ससुर जी ने मुझे खेतों में चोद कर किया अपने लंड की हवस शांत-xxx bahu chudai

ससुर जी ने मुझे खेतों में चोद कर किया अपने लंड की हवस शांत-xxx bahu chudai

हेलो दोस्तों मैं आदित्य, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “ससुर जी ने मुझे खेतों में चोद कर किया अपने लंड की हवस शांत-xxx bahu chudai” यह कहानी श्यामलाल की है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।

दोस्तो, मेरी पिछली कहानी
मेरे ससुर जी ने मेरी मम्मी को चोद दिया
में पढ़ा था कि मेरे ससुर ने मेरी मां को किस तरह से पटा कर पेल दिया था.
उससे मैं समझ गयी थी कि मेरे ससुर ने मेरी मां को मेरी सास बना दिया है.

कुछ देर बाद पिताजी घर आए और उन्होंने ससुर जी का सम्मान किया.
फिर हमने विदाई ली और मैं अपने ससुर जी के साथ पैदल ससुराल की ओर निकल पड़ी. xxx bahu chudai

अब आगे कहानी

जब हम लोग जा रहे थे, तो रास्ते में हम दोनों एक जगह रुक गए और नाश्ता करने लगे.

उधर जब मैंने पानी पिया, तो मेरी नजर ससुर जी की तरफ गई.
मैंने पाया कि उस वक्त मेरे ससुर मुझे घूर रहे थे.

मैं बोली- क्या बात है पिताजी कुछ चाहिये क्या आपको?
वे बोले- बेटी, तुम बिल्कुल अपनी मां जैसी हो, बड़ी प्यारी हो. मेरा बड़ा ख्याल रखती हो. मेरी हर बात मानती हो.

मैं उनके बगल में ही बैठी थी, तो उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरा. xxx bahu chudai

फिर वही हाथ सरका कर नीचे ले जाकर मेरी पीठ से होते हुए मेरी कमर तक पहुँचा दिया.

उनका हाथ उधर ही नहीं रुका.
अब उनका हाथ मेरी कमर को सहलाने लगा था.

मैं बहुत डर गयी थी.
मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल रही थी.

वे जहां हाथ लगाते, मैं अपनी कमर को थोड़ा मोड़ लेती या हिला देती ताकि वे अपना हाथ निकाल लें, पर उन्होंने अपना हाथ चालू रखा.

मैं परेशान होकर वहां से उठ गयी और बोली- चलिए पिताजी, चलते हैं. रास्ता लंबा है, देर हो जाएगी.
वे भी उठ गए और बोले- हां चलो.

कुछ देर चलने के बाद दिन ढल गया और रात गहराने लगी.

तभी मेरे ससुर जी बोले- बेटी कहीं रुकना पड़ेगा.
मैं भी रात की वजह से डर रही थी तो मैंने भी हां बोल दिया. xxx bahu chudai

‘ज्योति बेटी सामने एक झोपड़ी दिख रही है, वहीं रुकने का प्रबंध करते हैं.’
मैं चुप रही.

हम लोग झोपड़ी के पास पहुँच गए.
वह झोपड़ी खेतों के बीच बनी थी, वहां कोई नहीं रहता था.

ससुर जी ने अन्दर जाकर देखा, तो वह जगह साफ सुथरी थी.
शायद दिन में लोग काम करके यहाँ आराम करने आते होंगे.

हमें तो बस रात गुजारनी थी.
जमीन पर चटाई बिछी थी.

मेरे ससुर ने झोपड़ी के चारों ओर चक्कर लगाया पर उधर कोई नहीं था … जिससे वे एक रात गुजारने के लिए पूछ सकें.

बाद में ससुर जी अन्दर जाने के लिए रेडी हो गए और बोले- आ जाओ ज्योति बेटी, अभी तो कोई नहीं दिख रहा है, बाद में यदि कोई आता है, तो हम उससे इजाजत ले लेंगे.

हम अन्दर दाखिल हुये.
हमने खाना खाया जो मेरी मां ने बांध कर दे दिया था. xxx bahu chudai
फिर ससुर जी लेट गए.

मैंने सब सामान बांध लिया और सोने के लिए जगह खोजने लगी.

तब ससुर जी मुझसे बोले- बेटी, यहीं मेरे पास ही सो जाओ, कहीं कोई आ गया तो तकलीफ हो जाएगी.
मैं भी डर गयी कि कहीं कोई अजनबी आ गया तो क्या होगा!

मैं ससुर जी के पास जाकर लेट गयी. मुझे कुछ ही देर में नींद सताने लगी और मैं सो गयी.

आधी रात मुझे अहसास हुआ कि किसी का हाथ मेरे चूचों को दबा रहा है.
मैं डर गयी और उस हाथ का अहसास करती हुई सोचने लगी कि मैं तो ससुर जी की तरफ पीठ कर सोयी थी.

मैंने आंखें खोलीं तो अहसास हुआ कि ये हाथ ससुर जी का ही है.
एकदम मर्दाना स्पर्श था उनके हाथ का.

मैंने फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं.
तभी उन्होंने मुझे अपने पास घसीट लिया. xxx bahu chudai
मैं बहुत डर रही थी.

तभी ससुर जी पीछे से मुझसे चिपक गए.
मेरी तो हालत पतली हो गयी.
मेरा बदन थरथराने लगा.
मैं समझ गयी थी कि मां के बाद अब मेरी बारी है.

मैंने अपनी मुट्ठी कस ली और तभी मुझे अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ चुभा, जो बार बार ठोकर मार रहा था.
मुझे समझते देर नहीं लगी कि वह ससुर जी का औजार है.

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और वह ससुर जी को समझ आ गया होगा क्योंकि वे मेरे चूचों को दबाये जा रहे थे.

फिर उन्होंने अपना एक पैर मेरे पैरों के ऊपर चढ़ा दिया और वह मुझसे एकदम चिपक गए.

मेरी तो सांसें भी जोर जोर से चल रही थीं.

तभी ससुर जी ने मेरे कँधे को अपने होंठों से चूमा तो मैं सहम गयी.
वे अब मेरी गर्दन पर लगातार किस कर रहे थे.

मेरा संतुलन भी बिगड़ने लगा.
अब मैं भी उनकी हरकतों को पसंद करने लगी. xxx bahu chudai
आखिर कब तक मैं अपने आपको संभाल पाती.
मैं मोम की तरह पिघलती जा रही थी.

अब उन्होंने मेरी चोली के हुक खोल दिए.
मैं कुछ नहीं बोली.
उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया तो मेरे दूध एकदम फुदक कर बाहर आ गए.

अब ससुर जी ने मेरे एक निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच में पकड़ कर मरोड़ा और खींचा तो मेरी आह निकल गयी.

मैं इतना तो समझ गई थी कि औरतों का मौन तोड़ना ससुर जी को अच्छी तरह से आता था.

मेरे निप्पल मरोड़ने के साथ साथ वे मेरे दोनों चूचों को अपनी हथेलियों में भर कर जोर जोर से मसलने लगे.

उनके मर्दाना हाथ मेरे दूध को लगते ही मेरी तो चुत गीली होने लगी और सच कह रही हूँ मेरी चुत इस तरह से इतनी गीली पहले कभी नहीं हुई थी. मेरी चुत से भल-भल करके रस बहने लगा था.

मेरी चुत का रिसाव देख कर मैं हैरान थी.
इतनी गीली मैं अपने पति से भी नहीं हुई थी.

तभी उन्होंने मेरी साड़ी पैरों से ऊपर कमर के ऊपर तक कर दी. xxx bahu chudai
मैं अब नीचे से सिर्फ चड्डी में रह गयी.

ससुर जी ने मेरे चड्डी के ऊपर हाथ घुमाना चालू किया और इधर मेरी गर्दन को किस करना भी चालू कर दिया.
मैं उनके इस दोहरे हमले से एकदम से गर्म हो गयी.

तभी ससुर जी ने अपना हाथ मेरी चड्डी की इलास्टिक में डाला और उस नीचे खींचना चाहा.
पर नहीं हुआ क्योंकि चड्डी की एक साईड मेरी कमर के नीचे दबी थी ना!

मैंने भी अपनी मां की तरह अंजान बनते हुए अपनी कमर उठा ली.
ये देख कर ससुर जी ने झट से मेरी चड्डी निकाल दी.

उस वक्त मुझे अहसास हुआ कि मां ने अपना पेटीकोट निकलवाने के लिए कमर क्यों उठाई थी, वही हाल मेरा भी था.
तभी अचानक ससुर जी ने मेरी चुत में अपनी एक उंगली घुसाई.

मैं भी अपनी मां की तरह उछल पड़ी और साथ ही बहुत जोर से झड़ने लगी.

क्या हो रहा था मेरे बदन में, ये मुझे पता ही नहीं चल रहा था.

एक के बाद एक घटना घट रही थी. xxx bahu chudai
मेरे बदन पर ससुर जी को अपने हर वार का सही असर साफ दिख रहा होगा.

उन्होंने मेरा एक पैर ऊपर करके मोड़ कर अपने पैरों पर ले लिया.
वैसा करने से मेरी चुत का मुँह खुल गया.

तभी ससुर जी ने अपना औजार मेरी चुत पर टिकाया और उसे मेरी चुत के गीले होंठों पर घिसा.
फिर उन्होंने लौड़े को चुत के मुख पर रख दिया.

उसके बाद उन्होंने मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे.
मैं उनके मुँह का स्वाद लेने लगी.

उस तरह से मेरा मुँह उनके मुँह में बंद होते ही उन्होंने अपनी निर्दयता दिखा दी.

कमर का एक भरपूर जोर लगाते हुए ऐसा धक्का मारा कि उनका आधा लंड मेरी टाइट चुत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.

उनके लौड़े के घुसते ही मैं छटपटाने लगी.
मेरी आवाज अटक गयी थी.

ससुर जी का मोटा लौड़ा चुत में घुस जाने से मेरी चुत चौड़ी हो गयी थी, बिल्कुल सड़क छाप कुतिया के जैसी फैल गयी थी.

मैंने ससुर जी को पीछे धकेलना चाहा, पर उसी वक्त उन्होंने दूसरे ही धक्के में अपना हथियार मेरी चुत की जड़ तक पहुँचा दिया.

मैं पूरी ताकत से चिल्लाना चाह रही थी पर चिल्ला ही नहीं पायी क्योंकि मेरे होंठ ससुर जी के होंठों में अटके पड़े थे.

मैं बिन पानी की मछली के बस गुम्म गुमम्ग करती रह गयी. xxx bahu chudai
पर आँखों ने मेरे दर्द की गाथा सुनाई. मैं रो पड़ी.

मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था.
ऐसा लग रहा था मानो गर्म सरिया मेरी चुत में घुसेड़ दिया गया हो.

मैंने ऊपर को खिसकना चाहा.
पर ससुर जी ने मुझे ऐसा जकड़ रखा था, जैसे शेर के मुँह में शिकार.

मैं हिल भी नहीं पा रही थी पर वे मुझे हर धक्के पर हिला रहे थे.
बिना रुके वे मुझे चोदे जा रहे थे.

कुछ देर बाद मेरी चुत में से रस की धार फूट पड़ी, इस वजह से उनको मुझे चोदने में आसानी हो गयी.
मेरा सेक्स में दर्द भी थोड़ा कम हो गया.

कुछ देर तक उसी तरह चोदने के बाद उन्होंने अपना लंड मेरी चुत से निकाल लिया.

मैं कुछ समझ पाती, तब तक वे मेरे ऊपर चढ़ गए.

मैंने शर्म के मारे आंखें बंद कर ली थीं.
उन्होंने मेरे दोनों पैरों को अपने कँधों पर रखा और अपने मूसल लंड को फिर से मेरी चुत पर सैट कर दिया.

मैं कुछ समझ पाती कि उन्होंने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड मेरी चुत में उतार दिया. xxx bahu chudai
इस बार मैं चिल्लाई, पर उन पर उस चीख का कोई असर नहीं हुआ.

वे मुझे दनादन चोदे जा रहे थे.
पर इस बार उनके लौड़े की चोट मेरे बच्चेदानी तक हो रही थी.
मैं ‘आह आह … नहीं नहीं प्लीज नहीं’ कहे जा रही थी.

मैंने उन्हें देखा तो उनके चेहरे पर खुशी थी.
शायद मां और बेटी को चोदने की खुशी थी.

ससुर जी की चुदाई की रफ्तार तेज हो गयी थी.
ठप ठप की आवाज झोपड़ी में गूंजने लगी थीं.

मेरा रज निकलने को हुआ तो उन्होंने भी अपनी पिचकारी मेरी चुत में मारना शुरू कर दी और अपने लौड़े को वे मेरी चुत में खाली करने लगे.

हम दोनों साथ में ही झड़ने लगे थे.

ससुर जी हांफ रहे थे.
वे मेरे ऊपर ही गिर पड़े.

अब उनका पूरा वजन मेरे ऊपर आ गया था.
मैं उनके बदन के नीचे दबी रही.

कुछ देर बाद उनका लंड मेरी चुत से बाहर निकल गया और वे भी एक साईड होकर सो गए.
पर अब मेरी आँखों से नींद गायब हो गयी थी.

कुछ देर बाद मैंने अपने आपको संयमित किया और उसी हालत में उठी.
ससुर जी की तरफ नजर घुमाई, वे अपनी बहू को ठोक कर बेसुध पड़े थे. xxx bahu chudai

मैं बाहर आई, सोचा सुसु करके वापस आ जाऊंगी.
इसी लिए मैं खेत की तरफ गयी.

मैंने बैठ कर सु सु की, फिर मैं झोपड़ी में जाकर सो गयी.

सुबह ससुर जी ने फिर से एक बार मुझ पर अपना लौड़ा चलाना शुरू कर दिया.

तब मैंने चुदते हुए उनसे बोला- पिताजी ये आपने क्या किया? आपका और मेरा रिश्ता खराब कर दिया!
वे बोले- बेटी तू आज से मेरी और मेरे बेटे दोनों की पत्नी हो. मैं तेरा ससुर भी हूँ और पति भी.

फिर मैं बोली- मेरी चुत तो आपने फाड़ डाली.
इस पर वे हंसने लगे.

उन्होंने काफी देर तक मुझे पेला, फिर अपना रस झाड़ कर उठे, अपने कपड़े ठीक किए और बाहर चले गए.
मैं भी उठी और मैंने अपने कपड़े ठीक किए.

मैं सामान समेट करससुर जी से बोली- चलिए चलते हैं. xxx bahu chudai
मेरे ससुर भी बोले- ठीक है चलो.

दोपहर तक हम दोनों घर पहुँच गए.
इस बीच ससुर जी ने मुझसे एक वचन लिया कि जब भी उनका मन होगा, मैं उनको चोदने दूंगी.

मैंने भी सहर्ष स्वीकार किया क्योंकि उनके लौड़े ने मुझे उनका दीवाना बना दिया था.

अब जब भी ससुर जी का खड़ा होता, वे मुझे पेल देते हैं.
आज मैं उनके बच्चे की मां बन गयी हूँ. क्योंकि बराबर 9 महीने बाद मुझे बच्चा हुआ, वह भी उनके जैसा ही है.

अगर आप ऐसी और कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं तो आप “brazzersstories.com” की कहानियां पढ़ सकते हैं।

Leave a Comment