गांडफाड़ हादसा 4 – padosi uncle hot chudai 

कहानी का तीसरा भाग : hot padosi uncle chudai

थोड़ा बहुत माल मेरे चेहरे पर और मेरे बूब्स पर भी गिर गया। झड़ने के तुरंत बाद उन्होंने लंड फिर से मेरी चूत में डाला,

और मुझे चोदने लगे। मैंने कहा, “मन नहीं भरा?” उस पर उन्होंने कहा कि,

“मन तो मेरा तेरी चूत से कभी नहीं भरेगा”। (padosi uncle hot chudai )

मैं मुस्कुराई और उनको किस्स करने लगी। कुछ देर किस्स करने के बाद उन्होंने मुझे कुत्ती बनने को कहा।

मैं झट से डॉगी पोज़ीशन में आ गई, और रतनेश जी ने भी झट से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया।

लंड चूत के अंदर घुसते ही मेरे मोबाइल की रिंग बजने लगी। मैं इस बात से बहुत गुस्सा हो गई और बोली, “यार अब किसका फ़ोन आगया!(padosi uncle hot chudai )

” मैं उठी और फोन की तरफ देखा तो मेरे पति का फ़ोन था। मैं थोड़ा हड़बड़ा गई लेकिन फिर मैंने उनका फ़ोन उठाया।

मैं: हैलो, कैसे हो?

मेरे पति: मैं ठीक हूं बेबी, तुम कैसी हो?

मैं: मैं बिल्कुल ठीक हूं।(padosi uncle hot chudai )

मैं बोलते-बोलते रतनेश जी के बगल में जा कर बैठ गई। मैं फ़ोन पर बोल ही रही थी कि रतनेश जी ने अपना लंड मेरे हाथ में रखा, और हिलाने का इशारा किया।

मैं उनका इशारा समझ गई और उनका लंड हिलाने लगी। मेरे मन में आया, “एक पति से फ़ोन पर बात कर रही हूं, और एक पति का लंड हिला रही हूं”। ये सोच कर मैं मुस्कुराने लगी।

पति: क्या हुआ, हस क्यों रही हो?

मैं: अरे कुछ नहीं, बस तुमसे बात करके अछा लगा।(padosi uncle hot chudai )

पति: अरे मेरी शोना। अच्छा वैसे रतनेश जी कैसे है? कोई तकलीफ तो नहीं?

मैंने रतनेश जी के तरफ देखते हुए कहा-

मैं: अरे वो तो बहुत खुश है।

ऐसे ही करीब पांच मिनट बात करने के बाद मैंने काम का बहाना बना कर फ़ोन काट दिया।(padosi uncle hot chudai )

फ़ोन कटते ही मैं झट से रतनेश जी का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी। रतनेश जी, “अरे फ़ोन रखते ही शुरु हो गई, वाह क्या बात है!”

मैं चुप-चाप मजे से उनका लंड चूसे जा रही थी, और फिर कुछ ही देर में वो मेरे मुंह में झड़ गए,

और मैंने भी उनका सारा पानी बड़े आराम से पी लिया। फिर हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे के बगल में बैठे रहे।

रतनेश जी बहुत खुश लग रहे थे। उन्हें खुश देख मुझे भी अच्छा लगा। रतनेश जी ने कहा, “वाह! जिया तूने तो मेरा सारा पानी निकाल दिया। ऐसा लग रहा है जैसे में फिरसे जवान हो गया हूं“।(padosi uncle hot chudai )

मैंने कहा, “वो सब तो ठीक है। मगर आप मुझे दिन भर चोदने के बाद भी थके कैसे नहीं?”

इस पर वो हंसे और बोले, “मुझे भी नहीं पता। तुम इतनी हॉट हो कि मेरा मन ही नहीं भरता। मन करता है कि तुम्हें बस चोदते रहूं।

या फिर पहले मैं पहलवानी करता था, इसलिये मेरा शरीर आज भी मेरा साथ दे रहा है”।

उनसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। ऐसे लगा के मानो वो मुझे समझ सकते थे।(padosi uncle hot chudai )

मेरी धड़कन तेज होने लगी, और मैंने झट से बोल दिया, “रतनेश जी क्या आप मेरे सच में पति बनेंगे?”

वो ये सुन कर शॉक हो गए और बोले, “जिया ये तुम क्या कह रही हो? तुम्हे मेरे बारे में ऐसा क्यूं लग रहा है?”

मैंने कहा, “आप तो मेरे झूठे पति होने के बाद भी मेरा खयाल रखते है, और मेरे असली पति को तो मेरे लिये टाईम ही नहीं रहता”। ये कह कर मैं उदास हो गई।

रतनेश जी हंसे और बोले, “अरे जिया, कितनी भोली हो तुम। हम दोनों का रिश्ता बस एक-दूसरे के शरीर को खुश रखने तक का ही है।

और रही बात तुम्हारे पति की, तो वो तो तुम्हें सबसे ज्यादा प्यार करता है”।(padosi uncle hot chudai )

मैंने गुस्से में कहा, “अगर उन्हें मुझसे इतना प्यार है, तो हर बार मुझे छोड़ कर क्यों चले जाते है?”

रतनेश जी बोले, “दीपक (मेरे पति का नाम) जब भी मुझसे मिलता है तो तुम्हारे बारे में बहुत बोलता है। वो सारी मेहनत बस तुम्हारे लिये कर रहा है”।

ये बात सुन कर मुझे अच्छा लगा और बुरा भी, कि कैसे मैं अपने पति के प्यार को कम समझ बैठी। लेकिन रतनेश जी ने मुझे अच्छे से समझाया और मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ।(padosi uncle hot chudai )

हम दोनों काफी देर नंगे ही सोफे पर बैठे थे, और मैंने तो दिन भर कोई कपड़ा ही नहीं पहना था। सच कहूं तो मुझे अब नंगी रहने में ही मजा आ रहा था।

कुछ देर बाद रतनेश जी ने मुझसे खाने के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें कहा कि, “मैं अब खाना बनाने के हालत में नहीं हूं”।(padosi uncle hot chudai )

हम दोनों दिन भर चुदाई के बाद थक गए थे, और पसीने से लथपथ थे। तभी रतनेश जी ने कहा, “तुम भी थक गई हो और मैं भी। तो चलो आज बहार होटल में खाना खाते है”।

मैं ये सुन कर बहुत खुश हुई और जल्दी से हां कर दी। बस मैं कपड़े पहनने के लिए उठने ही वाली थी कि रतनेश जी का फ़ोन बजा।

उन्होंने फ़ोन देखा तो खुश हो गए। दरसल उनके जिगरी दोस्त का फ़ोन था इसलिए वो खुश हो गए।(padosi uncle hot chudai )

फिर क्या, दोस्त जैसे आपस में हसी-मज़ाक करके बात करते है, वैसे ही उनकी बातें शुरु हो गई।

मैं रतनेश जी को हस्ता हुआ देख कर बहुत खुश हुई। क्योंकि शायद घर जलने के हादसे के बाद वो पहली बार इतना मन भर कर हस रहे थे। तो ये देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा।

मैं तो खैर वैसे ही नंगी रतनेश जी को फ़ोन पर बोलते हुए सुन रही थी, और मन में सोच रही कि यार कब खतम होगा इनका बोलना। बाहर खाने भी जाना था।(padosi uncle hot chudai )

8:30 बज गए थे। मैं ये सब सोच ही रही थी कि रतनेश जी फ़ोन पर बात करते हुए बोले, “अरे अभी? अभी तो मुश्किल है।

अच्छा कुछ अर्जेंट बात है? ठीक है फिर।” ये कह कर उन्होंने फ़ोन रख दिया।

मैं: किसका फ़ोन था जी?

रतनेश जी: अरे मेरे जिगरी दोस्त का फ़ोन था। संजय नाम है उसका।(padosi uncle hot chudai )

मैं: अच्छा। तो क्या कह रहे थे वो?

रतनेश जी: जिया देखो गुस्सा मत होना। पर मुझे अभी जाना होगा। मेरे सारे दोस्तों ने मुझे मिलने बुलाया है। मुझे जाना ही होगा।

मैं: अरे आप मेरी चिंता मत किजीये। जाईये अपने दोस्तों से मिल कर आइये। हम किसी और दिन बाहर खाना खाते है।(padosi uncle hot chudai )

रतनेश जी: तुम सच में गुस्सा नहीं हो ना?

मैं: गुस्सा तो नहीं हूं, पर नाराज हूं। लेकिन आप भी अपने दोस्तों से मिलने जा रहे है, तो मैं भी कैसे मना करूंगी।

रतनेश जी: जिया तुम कितनी समझदार हो। अब तो हम आज ही बाहर खाना खाएंगे।(padosi uncle hot chudai )

मैं (खुश होकर): सच में!?

रतनेश जी: हां बाबा, मेरा इन्तज़ार करना।

मैंने रतनेश जी के कपड़े लाकर दिये, और वो उन्हें मेरे सामने पहनने लगे। कपड़े पहन कर तैयार होने के बाद वो निकल रहे थे,

कि मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनको रोक कर झट से उनके होंठों पर कस के किस्स किया और बोली, “जल्दी आना”।(padosi uncle hot chudai )

उन्होंने मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारा, और हां में सर हिलाया। फिर रतनेश जी चले गए और मैं अकेली ही घर पर नंगी रह गई।

मैं नंगे बदन ही टीवी देख रही थी। अब तो मुझे नंगा रहने में शरम भी नहीं आ रही थी।

ऐसे ही बैठी थी कि मुझे रतनेश जी की बात याद आ गई। उन्होंने कहा था कि मेरे पति से ज्यादा मुझसे कोई प्यार नहीं कर सकता।

मुझे भी मेरे पति से बहुत प्यार है। पर क्या करूं मेरी चूत की आग ही इतनी बढ़ गई कि में रतनेश जी से चुद गई। मुझे मेरे पति की याद आ रही थी। तो मैंने उन्हें फ़ोन किया।(padosi uncle hot chudai )

(मैं और मेरे पति फ़ोन पर बात करते हुए)

मैं: हेलो।

पति: हेलो जिया, क्या हुआ फिरसे फ़ोन किया?

मैं: जी वो आपकी याद आ रही थी।(padosi uncle hot chudai )

पति: मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही है।

मैं: तो फिर यहां क्यों नहीं आते?

पति: आना तो चाहता हूं, पर तुम तो जानती हो

बिज़नेस को संभालना कितना मुश्किल है।

मैं (गुस्से में): तुम और तुम्हारा बिज़नेस।(padosi uncle hot chudai )

पति: अरे तुमने मुझे डांटने के लिए कॉल किया है क्या?

मैं: नहीं जी, बस आप काम में लगे रहते हैं, और मेरी तरफ कुछ ध्यान नहीं देते इसलिये।

पति: मैं ये सब तुम्हारे लिये ही कर रहा हूं।

ऐसे ही बात करते-करते हमारी बात-चीत थोड़ी गरम हो गई और मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी। फिर मेरे पति ने मुझसे पूछा कि,

“रतनेश जी घर पर है कि नहीं?” तो मैंने उन्हें कहा कि, “वो बाहर गए है”। ये बोलते ही उन्होंने मुझे वीडियो कॉल करने बोला। उन्हें मुझे अच्छे से देखना था।(padosi uncle hot chudai )

वीडियो कॉल करते ही मेरे पति चौंक गए क्योंकि मैं नंगी ही थी। मुझे ऐसे देख वो बोले-

पति: वाह! मेरी बीवी तो तैयार बैठी है।

मैं इस बात पर मुस्कुराई। फिर उन्होंने भी अपने कपड़े निकाले, और हम दोनों अपने आप को खुश करने लगे।(padosi uncle hot chudai )

वो अपना लंड हिला रहे थे, और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी। ये खेल करीब आधे घंटे तक चला। फिर हम दोनों शांत हो गए।

मैंने पूछा: कितने दिन बाद लौटोगे?

पति: पता नहीं बेबी। 1 या 2 महीने लग सकते है।(padosi uncle hot chudai )

मैं: इतने दिन! (मैं ये सुन कर थोड़ी खुश भी हो गई कि और 1-2 महीने मैं और रतनेश जी पति पत्नी बन कर रह सकते है)

फिर कुछ और देर हमने बाते की, और मैंने बातों-बातों में बता दिया कि मैं और रतनेश जी बाहर खाना खाने जा रहे थे।

मुझे लगा कि मेरे पति गुस्सा होंगे, पर वो उल्टा खुश हो गए। मेरे पति का मुझ पर पूरा विश्वास था। मुझे बुरा भी लगा कि मैं उनका विश्वास तोड़ रही थी।

फिर हमने एक-दूसरे को बाय कहा, और फ़ोन कट कर दिया।(padosi uncle hot chudai )

मैंने घड़ी देखी तो 9:30 बज गए थे। मैं बाथरुम में गई, और अच्छे से नहा लिया। पूरे आधे घंटे तक नहाने के बाद मैं अपने रूम में तैयार होने के लिये गई।

मैंने लाल नेट की सारी पहन ली, और काले रंग का ब्लाऊज पहना, और एक सरप्राइज था, वो आपको बाद में पता चलेगा।

मैं बहुत ही अच्छे से सज-धज कर तैयार थी, और रतनेश जी का इन्तज़ार कर रही थी। करीब 11:00 बजे रतनेश जी घर आए।

मैं: इतनी देर क्यूं कर दी?(padosi uncle hot chudai )

रतनेश जी मुझे देख कर एक-दम थम से गए और बोले, “जिया तुम कितनी सेक्सी लग रही हो! मन कर रहा है कि तम्हें फिर से चोदना शुरु करूं“।

मैं शर्मा गई और उनसे फिर पूछा कि, “देर क्यों हो गई?” उन्होंने कहा कि,‌ “बातों-बातों में समय का पता नहीं चला।

”और फिर मैंने भी ज्यादा कुछ पूछा नहीं। मैं रतनेश जी के सामने गई और उन्हें गले लगाया, और उन्होंने भी मेरी गांड और बूब्स को कस कर दबाया। मेरी तो आह निकल गई।(padosi uncle hot chudai )

रतनेश जी: चलो जिया अब चलते है।

मैं: ठीक है।

हम दोनों घर के बाहर आ गए, और कार में बैठ गए।

आगे की कहानी अगले भाग में।(padosi uncle hot chudai )

कहानी का पांचवा भाग : padosi uncle hot chudai xxx 

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