ससुर जी ने अकेले में लपेटा 1 - tharki sasur chudai

ससुर जी ने अकेले में लपेटा 1 – tharki sasur chudai

मेरा नाम नंदिनी है, और मेरे ससुर ने कैसे मेरी चुदाई की, ये मैं आपको इस कहानी में बताऊंगी।

मैं एक मॉडर्न लड़की हूं। मेरी उमर 28 साल है, और रंग गोरा है। फिगर मेरा 34-30-36 है।

मुझ पर लड़के अपना सब कुछ लुटाने को तैयार हो जाते है। उन्हीं लड़कों में से एक लड़का था सत्य प्रकाश जो मेरे ऑफिस में काम करता था, और मुझ पर लट्टू था।

जब मैंने उसके बारे में पता किया तो पता चला कि वो अपने घर का अकेला बेटा था, और उसके घर में वो और उसका बाप ही थे।(tharki sasur chudai)

वो मेरे से ऊंची पोस्ट पर था, और उसकी सैलरी भी मुझसे तीन गुना ज्यादा थी। मैंने सोचा कमाता अच्छा है, मुझ पर मारता भी है,

और कल को अगर शादी की इसके साथ तो सास से झगड़े का लफड़ा भी नहीं रहेगा, इसलिए मैंने उसको डेट करना शुरू कर दिया। जल्दी ही उसने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया, और मैंने हां कर दी।

फिर उसके पापा मेरी फैमिली से मिले, और हमारा रिश्ता पक्का हो गया।(tharki sasur chudai)

कुछ ही दिनों में हमारी शादी हो गई, और फिर हम हनीमून पर पेरिस गए। 15 दिन के हनीमून में हमने खूब सेक्स किया।

फिर हम वापस आ गए। वापस आ कर हमे एक और खुशखबरी मिली, की सत्य प्रकाश को हमारी कंपनी लंदन भेजना चाहती थी। लेकिन मुझे वहां लेके जाने के लिए 6 महीने लगने वाले थे।

सत्य प्रकाश ने कहा कि वो मुझे यहां छोड़ कर नहीं जाएगा, लेकिन मैंने उसको मनाया कि मैं यहां इंतेज़ार कर लूंगी,(tharki sasur chudai)

और वो ऐसा मौका ना गवाए। फिर वो लंदन चला गया। अब घर पर मैं और ससुर जी ही थे।

मैं पहले की तरह ही ऑफिस जाने लगी। मैं पहले भी जींस और शर्ट पहन कर ऑफिस जाती थी, और अब भी ऐसे ही कपड़े पहनती थी।(tharki sasur chudai)

मुझे ससुर जी की तरफ से कोई रोक-टोक नहीं थी, और मैं कुछ भी पहन सकती थी।

मेरे कपड़े काफी टाइट होते थे, जिससे लड़के कभी मेरी गांड और कभी चूचों को घूरते रहते थे। मुझे इन सब में मजा आता था।

ऐसे ही 2 महीने बीत गए, लेकिन अब मुझे सत्य प्रकाश की कमी खलने लगी।(tharki sasur chudai)

वो क्या है ना, चूत को जब लंड की आदत लग जाए, तो वो ज्यादा देर रुक नहीं सकती। ऐसा ही कुछ हाल मेरा भी था।

फिर मैंने रातों में फिंगरिंग करनी शुरू कर दी। लेकिन अभी तक मुझे ये नहीं पता था कि सब बदलने वाला था मेरे लिए।

एक रात मैं ऐसे ही फिंगरिंग कर रही था। मेरे जिस्म पर सिर्फ ब्रा थी, और बाकी सारे कपड़े मैं उतार चुकी थी। मैं मजे से अपने चूचे दबाते हुए चूत में उंगली कर रही थी।(tharki sasur chudai)

तभी मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी, और मुझे किसी की परछाई नज़र आई। मैं समझ गई वो ससुर जी थे, और मुझे देख रहे थे।

मैंने भी सोचा कि उनको और मजा करवाती हूं, तो मैंने जोर से आहें भरना शुरू कर दिया। फिर कुछ देर बाद जब वो चले गए, तो मैंने दरवाजे की दहलीज पर उनका माल गिरा हुआ देखा।

एक दिन जब मैं ब्रश कर रही थी, तो ससुर जी नहाने जा रहे थे। उन्होंने बाथरूम की कुंडी नहीं लगाई थी।(tharki sasur chudai)

मुझे पता नहीं क्या सूझा, कि मैंने उनका लंड देखने की सोची। फिर मैं धीरे से बाथरूम के बाहर गई, और दरवाजा हल्का सा खोल कर अंदर देखने लगी।

अंदर देखा, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। ससुर जी लंड हिला रहे थे, और उनका लंड मेरे पति के लंड से काफी बड़ा और मोटा था।(tharki sasur chudai)

उनका लंड देख कर मेरी चूत गरम हो गई, और मैंने जल्दी से अपने कमरे में जा कर फिंगरिंग की।

अब मुझे दिन भर ससुर जी के लंड के खयाल ही आने लगे। मन ही मन मैं उनके लंड को अपनी चूत में लेने के ख्वाब देखने लगी। लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं ऐसा कुछ करती।

अब मैं जब भी मौका मिलता, बाथरूम के बाहर खड़े रह कर ससुर जी का लंड देखती, और उसको देखते हुए अपनी चूत सहलाती। मुझे इस सब में बहुत मजा आ रहा था।(tharki sasur chudai)

फिर एक दिन ऐसे ही मैं बाथरूम के बाहर खड़ी थी। ससुर जी अंदर शावर के नीचे खड़े थे, और अपना लंड सहला रहे थे।

मैंने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनी थी, और मैं शॉर्ट्स में हाथ डाल कर अपनी चूत सहला रही थी। चूत सहलाते हुए मैं इतनी उत्तेजित हो गई कि मेरी आँखें बंद हो गई। मैं ये भूल गई थी कि मैं कहां खड़ी थी।

इतने में मेरे हाथ पर ससुर जी का हाथ पड़ा, और उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर खींच लिया।(tharki sasur chudai)

अब हम दोनों शावर के नीचे खड़े थे, और भीग रहे थे। ससुर जी पूरे नंगे थे, और उनका लंड पास से और बड़ा लग रहा था।

तभी मैं बोली: ससुर जी मैं देखने आई थी कि बाथरूम खाली है कि नहीं।

ससुर जी बोले: हां मैंने देखा है अक्सर तुम यहां आ कर खड़ी रहती हो, और चेक करती हो कि बाथरूम खाली होता है या नहीं।

“हे भगवान! इनको सब पता है?”, यहीं मेरे दिमाग में आया।(tharki sasur chudai)

अब मैं शर्म से सर झुका कर खड़ी हो गई। तभी ससुर जी ने अपने हाथ से मेरे चेहरे को ऊपर उठाया, और अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिए।

वो रिश्ता भूल कर मेरे होंठ चूसने लगे। मैं भी उस वक्त गरम थी, तो मैं भी अपने होश खो बैठी, और अपनी फैंटेसी जीते हुए उनका किस्स में साथ देने लगी।(tharki sasur chudai)

बहुत देर बाद मेरे होंठों को किसी मर्द के होंठों का स्पर्श मिला था। इसलिए मुझे बहुत मजा आ रहा था।

ससुर जी को भी मेरे होंठों का रस पीने में बहुत मजा आ रहा होगा, इतना मुझे पता है।

फिर होंठ चूसते हुए ससुर जी अपने हाथ मेरे कमर पर रखे, और उनको पूरी पीठ पर फिराने लगे।(tharki sasur chudai)

मैं उनकी बाहों में समाती जा रही थी, और मेरे जिस्म में झनझनाहट सी उठ रही थी।

तभी ससुर जी ने मेरे चूतड़ों पर हाथ रखा, और उनको दबाना शुरू कर दिया। इससे मेरे बदन में एक करेंट सा दौड़ने लगा।

मेरा और ससुर जी का बदन आपस में चिपके हुए थे और मुझे मेरे पेट पर उनका खड़ा हुआ लंड महसूस हो रहा था।

मैं बड़ी उत्सुक थी कि क्या ससुर जी अपना ये विशाल लंड मेरी चूत में पेलेंगे? और अगर पेलेंगे, तो कैसे वो मेरी चूत का भोंसड़ा बनायेंगे?

इन सब सवालों के जवाब आपको इस सेक्स स्टोरी के अगले पार्ट में मिलेगा।(tharki sasur chudai)

कहानी का दूसरा भाग : tharki hot sasur chudai

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