गांडफाड़ हादसा 6 – xxx hot padosi uncle chudai

कहानी का पांचवा भाग : padosi uncle hot chudai xxx

मैं: देखो तुम वीडियो तोह डिलीट करोगे ना?

मैनेजर: हां बाबा, मैं अपने वादे का पक्का हूं।(xxx hot padosi uncle chudai)

मैं: ठीक है, मैं तैयार हूं। लेकिन यहां नहीं चूस सकती।

मैनेजर: अरे यहां कौन तुझे लंड चुसवाने वाला है।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने केबिन में ले गया, और दरवाजा बंद कर दिया। उसकी केबिन एक-दम कोने में थी, और उसमें कोई खिड़की भी नहीं थी। लेकिन केबिन थी बहुत बड़ी।(xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर: चलो अब शुरु हो जाओ।

मैनेजर का बोलने ढंग एक-दम बदल गया था। वो बहुत रोब जमा कर बात कर रहा था।

मैं: अपना पुर्ज़ा तो बाहर निकालो।

मैनेजर (गुस्से में): तुम मुझे बतओगी कि क्या करना है!(xxx hot padosi uncle chudai)

मैं सोच रही थी, कि अब ये मेरे साथ क्या करने वाला था। मैनेजर कुर्सी पर बैठा था और मैं उसके सामने खड़ी थी।

मैनेजर: मेरे सामने क्या खड़ी हो? चलो पीछे जाओ।

मैं पीछे हो गई।

मैनेजर: और पीछे जाओ। कमरे के उस कोने तक जाओ, और चेहरा मेरी तरफ होना चाहिये।

मैंने वैसे ही किया।(xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर: चलो अब अपने बूढ़े पति को फ़ोन लगा, और कुछ तो बहाना बना कर बोल कि तुझे थोड़ी देर होगी।

मैं: क्या बहाना दूं?

मैनेजर: अब क्या वो भी मैं ही बताऊं? कुछ भी बता दे।

मैंने फिर रतनेश जी को फ़ोन लगा दिया।

(फ़ोन पर बोलते हुए)(xxx hot padosi uncle chudai)

रतनेश जी: अरे कहां रह गई हो?

मैं: टॉयलेट में हूं, वो थोड़ा पेट खराब हो गया है।

रतनेश जी: ऐसे कैसे?(xxx hot padosi uncle chudai)

मैं: पता नहीं शायद इस होटल का खाना ही घटिया है! (गुस्से से मैनेजर की तरफ देखा)

रतनेश जी: अच्छा तुम्हें कितनी देर लगेगी?

मैं: पता नहीं शायद 15–20 मिनट लगेंगे।

रतनेश. जी: ठीक है तुम्हारे आने के बाद हम सीधे डॉक्टर के पास चलते है।

मैं: जी ठीक है।(xxx hot padosi uncle chudai)

मेरे पास रतनेश जी को मैनेजर के बारे में बताने का मौका था। मगर ना जाने क्यों मैं कह नहीं पाई।

फिर मैंने फ़ोन रख दिया।

मैनेजर: मुझे लगा तुम 10 मिनट मांग लोगी। लेकिन तुमने तो लगभग आधे घंटे तक का समय दिया इस बहाने में।

मैं कुछ नहीं बोली।

मैनेजर: चलो अब अपने कपड़े उतारो।

मैं: ये क्या कह रहे हो? बात सिर्फ चूसने की हुई थी। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर: मैंने चूसने की बात की लेकिन कैसे लंड चूसना है उसकी नहीं।

मैं: देखो ये तुम बहुत गलत…

मैनेजर (चिल्लाते हुए): चुप! ज्यादा बोल मत।‌ अब कुछ सवाल नहीं। बस मैं जितना बोलूंगा उतना करो। समझी?

मैंने हां में सिर हिलाया।

मैनेजर: एक और बात, मुझे आप और तुम करके नहीं बोलोगी। तुम मुझे “मालिक” या “साहब” बोलोगी।

मेरे: जी ठीक है। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर: अभी क्या कहा मैंने!

मैं: जी मालिक (गलती सुधारते हुए)।

मैनेजर: चलो, तो मैंने तुम्हें क्या आदेश दिया था। वो पूरा करो। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैंने अपने कपड़े उतार दिये, और उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी।

क्योंकि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था, इसलिये आसानी से कपड़े उतर गए। मैनेजर मुझे नंगा देख पागल हो गया।

मैनेजर: वाह! वाह! क्या टॉप माल है तू। मन कर रहा है कि तुझे चोद दूं, मगर मैंने तुम्हें जुबान दी है कि मैं नहीं चोदूंगा।

दोस्तों मैनेजर भले ही घटिया इन्सान था, मगर अपनी जुबान का पक्का था।

मैनेजर: चलो अब घुटनों पर बैठ जाओ। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैं घुटनों पर बैठ गई।

मैनेजर: अब कुत्ती बनो।

मैं कुत्ती बन गई।

मैनेजर: अब भौंकना शुरू कर दे।

मैं: क्या? (xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर ने टेबल के नीचे से छड़ी निकाली, और मुझे और मारने के लिए हाथ उठाया। मैं फिर जल्दी से बोली-

मैं: रुको-रुको मैं करती हूं। आप जैसा बोलोगे वैसा करती हूं।

उसने छड़ी नीचे कर दी और मैं उसके कहने के मुताबिक भौंकने लगी।

मैं: भौं! भौं!

मैनेजर मेरी इस हालत का मजा ले रहा था, और जोर-जोर से हस रहा था। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर: देख ये तेरी औकात है। बाहर बहुत अकड़ दिखा रही थी साली रांड।

फिर उसने उसके हाथ में जो छड़ी थी, उसे कमरे के दूसरे कोने में फेंक दिया।

उसके बाद वो बोला-

मैनेजर: ऐसे ही जा, और वो छड़ी यहां लेके आ।

मैंने वैसे ही किया। किसी कुत्ती की तरह मैं वहां गई और वो छड़ी हाथ में उठा ली।

मैनेजर: हाथ से नहीं मुंह में पकड़ के ला।

मैंने वो छड़ी मुंह में दांतों के बीच पकड़ ली, और कुत्ती की तरह चल कर उसके सामने रख दी।

मैनेजर: अपनी जुबान बाहर निकाल कर हांफना शुरु कर। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैंने फिर वैसा ही किया और मैनेजर मुझे देख हस रहा था। उसने मेरे सिर पर हाथ फेरना शुरु कर दिया, जैसे कि मैं कोई सच में कुत्ती हूं।

मैनेजर: क्या हुआ, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है?

मैं: अच्छा लग रहा है।

मैनेजर: तो बता मैं कौन हूं तेरा?

मैं: मालिक हो मेरे। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर: शाबाश! जल्दी सीख रही हो।

उसने ड्रोवर में से एक बिस्कुट निकाला, और मुझे खाने दिया। मैंने भी वो बिस्कुट खा लिया। फिर उसने दूसरे ड्रोवर में से कुत्ते का पट्टा निकाला, और मेरे गले में बांध दिया।

मैनेजर उठा, और मेरे गले का पट्टा पकड़ कर मुझे पूरे कमरे में घुमाने लगा।

वो बीच-बीच में मुझे बिस्कुट खाने देता था। कभी सीधा मेरे मुंह में डालता था, और कभी सीधे जमीन पर फेंक देता था। कमरे के 2-3 चक्कर लगाने के बाद वो एक शीशे के सामने रुक गया और बोला-

मैनेजर: देख अपने आप को।

मैंने शीशे में देखा तो बहुत बुरा लगा। मैंने देखा कि मैं उस मैनेजर के बगल में घुटनों के बल बैठी थी, और मेरे गले में कुत्ते का पट्टा था,

जो मैनेजर के हाथ में था। मैं यह देख कर टूट गई, और फुट-फुट कर रोने लगी। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैं: क्यूं कर रहे हो मेरे साथ ये सब?

मैनेजर: क्योंकि तुझको बहुत अकड़ है। तू असल में रंडी है। बस दुनिया से छुपा रही है। मैं तुम्हारी उस रंडी को बाहर निकालना चाहता हूं।

मैं: देखो प्लीज मुझे जाने दो, चाहे तो पैसे लेलो। (xxx hot padosi uncle chudai)

मैनेजर: साली मुझे तेरा पैसा नहीं चाहिये। मुझे तेरे अंदर की रंडी देखनी है।

मैं: ठीक है, मैं अपने अंदर की रंडी बाहर निकाल लूंगी, मगर प्लीज मुझे ऐसे बेईज्जत मत करो।

मैनेजर: अरे ये मेरा स्टाइल है। मुझें तुम्हें बेईज्जत करके मजा आ रहा है।

तो दोस्तों इसके आगे जिया का क्या होगा ये अगले भाग में जानेंगे। (xxx hot padosi uncle chudai)

कहानी का सातवां भाग : xxx padosi uncle hot chudai 

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