पंजाब की सरदारनियां 2 – punjabi hot sex story

कहानी का पहला भाग : punjabi sex story

गुज़रते दिनों के साथ अब जसनीत बैंक के काम को काफी हद तक समझ चुकी थी, और वो रोज ही संतोष के कहे मुताबिक उसके लिए दही और लस्सी ले जाया करती।

दूसरी तरफ धीरे-धीरे गेहूं की कटाई का समय भी नजदीक आ रहा था। तो बलबीर सिंह बार-बार खेतों‌ में जा कर चेक करता रहता, की कही कोई बीमारी या कीट तो गेहूं को नहीं खा रहे।

एक दिन ऐसे ही बलबीर सिंह अपने घर बैठा था, कि बाहर से एक आवाज आई, “बलबीर घर ही है?”(punjabi hot sex story)

बलबीर सिंह ने उठ के गेट दी तरफ देखा तो पिंड (गांव) का सरपंच खड़ा था, और साथ में पंचायत मेंबर भी।

“ओह आ जाओ सरपंच साब, आ जाओ, घर ही हूं”। बलबीर सिंह ने भी आगे से आवाज दी, और गेस्ट रूम में सभी को अंदर बिठा लिया।

“ओह , चाह पानी ला भई, सरपंच साब आए ने मेंबर नाल”। बलबीर ने मंजीत कौर को आवाज़ दी।(punjabi hot sex story)

“होर सुनाओ सरपंच साब आज पूरी पंचायत लेके यहां कैसे”? बलबीर ने सरपंच की तरफ देख के कहा

“ओह यार तुम्हे पता ही है कि इलेक्शन आ रहे ने ग्राम पंचायत दे। बस उसी सिलसिले में आए है”। सरपंच ने आराम से बैठते हुए कहा।

“हां, वो तो मैं जानता हूं, पर इसमें यहां आने की क्या जरूरत पड़ गई”? बलबीर ने सरपंच को देख के पूछा।(punjabi hot sex story)

“जरूरत इस तरह बलबीर, कि सरपंच जी इस बार इलेक्शन नहीं लड़ रहे, और हम चाहते है कि हमारी पार्टी की तरफ से तुम इलेक्शन में कागज दखल करो”। दूसरी तरफ से एक व्यक्ति बोला।

“ओह नहीं यार, नहीं सरपंच सांब, तुसी आए, इतना मान दिया, उसका धन्यवाद। पर मैं इलेक्शन नहीं लड़ सकता जी”। बलबीर ने जवाब देते हुए कहा।(punjabi hot sex story)

इतने में मंजीत कौर ने चाय के कप एक ट्रे में टेबल पर रखे, और चली गई।

“देख, तुम जितनी ना कर लो, इलेक्शन लड़ रहे हो इस बार, मेरी डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट से भी बात हो गई है, और हमारी सब की राय भी यही है”। सरपंच ने बलबीर को देख कर एक टूक जवाब देते हुए कहा।

“पर सरपंच साब खेत का काम, मुंडा अभी पढ़ाई कर रहा है, और मैं अकेला जी किस किस तरफ दौडूंगा”? बलबीर सिंह लाचार नजरों से देख कर बोला।(punjabi hot sex story)

“लै दस्सो, खेत दा ही काम है, कोई बिहारी भईया ढूंढ देते है, घर का और खेत का सारा काम संभाल लेगा”। बलबीर के साथ बैठा व्यक्ति हंस कर बोला।

“देख बलबीर, हमारी लिहाज है और अब ये तेरे हाथ में है, तू इलेक्शन लड़ेगा तो ठीक वरना भाई हम नाराज है तुमसे, और यार क्या काम-काम लगा रखी है, मेंबर साब ने सही कहा, ओह मेंबर साब, ढूंढ दियो कोई बिहारी इसे”। सरपंच ने भी मेंबर को देख के कहा।

“कर तो आप धक्का ही रहे हो सरपंच साब। पर क्या करूं, मैं आपका कहा टाल भी नहीं सकता”। कहते हुए बलबीर सिंह ने भी अब हामी भर दी।(punjabi hot sex story)

बलबीर सिंह की इस बात पर सब हंस पड़े और चाय पीने लगे। सभी बैठे चाय पी रहे थे कि बलबीर का छोटा भाई गुलवंत सिंह (50) भी वहा आ जाता है।

“सत श्री अकाल जी सारेया नू”। गुलवंत ने अंदर आ कर सब को कहा।

“ओए आ भई गुल्लू, और बता कैसा है”? सरपंच ने गुलवंत से कहा।(punjabi hot sex story)

“ठीक हा सरपंच साब और सुनाओ आज फौजें यहां कैसे भई? क्या मसला हो गया जो पूरी पंचायत ले के आ गए आप”? गुलवंत हसते हुए सरपंच को देख कर मजाक करता हुआ बोला।

“ओए आजा गुलवंतिआ आजा, तेरी ही कमी थी यहां, मैं भी सोचूं आज टपूसी मार (शरारती और हसमुख) दिखाई नहीं दे रहा”। चाय पीते हुए एक आदमी बोला और सभी हसने लगे।

“लगता तेरा मन है आज टपूसी खाने का”। गुलवंत भी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला।(punjabi hot sex story)

“ओए ना-ना भाई तू बस एक जगह बैठ जा यही काफी है”।उस आदमी ने फिर से कहा।

“छोड़ो यार अब हंसी मजाक, ओह गुलवंत यार हम तो इस बार बलबीर को सरपंच बनाने की सोच रहे है, बस इसीलिए आए है”। सरपंच ने दोनों को टोकते हुए कहा।

“आप नहीं लड़ रहे इस बार इलेक्शन”? गुलवंत अपनी मूछों पर हाथ फेरता हुआ बोला।(punjabi hot sex story)

“नहीं यार अब और नहीं कोर्ट कचहरी में जाया जाता। अब तो आराम करेंगे बस बलबीर को सरपंच बनवा दे एक बार”। सरपंच ने चाय का कप रखते हुए कहा।

“अच्छा भई बलबीर हुन चलदे आ असी, ते तू अपनी तैयारी रख सरपंच बनने के लिए”। कहते हुए सरपंच उठ खड़ा हुआ, और धीरे-धीरे सभी मेंबर भी जो साथ में आए थे।(punjabi hot sex story)

“और घबराई ना, कोई बिहारी या यूपी का भईया ढूंढ देंगे तेरे खेत और घर के काम के लिए”। जाते हुए फिर से एक आदमी ने बलबीर से कहा और सभी हंसते हुए बाहर आ गए।

इधर मंजीत ने भी बर्तन उठाए और रसोई में ले जा के साफ करने लगी, तो वही  सरपंच और उसके साथ आए बंदों और गुलवंत के जाने के बाद बलबीर अंदर आता है तो एक दम से आवाज लगाते हुए कहता है-

“ओह सरपंचनिये, किथे चली गई”? बोलता हुआ बलबीर सीधा रसोई में आ जाता है।(punjabi hot sex story)

“पहला जीत ता लाओ सरपंच का चुनाव, हुने कैसे सरपंचनी हो गई मैं”? मंजीत बलबीर को देख कर बोली।

“जीत लेंगे, भला सरपंची जीतनी भी कोई बड़ी बात है, और ओह भी मेरे लई जो ग्रामीण सोसायटी का प्रधान रहा है”। कहते हुए बलबीर राज कौर के नजदीक आ गया।

“इतनी छोटी बात है ता फिर इस बार एह सरपंच खुद क्यों नहीं लड़ रिहा, तेरे मोढे (कंधे) पे रख कर बंदूक क्यों चला रहा हैं”? राज कौर ने जैसे बलबीर को ताना सा मारा।(punjabi hot sex story)

“उसे चलाने दे बंदूक, तू इस बंदूक का हल कर कोई”। बलबीर ने राज कौर की कमर पकड़ कर उसे अपने साथ सटाते हुए बोला। तो उसका खड़ा लंड राज कौर को अपने चूतड़ों में धंसता हुआ महसूस हुआ।

“छोड़ो भी, कोई आ जायेगा। जब देखो तब पीछे पड़े रहते हो”। राज कौर अपने चूतड़ों से ही बलबीर को पीछे को धकेलती हुई बोली।

“अरे कौन आएगा हुन, एक बार बस इस नू ढीला कर”। बलबीर फिर तो राज कौर दे नेड़े होके उस दी सलवार दे नाले (नाड़ा) नू हाथ नाल बाहर खींचता हुआ बोला।(punjabi hot sex story)

“उउह, हटो भी, अपनी उम्र दा भी लिहाज करो, सफेद बाल आ गए है अब”। राज कौर ने बलबीर के हाथ को झटकते हुए कहा।

“उम्र दा लिहाज ही ता कर रिहा सी, पर लगता तुम ऐसे नहीं मानोगी”। कहते हुए बलबीर ने झटके से मंजीत के नाड़े को खोल दिया, और उसकी सलवार पैरो में जा गिरी।

इससे पहले कि मंजीत कुछ कर पाती, बलबीर ने अपना पजामा और कच्छा नीचे करते हुए कुर्ते को अपने दांतों में पकड़ लिया। आगे से और मंजीत की पीठ को आगे झुका कर चूतड़ों के ऊपर से उसकी कुर्ती उठा दी।(punjabi hot sex story)

कुर्ती के उठते ही मंजीत कौर के गोरे मुलायम और गद्दे से नरम चूतड़ बलबीर के सामने थे, और बलबीर ने अपने 4.5-5 के कमजोर से लंड से एक धक्का दिया तो वो एक ही बार में मंजीत कौर की चूत में समा गया।

पर भैंस जैसे गदराये जिस्म वाली पंजाबन को भला इससे क्या ही होने वाला था।

बलबीर पीछे से राज कौर की गरम चूत का एहसास लेते हुए धक्के मरने लगा, और मंजीत के नरम चूतड़ों को ख्रोंचते हुए चोदने लगा, जिस से राज कौर भी गरम हो कर हल्की सिसकियां लेने लगी।(punjabi hot sex story)

लेकिन राज कौर को अभी इस पल का एहसास होना शुरू हो हुआ था कि इससे पहले ही 5-6 तेज धक्के लगाता हुआ बलबीर राज कौर की गर्मी के आगे पिघल गया,

और उसके दुबले से पतले सफेद पानी की एक धार निकली जो राज कौर की फुद्दी के होंठो से बाहर फर्श पर गिरने लगा।

“आह्ह्ह मजा आ गया जट्टिये”। कहता हुआ बलबीर अपने कच्छे और पजामे को पहनता हुआ बाहर चला गया, और मंजीत वही पर खड़ी अपनी किस्मत और बलबीर को कोसती हुई देख रही थी।

क्योंकि पिछले 15-16 साल से वह ऐसे ही अपनी अधूरी प्यास लिए अपनी सलवार का नाला बांधती आ रही थी।

और आज फिर राज कौर की आग को भड़का कर बलबीर बाहर निकल गया। पर राज कौर अपनी आग सुलगती में अपनी सलवार पहन कर फर्श को साफ कर रही थी।(punjabi hot sex story)

कहानी का तीसरा भाग : punjabi hardcore xxx story

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