक सर बोले- आरुषि, मेरा भी चूस दे यार, ढीला पड़ रहा है!
मैंने संजीव सर का लंड बाहर निकाला और मलिक सर की ओर पलट गई.

संजीव सर ने कहा- अब तू कुतिया बन, मेरी कुतिया. Office hardcore sex
मैंने शरारत भरी नजरों से उन्हें देखा और झुककर बोली- लो सर, तैयार है आपकी कुतिया आपके लिए!

संजीव सर ने मेरी कमर पकड़ी और एक झटके में मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया.
मेरे मुँह से प्यार और दर्द भरी चीख निकल गई.

वे पीछे से मेरी कमर थामे मुझे चोद रहे थे और मैं बड़े प्यार से मलिक सर का लौड़ा अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.
मलिक सर का लंड संजीव सर से थोड़ा अलग था, पर उसे चूसने में मुझे गजब का मजा आ रहा था.

कुछ देर तक ये सब चलता रहा.
फिर संजीव सर ने मेरी चूत में दूसरी बार अपना माल छोड़ दिया.

इधर मैं मलिक सर के लंड को जोर-जोर से हिलाने और चूसने लगी.
उन्होंने कहा- जान, गिरने वाला है, जल्दी से बैठ जा इस पर!

जैसे ही मैंने उनका लौड़ा अपनी चूत पर लगाया.
उनका लंड तेज पिचकारी मारते हुए मेरी चूत में टपकने लगा और कुछ बाहर झड़ गया.

हम तीनों थककर एक-दूसरे की बांहों में ढेर हो गए.

कमरे में सिर्फ हमारी तेज सांसों की आवाज गूंज रही थी.

हमारे पसीने से तर-बतर जिस्म एक-दूसरे से लिपटे थे.
एयर-कंडीशन्ड कमरे में भी गर्मी सी महसूस हो रही थी. 

पूरे कमरे में एक कामुक महक फैल गई थी, हमारे पसीने की, मेरी चूत के रस और उनके माल की मिली-जुली खुशबू.
सुबह के करीब 6 बज रहे थे. खिड़की से सूरज की किरणें अन्दर झांकने लगी थीं पर हम इतने थक गए थे कि वहां से उठने का मन ही नहीं कर रहा था.

मैंने जैसे-तैसे अपने आप को समेटा और वॉशरूम में जाकर खुद को साफ किया.

बाहर आई तो देखा कि संजीव सर और मलिक सर अपने कपड़े पहन रहे थे.
मैंने भी जल्दी से अपनी साड़ी लपेट ली. Office hardcore sex

फिर हम तीनों ने आखिरी बार एक-दूसरे को गले लगाया.

दोनों ने मुझे शुक्रिया कहा और मेरे गालों को इतना चूमा कि हंसी छूट गई.
उनके होंठों से मेरे गाल गीले हो गए.

संजीव सर ने कहा- आरुषि, अब सब उठने शुरू हो जाएंगे. कोई देख ले, उससे पहले तुम अपने कमरे में चली जाओ. तुम्हारे बाद मलिक निकलेगा.

मैंने उनकी बात मानी और चुपचाप अपने कमरे की ओर बढ़ गई.

वहां पहुंचकर मैंने बाथटब में गर्म पानी भरा, उसमें लेट गई और रात के उन मजेदार, मदहोश कर देने वाले पलों को याद करते-करते कब सो गई, पता ही नहीं चला.

ये थी मेरी जिंदगी की उस वक्त तक की सबसे हसीन और यादगार रात, पाठको.

इस घटना से लेकर आज पूरे डेढ़ साल बीत चुके हैं. Office hardcore sex
इन डेढ़ सालों में और क्या-क्या हुआ, वह मैं वक्त मिलते ही जरूर लिखकर आपको बताऊंगी.

लेकिन ये घटना आपको कैसी लगी, ये मुझे जरूर बताएं.

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