कहानी का तेरहवां भाग : padosi uncle xxx fuck story
मेरी चुदाई की कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा, शादी के बाद रतनेश जी मेरी ताबातोड़ चुदाई कर रहे थे। अब आगे-
मेरा मुंह उनके वीर्य से भर गया। मैं तो हैरान थी कि एक आदमी इतनी बर झड़ने के बाद भी इतना माल कैसे छोड़ सकता था?
रतनेश जी अपना पूरा लंड झड़ने के बाद भी मेरे मुंह में भरे हुए थे, (xxx fuck story padosi uncle)
जिसकी वजह से मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। मैं उनके लंड को अपने मुंह से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।
जब मैं बहुत झटपटाने लगी, तब कहीं जा कर रतनेश जी ने अपना लंड बाहर निकाला। उनका लंड बाहर निकलते ही मैं जोर-जोर से खांसने लगी, और लंबी-लंबी सांस लेने लगी।
उनका वीर्य मेरे मुंह में से बाहर निकल कर मेरे मम्मों पर गिर गया।
मैं (गुस्से से): ये क्या था! आपने तो मेरी जान ही लेली थी। (xxx fuck story padosi uncle)
रतनेश जी हसने लगे और बोले-
रतनेश जी: सॉरी मेरी जान, क्या करूं जब तुम मेरे लंड पर ऐसे छटपटाने लगी, तो मुझे बहुत मजा आया।
मैं: आपको मजा आया और मेरी जान निकल गई उसका क्या?
रतनेश जी: अरे बाबा बोला ना सॉरी। फिर कभी ऐसा नहीं होगा। (xxx fuck story padosi uncle)
हम दोनों कुछ देर बाद उठ गए, और मैं नाश्ता बनाने के तैयारी में लग गई। रतनेश जी सोफे पर बैठ कर मेरे नंगे बदन को निहार रहे थे। मैंने उन्हें मुझे घूरते हुए देखा।
मैं: क्या मुझे पहली बार ऐसे देख रहे हैं आप?
रतनेश जी: अरे नहीं जिया, मैं तो तुम्हें ऐसे नंगे बदन नाश्ता बनाते देख थोड़ा उत्तेजित हो गया।
मैं: तो आईये अपनी उत्तेजना दूर करने। (xxx fuck story padosi uncle)
रतनेश जी उठ कर किचन में आने ही वाले थे कि मेरा फ़ोन बजने लगा। मैंने देखा तो मेरे पति का फ़ोन आया था।
मैंने फोन उठाया और उनसे बाते करने लगी।
मैं: हैलो जान! कैसे हो?
दीपक: हैलो! मैं बढ़िया हूं। मेरी याद आती भी है कि नहीं? (xxx fuck story padosi uncle)
मैं: याद आती है जान, लेकिन रतनेश जी है तो समय कट जाता है।
दीपक: अरे वाह! बहुत अच्छा हुआ रतनेश जी तुम्हारे साथ है। वरना अकेली बोर हो जाती।
मैं दीपक से बातें कर ही रही थी कि मुझे मेरी पीठ पर कुछ महसूस हुआ। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो रतनेश जी मेरी पीठ पर अपना हाथ सहला रहे थे।
मेरी डर के मारे धड़कन बढ़ने लगी, ये सोच कर कि अब ये क्या करने की सोच रहे थे? (xxx fuck story padosi uncle)
दीपक: हैलो जिया? शांत क्यों हो गई?
मैं: अरे वो कुछ नहीं, अभी नाश्ता बना रही थी, तो उसमें ध्यान था। तुम बोलो काम कैसा चल रहा है?
रतनेश जी अब पीछे से मेरी गांड को सहला और दबा रहे थे। मैं भी अब धीरे-धीरे फिर से उत्तेजित हो रही थी। मेरे पति फोन पर काम के बारे में कुछ बता रहे थे। (xxx fuck story padosi uncle)
लेकिन मेरा उस पर कुछ ध्यान नहीं था। मैं बीच-बीच में हां और अच्छा बोल रही थी।
फिर रतनेश जी ने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। पहले वो धीरे-धीरे दबा रहे थे। फिर उन्होंने जोर-जोर से मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
मेरी सांसे अब तेज हो गई, और मेरी चूत में तो मानो आग सी लग गई।
दीपक: जिया तुम ठीक तो हो ना? तुम्हारी सांसे क्यों इतनी तेज हो गई? (xxx fuck story padosi uncle)
मैं थोड़ी डर गई
मैं: कुछ नहीं डार्लिंग, किचन में हूं तो गर्मी लग रही है। इसी वजह से सांस फूल रही है।
मेरे चूत की हालत अब खराब हो गई थी। मेरी चूत रतनेश जी के लंड के लिए तड़प रही थी। रतनेश जी मुझे छेड़े जा रहे थे।
कभी वो मेरे मम्मों को मसलते, कभी गांड पर अपना लंड रगड़ते, तो कभी मेरी गर्दन को चूमते थे। (xxx fuck story padosi uncle)
एक तरफ मैं अपने पति से फोन पर बात कर रही थी, और दूसरी तरफ मेरे दूसरे पति यानी रतनेश जी मुझे चोदने की फिराक में थे। यह सोच कर मुझे बहुत मजा आ रहा था।
(मैं पति से फोन पर बात करते हुए)
मैं: जानू वहां सब ठीक तो है ना? खाना-पीना अच्छे से हो रहा है ना?
दीपक: हां जिया तुम चिंता मत करो। (xxx fuck story padosi uncle)
मैं: मैं तो बस…।
मैं फोन पर बोल ही रही थी कि रतनेश जी अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मेरी चूत तो पानी-पानी हो गई।
दीपक: बस क्या? आगे बोलो।
मैं: कुछ नहीं बस तुम्हारी फिकर हो रही थी।
रतनेश जी ने अब अचानक से अपना लंड जोर के धक्के के साथ मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी जोर से चीख निकल गई आह!
दीपक: क्या हुआ जिया? (xxx fuck story padosi uncle)
मैं: कुछ नहीं आपसे बाद में बात करती हूं।
और मैंने फोन कट कर दिया। मेरे फोन रखते ही रतनेश जी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं किचन के काउंटर को पकड़े झुक कर उनसे चुद रही थी।
पता नहीं रतनेश जी को क्या हुआ था, वो मुझे दना दन चोदे जा रहे थे। वैसे भी वो शॉट जोर-जोर से ही मरते थे। मगर इस बार कुछ अलग ही जुनून चढ़ा था। (xxx fuck story padosi uncle)
मैं: आह आह रतनेश जी, मैं कहीं भागने वाली नहीं हूं। थोड़ा आराम से चोदिए। व
मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी, कि रतनेश जी ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया, और मुझे खड़ा कर दिया, और अपने बदन से चिपका कर चोदे जा रहे थे।
मैं अब खड़ी-खड़ी चुद रही थी। मेरा पर शरीर ढीला पढ़ चुका था। मैंने आज पूरे दिन बिना आराम किये चुदाई कर-कर के मेरे शरीर में अब जान नहीं बची थी, (xxx fuck story padosi uncle)
और रतनेश जी ने दी हुई गोली का असर भी खतम हो गया था।
मैं यहीं सोच में पड़ गई कि रतनेश जी अभी कैसे नहीं थके। बल्कि अभी तो मुझे अपनी पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे।
मुझे रतनेश जी ऐसे ही खड़े-खड़े 10 मिनट तक पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे छोड़ दिया।
मेरे शरीर में अब खड़े होने की भी जान नहीं बची थी। मैं किचन के काउंटर को पकड़ कर उसके सहारे जैसे-तैसे अपने आप को संभाल पा रही थी। (xxx fuck story padosi uncle)
मुझे लगा रतनेश जी का अब झड़ने वाला होगा, लेकिन मैं गलत थी।
रतनेश जी ने मुझे काउंटर पर चढ़ने बोला, लेकिन मेरी हालत बहुत खराब थी। रतनेश जी समझ गए उन्होंने मुझे किसी गुड़िया के तरह उठाया,
और किचन काउंटर पर बिठाया। रतनेश जी अब मेरी चूत में फिर से लंड डालने के लिए रेडी थे।
मैं: प्लीज़ इस बार आराम से करिये। (xxx fuck story padosi uncle)
रतनेश जी (गुस्से में): में तेरा पति हूं। अब से तेरी ऐसे ही चुदाई होगी हर बार।
मैं ये सुन कर हैरान हो गई कि ऐसे रोज चुदाई हुई तो मेरी चूत का भोंसड़ा बन जाएगा।
मैं कुछ और कह पाती इससे पहले ही उन्होंने अपना लंड फिर से मेरी चूत में एक जोरदार झटके के साथ घुसेड़ दिया। (xxx fuck story padosi uncle)
उसके बाद जो उन्होंने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की। मेरे तो होश उड़ गए। चूत पानी छोड़-छोड़ के और ऐसे चुदाई से टमाटर जैसे लाल हो गई थी,
और सूजन से फूल चुकी थी। मेरे पैरों ने तो जान ही छोड़ दी थी, और दिमाग में बस रतनेश जी की चुदाई का नशा चढ़ गया था।
रतनेश जी बिना रुके बस मुझे चोदे जा रहे थे। उन्होंने थोड़ी सी भी रफ्तार कम नहीं की। (xxx fuck story padosi uncle)
ऐसा करीब पूरे 40 मिनट तक चला। मैं तो पूरी लाल हो गई थी, और सोच रही थी कि ना जाने कब यह चुदाई खतम होगी।
फिर और पांच मिनट बाद रतनेश जी ने आखरी 4-5 झटके मारे, और मेरी चूत को फिर से अपना पानी पिलाने लगे। हम दोनों हाफ रहे थे, और एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे।
5 मिनट हम दोनों एक-दूसरे के आंखों में खो गए थे। रतनेश जी अब भी अपना लंड मेरी चूत में डाले ही खड़े थे।
मैं कुछ महसूस किया मेरे दिल में मानो मेरा दिल रतनेश जी को देख जोर से धड़क रहा था। मैं झट से बोल पड़ी-
मैं: रतनेश जी मैं आपसे प्यार करती हूं। (xxx fuck story padosi uncle)
रतनेश जी थोड़े चौंक गए लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं। बल्कि मेरी और झुके और मेरे होठों को चूमने लगे, और बोले-
रतनेश जी: में भी तुमसे प्यार करता हूं जिया।
मैंने रतनेश जी को गले लगाया और रोने लगी। अब हम दोनों को एहसास हो चुका था कि हम दोनों के बीच का ये रिश्ता अब वाकई में एक-दूसरे के दिल से जुड़ गया था।
इसके बाद के दिन हमने कैसे बिताए, और क्या नया मोड़ आया जानिए अगले भाग में। (xxx fuck story padosi uncle)
कहानी का पंद्रहवां भाग : hot sex story padosi uncle
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