कहानी का चौथा भाग : hardcore chudai ki dastan
मैंने जैसे यह सुना तो मेरी चूत से तो जैसे मेरे स्त्री रस की धार ही छूटने लगी।
मेरा दिमाग घूमने लगा। (xxx chudai ki dastan)
अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि जिस तरह परिस्थितियां बन रही थी, मुझे जतिन के सामने नंगी होना ही पड़ेगा, और अगर मैं जतिन जैसे सशक्त कामुक मर्द के सामने नंगी हो गयी, तो जतिन जैसा लंबा चौड़ा इतने बड़े तगड़े लंड वाला मर्द मुझे थोड़े ही छोड़ेगा?
और मान लो अगर उसने कुछ नहीं भी किया, तो भी मुझे अपने आप पर ही एक ढेले भर का भी विश्वास नहीं था। कि मैं सामने चल कर जतिन के सामने नंगी नहीं खड़ी हो जाऊंगी, और मुझे चोदने के लिए उससे मिन्नतें नहीं करुंगी। मैंने यही समझ लिया कि अब बेहतरी उसी में थी कि मैं मान लूं कि उस शाम हर हाल में जतिन से मेरी ठुकाई तो होनी ही थी। (xxx chudai ki dastan)
कोई अगर मुझे उस समय यह पूछता कि क्या मैं जतिन से चुदवाने के लिए तैयार थी? तो सुन कर मुझे हंसी आ जाती। मैं तैयार थी? अरे मैं तो मर रही थी कि कब मुझे जतिन कस कर पकड़े और अगर मेरे बदन पर कोई कपड़े हों तो उन्हें उतार फेंके, और खुद अपनी छोटी सी निक्कर निकाल फेंक कर, मुझे उसके कमरे में पलंग पर सुला कर, उसके इतने बड़े दिख रहे लंड को बेरहमी से मेरी चूत में घुसा कर, मुझे चोद-चोद कर मेरी चूत फाड़ दे।
कई महीनों से मेरी तगड़ी चुदाई नहीं हुई थी। चुदवाई तो मैं थी कई बार, पर ऐसा लंड नहीं मिला था चुदवाने के लिए। अब जब सामने चल कर ऐसे लंड से चुदवाने का मौक़ा मिले, तो भला कौन स्त्री उस मौके को जाने देगी? तो इसमें भला ना कहने की कोई गुंजाइश थी क्या? (xxx chudai ki dastan)
दीदी ने कहा, “जतिन जी, मैं यहां कुछ देर और तैरना चाहती हूं। मेरी सखी को आप ले जाओ। वैसे भी वह आप के कमरे में जाने के लिए बड़ी उत्सुक है। मेरा एक सुझाव है। आप वापस आने की जल्दी ना करें। मेरी सहेली को आप खुद उसके सारे गीले कपड़े निकाल कर, अच्छी तरह से नहला धुला कर, उसे इस तौलिये से अच्छी तरह पोंछ कर, आपके कमरे में उसकी ठीक से खूब अच्छे से सेवा करें। आप उसे अपने कपड़े दें, या कोई कपड़ा ना चाहें तो ना दें। वैसे इस वक्त इन हालात में मुझे नहीं लगता उसे कुछ भी पहनने की जरूरत है। बाकी आप समझदार हैं।”
मैंने दीदी को हाथ थाम कर खींच कर पूल के एक कोने में ले जा कर जतिन ना सुन सके ऐसे उन्हें पूरा हिलाते हुए पूछा, “दीदी, तुम यह सब क्या और क्यों बक रही हो? जतिन मेरे बारे में क्या सोचेंगे?” (xxx chudai ki dastan)
दीदी ने मेरा हाथ छुड़ाते हुए कटाक्ष में पूछा, “जतिन क्या सोचेंगे? अरे तुमने जतिन के निक्कर में उसका लंड देखा नहीं? कैसा फनफना रहा था तुम्हारे करीब आते ही? जब तुम जतिन के पास होती थी, तब मैं पहले तुम्हारे चेहरे को और फिर जतिन के लंड को ही देखती रहती थी। उस वक्त तुम्हारे चेहरे पर कौए उड़ते रहते थे, और जतिन का लंड ऐसे खड़ा हो जाता था, कि जैसे उसकी पतली सी निक्कर फाड़ कर बाहर ही आ जाएगा।
तुमने देखा नहीं, बेचारा जतिन उसे बार-बार अपनी निक्कर में वापस डालने के लिए कितनी मशक्क्त करता रहता था? अरे तुम्हें क्या लगता है क्या वह तुम्हें आज चोदे बगैर छोड़ेगा? और वह छोड़ेगा भी तो क्या तुम उससे चुदवाये बगैर उसे छोड़ोगी? यह सब ड्रामे बाजी मुझसे मत करो। मैं अंधी नहीं हूं। मैंने सब कुछ देख लिया है। अब जाओ बिंदास उससे खूब चुदवाओ और पूरा चुदवाने के बाद ही उसे मेरे पास भेजो।” (xxx chudai ki dastan)
मेरे पास दीदी की बात का कोई जवाब ही नहीं था। वैसे दीदी का बात सौ प्रतिशत सच थी। मैं खुद इतनी चुदासी हो रही थी कि मैं क्या बताऊं? मेरी चूत ऐसी मचल रही थी कि मैं कैसे उसे शांत कर पाउंगी यह मैं नहीं सोच पा रही थी। अगर जतिन ने मेरे साथ कुछ किया नहीं तो क्या मुझे जतिन के कमरे से बिना चुदे वापस जाना पडेगा? मेरा सर घूम रहा था।
खैर, जतिन के दिए हुए फर वाले कॉटन के गाउन को मेरे लगभग नंगे बदन के ऊपर पहन लिया और जतिन के साथ उसके कमरे की और निकल पड़ी। रास्ते में मैं रिसेप्शन पर बस एक लड़की अपने लैपटॉप में सर नीचा किये हुए लगी हुई थी, उसे ही हमने देखा। पर उसने हमें देखा तक नहीं। मुझे लिफ्ट के पास खड़ी छोड़ कर जतिन उस लड़की के पास गए, और उससे कुछ बात की। बाद में मेरे पास आकर जतिन ने मेरा हाथ थाम कर लिफ्ट में ना जाते हुए सीढ़ी चढ़ कर पहली मंजिल पर अपने कमरे में ले गए। (xxx chudai ki dastan)
रास्ते में जतिन ने मुझे कहा, “मैंने रिसेप्शनिस्ट से पूछा कि मुझे कुछ गीले कपड़े धुल कर वापस फौरन चाहिए। तब रिसेप्शनिस्ट ने कहा कि वैसे तो धोबी निकल चुका है फिर भी हम कपड़े एक बैग में रख कर रिसेप्शनिस्ट को देदे। वह धोबी से बात करेगी और अगर वह आएगा तो वह कपड़े धुलवा कर एक घंटे के अंदर ही वापस कर देगी।” (xxx chudai ki dastan)
कमरे में पहुंचते ही मुझे महसूस हुआ कि मुझे वह गाउन और मेरी पैंटी और ब्रा भी निकाल कर जतिन को देना था। जतिन वहां मेरे सामने मुझे देखते हुए खड़े रहे। जतिन ने कहा, “तुम पूरी गीली हुई हो। बेहतर होगा कि यह पहने हुए गीले कपड़े निकाल कर मुझे देदो। मैं उन्हें लांड्री वाले को दे दूंगा। और तुम बाथरूम में जा कर गरम पानी में शॉवर के नीचे नहा लो।”
मैं फिर भी वहां चुप-चाप खड़ी रही तो जतिन ने मेरी और देखा तब मैंने कुछ क्षोभित हो कर जतिन से पूछा, “मैं कैसे अपने कपड़े आपके सामने निकाल सकती हूं?”
जतिन ने थोड़ा सा शरारत भरी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए कहा, “रीमा, अभी ऐसे ही तुम करीब-करीब नंगी ही हो। मैंने तुम्हें पूल में ऊपर से नीचे तक पूरी नंगी तो देख ही लिया है। अब यह एक छोटी सी ब्रा और यह लंगोटी सी पैंटी निकालने में क्या शर्माना? देखो यार, अभी हम अकेले भी हैं। अब मुझसे क्यों साफ़-साफ़ बुलवाती हो कि तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो और मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं? (xxx chudai ki dastan)
हम दोनों जानते हैं की मैं तुम्हें चोदे बगैर जाने नहीं दूंगा और तुम चुदवाये बगैर जाओगी नहीं। तो अब यह सब औपचारिकता का नाटक छोड़ो। सुखाने के लिए तुम्हें ये निकालने तो पड़ेंगे ही। हां अगर तुम फिर भी जिद्द ही करती हो तो लो मैं दूसरी तरफ घूम जाता हूं। अब तुम यह ब्रा और पैंटी निकाल कर मुझे देदो तो मैं चला जाऊंगा, ओके?” यह कह कर जतिन दूसरी तरफ घूम गए।
जतिन की खरी-खरी मुझे शूल की तरफ चुभ गयी। उनकी बात सौ फीसदी सही थी। मैं मारे गुस्से के आग बबूला हो गयी। एक तरफ मेरी चूत मुझे परेशान कर रही थी। दूसरी तरफ जतिन मुझे परेशान कर रहे थे। गुस्से और क्षोभ में नारी का एक मात्र हथियार होता है आँसू। मेरी आंखों में आंसू भर आये।
मैं लगभग रोने ही लग पड़ी। मैंने जतिन की आंखों में आंखें डाल कर कुछ गुस्से से और कुछ कुंठा से पूछा, “क्यों? मैं क्यों निकालूंगी अपने कपड़े? आपके हाथों में मेहंदी लगी है क्या? आपने जब मुझे पूल में नंगी किया था, तब क्या मैंने अपने कपड़े खुद निकाले थे? आप तो स्त्रियों का मन अच्छे से जानते हो। इतना सारा लेक्चर झाड़ने के बदले और यह सब जो आप जानते हो उसे कहने कि बजाए, कुछ उस ज्ञान का कुछ अमल ही किया होता? इन हालात में क्या कोई भी स्त्री अपने कपडे खुद निकालती है भला?” (xxx chudai ki dastan)
यह कहते ही क्षोभ और कुंठित मैं फफक-फफक कर रोने लगी। मुझे इस तरह रोते देख कुछ पलों के लिए जतिन स्तब्ध मुझे देखते ही रहे। फिर पलक झपकते ही जतिन ने मुझे एक फूल की हलकी सी माला जैसे अपनी बाहों में ऊपर उठा लिया। मेरे होंठों पर सख्ती से कस कर अपने होंठ दबा कर जतिन ने मुझे जिस जोश और उन्माद से चुंबन उस समय किया, वह मैं जिंदगी भर तक नहीं भूलूंगी।
जतिन तो मुझ से भी कहीं ज्यादा पागल हो रहे थे। मेरे होंठ, मेरी नाक, मेरी दाढ़ी जतिन कभी अपनी जीभ से चाटते तो कभी इतनी कशिश और जोश खरोश से मुझे चूमते, कि मैं तो उनके चूमने से पागल सी बाँवरी ही हो रही थी। मुझे उठाते हुए मेरी गांड के नीचे उनके हाथ थे। अपनी हथेली से इतनी सख्ती से मेरी गांड के गालों को वह दबाने और मसलने लगे कि मुझे लगा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो मैं तो जतिन की बांहों में ही झड़ जाउंगी। (xxx chudai ki dastan)
मुझे चूमते और मेरे बदन के ऊपर के हिस्से को पूरे जूनून से चाटते हुए जतिन बोल रहे थे, “रीमा, पता नहीं तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है? जब से मैं तुमसे टकराया था तब से मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोच रहा हूं। पूरी कांफ्रेंस में मेरा ध्यान ही नहीं लग रहा था। जब मैंने तुम्हें पूल में मुझसे मिलने आते हुए देखा तब मैंने तय कर लिया था कि मैं तुम्हें आज चोदे बगैर नहीं जाने दूंगा।
अगर किसी भी कारण मैं तुम्हें नहीं चोद पाया, तो मैं पागल हो जाऊंगा। पर तक़दीर ने मेरी तमन्ना पूरी कर दी जब तुम अनजाने में ही लड़खड़ा कर पूल में गिर पड़ी। पूल में मैं जान गया कि आग दोनों तरफ से लगी हुई है। तुम्हारी दीदी ने मेरी बात की पुष्टि कर दी।” (xxx chudai ki dastan)
जतिन ने कुछ देर पागल की तरह चूमने के बाद बाथरूम में ले जा कर मुझे शॉवर के नीचे खड़ा किया और खुद भी मेरी बगल में खड़े हो गए। उस समय जतिन की आंखों में मैंने वह नशीला पागल सा जूनून देखा तो मुझे कोई भी शक नहीं रहा कि तब मैं हां कहती या ना कहती, वह मुझे चोदने से बख्शने वाले नहीं थे। शॉवर के तापमान को एडजस्ट कर उन्होंने अपना तौलिया निकाल दिया, और खुद निक्कर में खड़े हो गए।
मुझे अपने करीब खिंच कर उन्होंने बड़े प्यार से मुझे घुमा कर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। फिर मेरे कन्धों से ब्रा की पट्टियां खिसका कर ब्रा को निकाल कर अलग से रख दी। मेरी पैंटी को भी अपने अंगूठे से नीचे खिसका दिया तब मैंने अपने पांव सरका कर मेरी पैंटी भी निकाल दी।
मैं जतिन के सामने नंगी हो गयी। स्विमिंग पूल में अफरातफरी के कारण जतिन मेरे नंगे बदन को ठीक से शायद देख नहीं पाए थे। पर अब उन्हें पूरा मौक़ा था जब वह मुझे आराम से ऊपर से नीचे तक, आगे से पीछे से बड़े आराम से निहार सकते थे। (xxx chudai ki dastan)
शॉवर के नीचे पानी की बूंदें मेरे नंगे बदन के एक-एक अंग के ऊपर से नीचे की तरफ धार बन कर बह रही थी, वह बड़ी ही बारीकी से घूरते हुए देख रहे थे। पानी की एक बूंद जो मेरे सर से मेरे बालों की एक लट से बह कर, मेरे ललाट से होती हुई गर्दन से गुजर कर, मेरे स्तनों की गोलाई के ऊपर से मेरी निप्पलों को छूती हुई, मेरे सपाट पेट पर से मेरी कमसिन नाभि में कुछ देर टिकती हुई, मेरी चूत से ऊपर वाले उभार को पार कर, मेरी जांघों के बीच में मेरी चूत में से बूँद दर बूँद रिस रहे मेरे काम रस से मिलती हुई पानी की एक धारा बन कर बाथरूम के फर्श पर गिर रहीं थी।
इसे जतिन इस कदर बारीकी से निहार रहे थे जैसे वह उस बाथरूम में कोई गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत स्थापित करने वाले हों। यह बात और है कि वह बूंदों पर कम पर मेरे अंगों पर ज्यादा अपना ध्यान केंद्रित कर रहे थे। (xxx chudai ki dastan)
कहानी का छठा भाग : chudai ki dastan xxx
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