हेलो दोस्तों मैं आदित्य, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “पहले माँ को पत्नी बनाया फिर अपने बच्चे की माँ – maa ki xxx” यह कहानी शिवम् की है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।
मेरे पिता मिल में काम करने वाले एक सीधे साधे आदमी थे.
उनमें बस एक खराबी थी, वे बहुत शराब पीते थे.
अक्सर रात को बेहोशी की हालत में उन्हें उठा कर बिस्तर पर लिटाना पड़ता था.
पर मां के प्रति उनका व्यवहार बहुत अच्छा था और मां भी उन्हें बहुत चाहती थी और उनका आदर करती थी. (maa ki xxx)
मैंने बहुत पहले मां पर हमेशा छाई उदासी महसूस कर ली थी पर बचपन में इस उदासी का कारण मैं नहीं जान पाया था.
मैं मां की हमेशा सहायता करता था.
सच बात तो यह है कि मां मुझे बहुत अच्छी लगती थी और इसलिये मैं हमेशा उनके पास रहने की कोशिश करता था.
मां को मेरा बहुत आधार था और उनका मन बहलाने के लिये मैं उससे हमेशा तरह तरह की गप्पें लड़ाया करता था.
उन्हें भी यह अच्छा लगता था क्योंकि उनकी उदासी और बोरियत इससे काफ़ी कम हो जाती थी.
मेरे पिता सुबह जल्दी घर से निकल जाते थे और देर रात लौटते.
फ़िर पीना शुरू करते और ढेर हो जाते.
उनकी शादी अब नाम मात्र को रह गई थी, ऐसा लगता था. बस काम और शराब में ही उनकी जिंदगी गुजर रही थी और मां की बाकी जरूरतों को वे नजरंदाज करने लगे थे.
दोनों अभी भी बातें करते, हंसते पर उनकी जिंदगी में अब प्यार के लिये जैसे कोई स्थान नहीं था.
मैं पढ़ने के साथ साथ पार्ट-टाइम काम करता था. इससे कुछ और आमदनी हो जाती थी. (maa ki xxx)
पर यार दोस्तों में उठने बैठने का मुझे समय ही नहीं मिलता था, प्यार वार तो दूर रहा.
जब सब सो जाते थे तो मैं और मां किचन में टेबल के पास बैठ कर गप्पें लड़ाते. मां को यह बहुत अच्छा लगता था.
उन्हें अब बस मेरा ही सहारा था और अक्सर वह मुझे प्यार से बांहों में भर लेती और कहती कि मैं उनकी जिंदगी का चिराग हूं.
बचपन से मैं काफ़ी समझदार था और दूसरों से पहले ही जवान हो गया था.
17 साल का होने पर मैं धीरे धीरे मां को दूसरी नजरों से देखने लगा.
किशोरावस्था में प्रवेश के साथ ही मैं यह जान गया था कि मां बहुत आकर्षक और मादक नारी थी.
उनके लंबे घने बाल उनकी कमर तक आते थे. और 2 बच्चे होने के बावजूद उनका शरीर बड़ा कसा हुआ और जवान औरतों सा था.
अपनी बड़ी काली आंखों से जब वह मुझे देखती तो मेरा दिल धड़कने लगता था.
हम हर विषय पर बात करते. यहां तक कि व्यक्तिगत बातें भी एक दूसरे को बताते. मैं उन्हें अपनी प्रिय अभिनेत्रियों के बारे में बताता.
वह शादी के पहले के अपने जीवन के बारे में बात करती. वह कभी मेरे पिता के खिलाफ़ नहीं बोलती क्योंकि शादी से उन्हें काफ़ी मधुर चीजें भी मिली थीं जैसे कि उनके बच्चे.
मां के प्रति बढ़ते आकर्षण के कारण मैं अब इसी प्रतीक्षा में रहता कि कैसे उन्हें खुश करूं ताकि वह मुझे बांहों में भरकर लाड़ दुलार करे और प्यार से चूमे.
जब वह ऐसा करती तो उनके big boobs का दबाव मेरी छाती पर महसूस करते हुए मुझे एक अजीब गुदगुदी होने लगती थी. (maa ki xxx)
मैं उसने पहनी हुई साड़ी की और उनकी सुंदरता की तारीफ़ करता जिससे वह कई बार शरमा कर लाल हो जाती.
काम से वापस आते समय मैं उनके लिये अक्सर चाकलेट और फ़ूलों की वेणी ले आता. हर रविवार को मैं उन्हें सिनेमा और फ़िर होटल ले जाता.
सिनेमा देखते हुए अक्सर मैं बड़े मासूम अंदाज में उससे सट कर बैठ जाता और उनके हाथ अपने हाथों में ले लेता.
जब उसने कभी इसके बारे में कुछ नहीं कहा तो हिम्मत कर के मैं अक्सर अपना हाथ उनके कंधे पर रख कर उन्हें पास खींच लेता और वह भी मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर मूवी देखती.
अब वह हमेशा रविवार की राह देखती. खुद ही अपनी पसंद की मूवी भी चुन लेती.
मूवी के बाद अक्सर हम एक बगीचे में गप्पें मारते हुए बैठ जाते. एक दूसरे से मजाक करते और खिलखिलाते. एक दिन मां बोली. शिवम् अब तू बड़ा हो गया है, जल्द ही शादी के लायक हो जायेगा.
तेरे लिये अब एक लड़की ढूंढना शुरू करती हूं.
मैंने उनका हाथ पकड़ते हुए तुरंत जवाब दिया. “अम्मा, मुझे शादी वादी नहीं करनी. मैं तो बस तुम्हारे साथ ही रहना चाहता हूं.”
मेरी बात सुनकर वह आश्चर्य चकित हो गई और अपना हाथ खींच कर सहसा चुप हो गई.
“क्या हुआ अम्मा? मैंने कुछ गलत कहा?” मैंने घबरा कर पूछा.(maa ki xxx)
वह चुप रही और कुछ देर बाद रूखे स्वरों में बोली. “चलो, घर चलते हैं, बहुत देर हो गई है.”
मैंने मन ही मन अपने आप को ऐसा कहने के लिये कोसा पर अब जब बात निकल ही चुकी थी तो साहस करके आगे की बात भी मैंने कह डाली.
“अम्मा, तुम्हें बुरा लगा तो क्षमा करो. पर सच तो यही है कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारी खुशी के लिये मैं कुछ भी कर सकता हूं.”
काफ़ी देर मां चुप रही और फ़िर उदासी के स्वर में बोली. “गलती मेरी है बेटे.
यह सब पहले ही मुझे बंद कर देना था. लगता है कि अकेलेपन के अहसास से बचने के लिये मैंने तुझे ज्यादा छूट दे दी इसलिये तेरे मन में ऐसे विचार आते हैं.”
मैं बोला. “गलत हो या सही, मैं तो यही जानता हूं कि तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.”
वह थोड़ा नाराज हो कर बोली. “पागलपन की बातें मत करो. सच तो यह है कि तू मेरा बेटा है, मेरी कोख से जनमा है.”
मैंने अधीर होकर कहा. “अम्मा, जो हुआ सो हुआ, पर मुझसे नाराज मत हो. मैं अपना प्यार नहीं दबा सकता. तुम भी ठंडे दिमाग से सोचो और फ़िर बोलो.”
मां बहुत देर चुप रही और फ़िर रोने लगी. मेरा भी दिल भर आया और मैंने उन्हें सांत्वना देने को खींच कर अपनी बांहों में भर लिया.
वह छूटकर बोली. “चलो, रात बहुत हो गयी है, अब घर चलते हैं.”
इसके बाद हमारा घूमने जाना बंद हो गया. (maa ki xxx)
मेरे बहुत आग्रह करने पर भी वह मेरे साथ नहीं आती थी और कहती थी कि मैं किसी अपनी उम्र की लड़की के साथ पिक्चर देखने जाऊं.
मुझसे वह अभी भी दूर रहती थी और बोलती कम थी. पर जैसे मेरे मन में हलचल थी वैसी ही उनके भी मन में होती मुझे साफ़ दिखती थी.
एक दो महीने ऐसे ही गुजर गये.
इस बीच मेरा एक छोटा बिज़िनेस था, वह काफ़ी सफ़ल हुआ और मैं पैसा कमाने लगा.
एक कार भी खरीद ली. मां मुझ से दूर ही रहती थी. मेरे पिता ने भी एक बार उनसे पूछा कि अब वह क्यों मेरे साथ बाहर नहीं जाती तो वह टाल गयी.
एक बार उसने उनसे ही कहा कि वे क्यों नहीं उन्हें घुमाने ले जाते तो काम ज्यादा होने का बहाना कर के वे मुकर गये.
शराब पीना उनका वैसे ही चालू था. उस दिन उनमें खूब झगड़ा हुआ और अखिर मां रोते हुए अपने कमरे में गई और धाड़ से दरवाजा लगा लिया.
दूसरे दिन बुधवार को जब मेरे बहन बाहर गये थे, मैंने एक बार फ़िर साहस करके उन्हें रविवार को पिक्चर चलने को कहा तो वह चुपचाप मान गई.
मेरी खुशी का ठिकाना न रहा और मैं उससे लिपट गया. उसने भी मेरे सीने पर सिर टिकाकर आंखें बंद कर लीं. मैंने उन्हें कस कर बांहों में भर लिया.
यह बड़ा मधुर क्षण था. हमारा संबंध गहरा होने का और पूरा बदल जाने का यह चिन्ह था. (maa ki xxx)
मैंने प्यार से उनकी पीठ और कंधे पर हाथ फ़ेरे और धीरे से उनके चूतड़ों को सहलाया.
वह कुछ न बोली और मुझसे और कस कर लिपट गयी.
मैंने उनकी ठुड्डी पकड़ कर उनका सिर उठाया और उनकी आंखों में झांकता हुआ बोला. “अम्मा, मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं, जो भी हो, मैं तुझे अकेला नहीं रहने दूंगा.”
फ़िर झुक कर मैंने उनके गाल और आंखें चूमी और साहस करके अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिये.
मां बिलकुल नहीं विचलित हुई बल्कि मेरे चुंबन का मीठा प्रतिसाद उसने मुझे दिया. मेरी मां का वह पहला चुंबन मेरे लिये अमृत से ज्यादा मीठा था.
उसके बाद तो उनमे बहुत बदलाव आ गया.
हमेशा वह मेरी राह देखा करती थी और मेरी लाई हुई वेणी बड़े प्यार से अपने बालों में पहन लेती थी.
जब भी हम अकेले होते, एक दूसरे के आलिंगन में बंध जाते और मैं उनके शरीर को सहलाकर अपनी कुछ प्यास बुझा लेता.
मां का यह बदला रूप सबने देखा और खुश हुए कि मां अब कितनी खुश दिखती है. मेरी बहन ने तो मजाक में यह भी कहा कि इतना बड़ा और जवान होने पर भी मैं छोटे बच्चे जैसा मां के पीछे घूमता हूं. मैंने जवाब दिया कि आखिर अम्मा का अकेलापन कुछ तो दूर करना हमारा भी कर्तव्य है.
उस रविवार को अम्मा ने एक बहुत सुंदर बारीक शिफ़ान की साड़ी और एकदम तंग ब्लाउज़ पहना.
उनके चुचो का उभार और चूतड़ों की गोलाई उनमें निखर आये थे. (maa ki xxx)
वह बिलकुल जवान लग रही थी और सिनेमा हाल में काफ़ी लोग उनकी ओर देख रहे थे. वह मुझसे बस 7-8 साल बड़ी लग रही थी इसलिये लोगों को यही लगा होगा कि हमारी जोड़ी है.
पिक्चर बड़ी रोमान्टिक थी. मां ने हमेशा की तरह मेरे कंधे पर सिर रख दिया और मैंने उनके कंधों को अपनी बांह में घेरकर उन्हें पास खींच लिया.
पिक्चर के बाद हम पार्क में गये. रात काफ़ी सुहानी थी. मां ने मेरी ओर देखकर कहा. “सुंदर बेटे, तू ने मुझे बहुत सुख दिया है. इतने दिन तूने धीरज रखा. आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.”
मैंने मां की ओर देख कर कहा. “अम्मा, आज तुम बहुत हसीन लग रही हो. और सिर्फ़ सुंदर ही नहीं, बल्कि बहुत सेक्सी भी.”
अम्मा शरमा गयी और हंस कर बोली. “शिवम्, अगर तू मेरा बेटा न होता तो मैं यही समझती कि तू मुझ पर डोरे डाल रहा है.”
मैंने उनकी आंखों में आंखें डाल कर कहा. “हां अम्मा, मैं यही कर रहा हूं.”
मां थोड़ा पीछे हटी और कांपते स्वर में बोली. “यह क्या कह रहा है बेटा, मैं तुम्हारी मां हूं, तू मेरी कोख से जन्मा है. और फ़िर मेरी शादी हुई है तेरे पिता से”
मैं बोला “अम्मा, उन्होंने तुम्हें जो सुख देना चाहिये वह नहीं दिया है, मुझे आजमा कर देखो, मैं तुम्हे बहुत प्यार और सुख दूंगा.”
मां काफ़ी देर चुप रही और फ़िर बोली. “शिवम्, अब घर चलना चाहिये नहीं तो हम कुछ ऐसा कर बैठें जो एक मां बेटे को नहीं करना चाहिये तो जिंदगी भर हमें पछताना पड़ेगा.”
मैं तड़प कर बोला “अम्मा, मैं तुम्हे दुख नहीं पहुंचाना चाहता पर तुम इतनी सुंदर हो कि कभी कभी मुझे लगता है कि काश तुम मेरी मां न होतीं तो मैं फ़िर तुम्हारे साथ चाहे जो कर सकता था.”
मेरी इस प्यार और चाहत भरी बात पर मां खिल उठी और मेरे गालों को सहलाते हुए बोली.
“मेरे बच्चे, तू भी मुझे बहुत प्यारा लगता है, मैं तो बहुत खुश हूं कि तेरे ऐसा बेटा मुझे मिला है. क्या सच में मैं इतनी सुंदर हूं कि मेरे जवान बेटे को मुझ पर प्रेम आ गया है?”
मैंने उन्हें बांहों में भरते हुए कहा. “हां अम्मा, तुम सच में बहुत सुंदर और सेक्सी हो.” (maa ki xxx)
अचानक मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने झुक कर मां का चुंबन ले लिया.
मां ने प्रतिकार तो नहीं किया पर एक बुत जैसी चुपचाप मेरी बांहों में बंधे रही.
अब मैं और जोर से उन्हें चूमने लगा. सहसा मां ने भी मेरे चुंबन का जवाब देना शुरू कर दिया.
उनका संयम भी कमजोर हो गया था. अब मैं उनके पूरे चेहरे को, गालों को, आंखों को और बालों को बार बार चूमने लगा.
अपने होंठ फ़िर मां के कोमल होंठों पर रख कर जब मैंने अपनी जीभ उनपर लगायी तो उसने मुंह खोल कर अपने मुख का मीठा खजाना मेरे लिये खुला कर दिया.
काफ़ी देर की चूमाचाटी के बाद मां अलग हुई और बोली.
“शिवम्, बहुत देर हो गयी बेटे, अब घर चलना चाहिये.” घर जाते समय जब मैं कार चला रहा था तो मां मुझ से सट कर मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठी थी.
मैंने कनखियों से देखा कि उस के होंठों पर एक बड़ी मधुर मुस्कान थी. (maa ki xxx)
बीच में ही मैंने एक गली में कार रोक कर आश्चर्यचकित हुई मां को फ़िर आलिंगन में भर लिया और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा.
इस बार मैंने अपना हाथ उनके चुचो पर रखा और उन्हें प्यार से टटोलने लगा.
मां थोड़ी घबराई और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. “शिवम्, हमें यह नहीं करना चाहिये बेटे.”
मैंने अपने होंठों से उनका मुंह बंद कर दिया और उनका गहरा चुंबन लेते हुए उन मांसल भरे हुए चुचो को हाथ में लेकर हल्के हल्के दबाने लगा.
बड़े बड़े मांसल उन उरोजों का मेरे हाथ में स्पर्श मुझे बड़ा मादक लग रहा था.
इन्हीं से मैंने बचपन में दूध पिया था. मां भी अब उत्तेजित हो चली थी और सिसकारियां भरते हुए मुझे जोर जोर से चूमने लगी थी.
फ़िर किसी तरह से उन्होंने मेरे आलिंगन को तोड़ा और बोली. “अब घर चल बेटा.”
मैंने चुपचाप कार स्टार्ट की और हम घर आ गये. घर में अंधेरा था और शायद सब सो गये थे.
मुझे मालूम था कि मेरे पिता अपने कमरे में नशे में धुत पड़े होंगे. घर में अंदर आ कर वहीं ड्राइंग रूम में मैं फ़िर मां को चूमने लगा.
उन्होंने इस बार विरोध किया कि कोई आ जायेगा और देख लेगा. (maa ki xxx)
मैं धीरे से बोला. “अम्मा, मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूं, ऐसा मैंने किसी और औरत या लड़की को नहीं किया.
मुझसे नहीं रहा जाता, सारे समय तुम्हारे इन रसीले होंठों का चुंबन लेने की इच्छा होती रहती है. और फ़िर सब सो गये हैं, कोई नहीं आयेगा.”
मां बोली “मैं जानती हूं बेटे, मैं भी तुझे बहुत प्यार करती हूं. पर आखिर मैं तुम्हारे पिता की पत्नी हूं, उनका बांधा मंगल सूत्र अभी भी मेरे गले में है.”
मैं धीरे से बोला. “अम्मा, हम तो सिर्फ़ चुंबन ले रहे हैं, इसमें क्या परेशानी है?”
मां बोली “पर शिवम्, कोई अगर नीचे आ गया तो देख लेगा.”
मुझे एक तरकीब सूझी. “अम्मा, मेरे कमरे में चलें? अंदर से बंद करके सिटकनी लगा लेंगे. बापू तो नशे में सोये हैं, उन्हें खबर तक नहीं होगी.”
मां कुछ देर सोचती रही. साफ़ दिख रहा था कि उनके मन में बड़ी हलचल मची हुई थी.
पर जीत आखिर मेरे प्यार की हुई. वह सिर डुला कर बोली. “ठीक है बेटा, तू अपने कमरे में चल कर मेरी राह देख, मैं अभी देख कर आती हूं कि सब सो रहे हैं या नहीं.”
मेरी खुशी का अब अंत न था. अपने कमरे में जाकर मैं इधर उधर घूमता हुआ बेचैनी से मां का इंतजार करने लगा.
कुछ देर में दरवाजा खुला और मां अंदर आई. उन्होंने दरवाजा बंद किया और सिटकनी लगा ली. (maa ki xxx)
मेरे पास आकर वह कांपती आवाज में बोली. तेरे पिता हमेशा जैसे पी कर सो रहे हैं. पर शिवम्, शायद हमें यह सब नहीं करना चाहिये.
इसका अंत कहां होगा, क्या पता. मुझे डर भी लग रहा है.
मैंने उनका हाथ पकड़कर उन्हें दिलासा दिया. डर मत अम्मा, मैं जो हूं तेरा बेटा, तुझ पर आंच न आने दूंगा.
मेरा विश्वास करो. किसी को पता नहीं चलेगा मां धीमी आवाज में बोली “ठीक है शिवम् बेटे.” और उसने सिर उठाकर मेरा गाल प्यार से चूम लिया.
मैंने अपनी कमीज उतारी और अम्मा को बांहों में भरकर बिस्तर पर बैठ गया और उनके होंठ चूमने लगा.
हमारे चुंबनों ने जल्द ही तीव्र स्वरूप ले लिया और जोर से चलती सांसों से मां की उत्तेजना भी स्पष्ट हो गई.
मेरे हाथ अब उनके पूरे बदन पर घूम रहे थे. मैंने उनके उरोज दबाये और चूतड़ों को सहलाया. आखिर मुझ से और न रहा गया और मैंने मां के ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू कर दिये.
एक क्षण को मां का शरीर सहसा कड़ा हो गया और फ़िर उनका आखरी संयम भी टूट गया.
अपने शरीर को ढीला छोड़कर उसने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया. इसके पहले कि वह फ़िर कुछ आनाकानी करे, मैंने जल्दी से बटन खोल कर उनका ब्लाउज़ उतार दिया.
इस सारे समय मैं लगातार उनके मुलायम होंठों को चूम रहा था. ब्रेसियर में बंधे उन उभरे चुचो की बात ही और थी, किसी भी औरत को इस तरह से अर्धनग्न देखना कितना उत्तेजक होता है, और ये तो मेरी मां थी. (maa ki xxx)
ब्लाउज़ उतरने पर मां फ़िर थोड़ा हिचकिचाई और बोलने लगी. “ठहर बेटे, सोच यह ठीक है या नहीं, मां बेटे का ऐसा संबंध ठीक नहीं है मेरे लाल! अगर कुछ …”
अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं था इसलिये मैंने उनका मुंह अपने होंठों से बंद कर दिया और उन्हें आलिंगन में भर लिया.
अब मैंने उनकी ब्रेसियर के हुक खोलकर उन्हें भी निकाल दिया. मां ने चुपचाप हाथ ऊपर करके ब्रा निकालने में मेरी सहायता की.
उनके नग्न चुचे अब मेरी छाती पर सटे थे और उनके उभरे निपलों का स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था.
उरोजों को हाथ में लेकर मैं उनसे खेलने लगा. बड़े मुलायम और मांसल थे वे. झुक कर मैंने एक निपल मुंह में ले लिया और चूसने लगा.
मां उत्तेजना से सिसक उठी. उनके निपल बड़े और लंबे थे और जल्द ही मेरे चूसने से कड़े हो गये.
मैंने सिर उठाकर कहा “अम्मा, मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं. मुझे मालूम है कि अपने ही मां के साथ रति करना ठीक नहीं है, पर मैं क्या करूं, मैं अब नहीं रह सकता.” और फ़िर से मां के निपल चूसने लगा.
उनके शरीर को चूमते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ा और अपनी जीभ से उनकी नाभि चाटने लगा. (maa ki xxx)
वहां का थोड़ा खारा स्वाद मुझे बहुत मादक लग रहा था. मां भी अब मस्ती से हुंकार रही थी और मेरे सिर को अपने पेट पर दबाये हुई थी.
उनकी नाभि में जीभ चलाते हुए मैंने उनके पैर सहलाना शुरू कर दिये. उनके पैर बड़े चिकने और भरे हुए थे. अपना हाथ अब मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट के नीचे डाल कर उनकी मांसल मोटी जांघें रगड़ना शुरू कर दीं.
मेरा हाथ जब जांघों के बीच पहुंचा तो मां फ़िर से थोड़ी सिमट सी गयी और जांघों में मेरे हाथ को पकड़ लिया कि और आगे न जाऊं.
मैंने अपनी जीभ उनके होंठों पर लगा कर उनका मुंह खोला और जीभ अंदर डाल दी. अम्मा मेरे मुंह में ही थोड़ी सिसकी और फ़िर मेरी जीभ को चूसने लगी.
अपनी जांघें भी उसने अलग कर के मेरे हाथ को खुला छोड़ दिया.
मेरा रास्ता अब खुला था. मुझे कुछ देर तक तो यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी मां, मेरे सपनों की रानी, वह औरत जिसने मुझे और मेरे भाई बहनों को अपनी कोख से जन्मा था, वह आज मुझसे, अपने बेटे को अपने साथ सेक्स करने की अनुमति दे रही है.
मां के पेटीकोट के ऊपर से ही मैंने उनके फ़ूले गुप्तांग को रगड़ना शुरू कर दिया.
अम्मा अब कामवासना से कराह उठी. उनकी चूत का गीलापन अब पेटीकोट को भी भिगो रहा था. (maa ki xxx)
मैंने हाथ निकलाकर उनकी साड़ी पकड़कर उतार दी और फ़िर खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा. कपड़ों से छूटते ही मेरा बुरी तरह से तन्नाया हुआ लोहे के डंडे जैसा शिश्न उछल कर खड़ा हो गया.
मैं फ़िर पलंग पर लेट कर अम्मा की कमर से लिपट गया और उनके पेटीकोट के ऊपर से ही उनके पेट के निचले भाग में अपना मुंह दबा दिया.
अब उनके गुप्तांग और मेरे मुंह के बीच सिर्फ़ वह पेटीकोट था जिसमें से मां की चूत के रस की भीनी भीनी मादक खुशबू मेरी नाक में जा रही थी.
अपना सिर उनके पेट में घुसाकर रगड़ते हुए मैं उस सुगंध का आनंद उठाने लगा और पेटीकोट के ऊपर से ही उनके गुप्तांग को चूमने लगा.
मेरे होंठों को पेटीकोट के कपड़े में से मां के गुप्तांग पर ऊगे घने बालों का भी अनुभव हो रहा था.
उस मादक रस का स्वाद लेने को मचलते हुए मेरे मन की सांत्वना के लिये मैंने उस कपड़े को ही चूसना और चाटना शुरू कर दिया
आखिर उतावला होकर मैंने अम्मा के पेटीकोट की नाड़ी खोली और उन्हें खींच कर उतारने लगा. मां एक बार फ़िर कुछ हिचकिचाई. “ओ मेरे प्यारे बेटे, अब भी वक्त है … रुक जा मेरे बेटे …. ये करना ठीक नहीं है रे …”
मैंने उनका पेट चूमते हुए कहा “अम्मा, मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूं, तुम मेरे लिये संसार की सबसे सुंदर औरत हो.
मां और बेटे के बीच काम संबंध अनुचित है यह मैं जानता हूं पर दो लोग अगर एक दूसरे को बहुत चाहते हों तो उनमें रति क्रीड़ा में क्या हर्ज है?.”
मां सिसकारियां भरती हुई बोली. “पर शिवम्, अगर किसी को पता चल गया तो?”
मैंने कपड़े के ऊपर से उनकी चूत में मुंह रगड़ते हुए कहा. “अम्मा, हम चुपचाप प्रेम किया करेंगे, किसी को कानों कान खबर नहीं होगी.”
वह फ़िर कुछ बोलना चाहती थी पर मैंने हाथ से उनका मुंह बंद कर दिया और उनके बाल और आंखें चूमने लगा. भाव विभोर होकर अम्मा ने आंखें बंद कर लीं और मैं फ़िर उनके मादक रसीले होंठ चूमने लगा. (maa ki xxx)
अचानक मां ने निढाल होकर आत्मसमर्पण कर दिया और बेतहाशा मुझे चूमने लगी. उनकी भी वासना अब काबू के बाहर हो गयी थी. मुंह खोल कर जीभें लड़ाते हुए और एक दूसरे का मुखरस चूसते हुए हम चूमाचाटी करने लगे. मैंने फ़िर उनका पेटीकोट उतारना चाहा तो अब उसने प्रतिकार नहीं किया. पेटीकोट निकाल कर मैंने फ़र्श पर फ़ेंक दिया.
मां ने किसी नई दुल्हन जैसे लाज से अपने हाथों से अपनी चूत को ढक लिया. अपने उस खजाने को वह अपने बेटे से छुपाने की कोशिश कर रही थी.
मैंने उनके हाथ पकड़कर अलग किये और उस अमूल्य वस्तु को मन भर कर देखने लगा.
काले घने बालों से भरी उस मोटी फ़ूली हुई चूत को मैंने देखा और मेरा लंड और उछलने लगा. इसी में से मैं जन्मा था! मां ने शरमा कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और चूमने लगी.
उन्हें चूमते हुए मैंने अपने हाथों से उनकी चूत सहलाई और फ़िर उनके उरोजों को चूमते हुए और निपलों को एक छोटे बच्चे जैसे चूसते हुए अपनी उंगली उनकी चूत की लकीर में घुमाने लगा.
चूत एकदम गीली थी और मैंने तुरंत अपनी बीच की उंगली उस तपी हुई कोमल रिसती हुई चूत में डाल दी. मुझे लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूं क्योंकि सपने में भी मैंने यह नहीं सोचा था कि मेरी मां कभी मुझे अपना पेटीकोट उतार कर अपनी चूत से खेलने देगी.
मैं अब मां के शरीर को चूमते हुए नीचे खिसका और उनकी जांघें चूमने और चाटने लगा. जब आखिर अपना मुंह मैंने मां की घनी झांटों में छुपा कर उनकी चूत को चूमना शुरू किया, तो कमला, मेरी मां, मस्ती से हुमक उठी.
झांटों को चूमते हुए मैंने अपनी उंगलियों से उनके भगोष्ठ खोले और उस मखमली चूत का नजारा अब बिलकुल पास से मेरे सामने था. (maa ki xxx)
मां की चूत में से निकलती मादक खुशबू सूंघते हुए मैंने उनके लाल मखमली छेद को देखा और उनके छोटे से गुलाबी मूत्रछिद्र को और उनके ऊपर दिख रहे अनार के दाने जैसे क्लिटोरिस को चूम लिया.
अपनी जीभ मैंने उस खजाने में डाल दी और उसमें से रिसते सुगंधित अमृत का पान करने लगा. जब मैंने मां के क्लिटोरिस को जीभ से रगड़ा तो वह तड़प उठी और एक अस्फ़ुट किलकारी के साथ अपनी हाथों से मेरा सिर अपनी चूत पर जोर से दबा लिया. मैंने अब एक उंगली अम्मा की चूत में डाली और उन्हें अंदर बाहर करते हुए चूत चूसने लगा.
मां की सांस अब रुक रुक कर जोर से चल रही थी और वह वासना के अतिरेक से हांफ़ रही थी. मैंने खूब चूत चूसी और उस अनार के दाने को जीभ से घिसता रहा.
साथ ही उंगली से अम्मा को हस्तमैथुन भी कराता रहा. सहसा अम्मा का पूरा शरीर जकड़ गया और वह एक दबी चीख के साथ झड़ गई. मैं उनका क्लिट चाटता रहा और चूत में से निकलते रस का पान करता रहा. बड़ी सुहावनी घड़ी थी वह. मैंने मां को उनका पहला चरमोत्कर्ष दिलाया था.
तृप्त होने के बाद वह कुछ संभली और मुझे उठाकर अपने ऊपर लिटा लिया. मेरे सीने में मुंह छूपाकर वह शरमाती हुई बोली. “शिवम् बेटे, निहाल हो गयी आज मैं, कितने दिनों के बाद पहली बार इस मस्ती से मैं झड़ी हूं.”
“अम्मा, तुमसे सुंदर और सेक्सी कोई नहीं है इस संसार में. कितने दिनों से मेरा यह सपना था तुमसे मैथुन करने का जो आज पूरा हो रहा है.”
मां मुझे चूमते हुए बोली. “सच में मैं इतने सुंदर हूं बेटे कि अपने ही बेटे को रिझा लिया?”
मैं उनके चुचे दबाता हुआ बोला. “हां मां, तुम इन सब अभिनेत्रियों से भी सुंदर हो.”
मां ने मेरी इस बात पर सुख से विभोर होते हुए मुझे अपने ऊपर खींच कर मेरे मुंह पर अपने होंठ रख दिये और मेरे मुंह में जीभ डाल कर उन्हें घुमाने लगी; साथ ही साथ उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया और अपनी चूत पर उन्हें रगड़ने लगी. (maa ki xxx)
उनकी चूत बिलकुल गीली थी. वह अब कामवासना से सिसक उठी और मेरी आंखों में आंखें डाल कर मुझ से मूक याचना करने लगी. मैंने मां के कानों में कहा. “अम्मा, मैं तुझे बहुत प्यार करता हूं, अब तुझे चोदना चाहता हूं.”
अम्मा ने अपनी टांगें पसार दीं. यह उनकी मूक सहमति थी. साथ ही उसने मेरा लंड हाथ में लेकर सुपाड़ा खुद ही अपनी चूत के मुंह पर जमा दिया.
उनका मुंह चूसते हुए और उनकी काली मदभरी आंखों में झांकते हुए मैंने लंड पेलना शुरू किया. मेरा लंड काफ़ी मोटा और तगड़ा था इसलिये धीरे धीरे अंदर गया. उनकी चूत किसी गुलाब के फ़ूल की पंखुड़ियों जैसी चौड़ी होकर मेरा लंड अंदर लेने लगी.
अम्मा अब इतनी कामातुर हो गई थी कि उससे यह धीमी गति का शिश्न प्रवेश सहन नहीं हुआ और मचल कर सहसा उसने अपने चूतड़ उछाल कर एक धक्का दिया और मेरा लंड जड़ तक अपनी चूत ले लिया.
मां की चूत बड़ी टाइट थी. मुझे अचरज हुआ कि 2 बच्चों के बाद भी मेरी जननी की चूत इतनी संकरी कैसे है.
उनकी चूत की शक्तिशाली पेशियों ने मेरे शिश्न को घूंसे जैसा पकड़ रखा था. मैंने लंड आधा बाहर निकाला और फ़िर पूरा अंदर पेल दिया.
गीली तपी उस चूत में लंड ऐसा मस्त सरक रहा था जैसे उसमें मक्खन लगा हो.
इसके बाद मैं पूरे जोर से मां को चोदने में लग गया. (maa ki xxx)
मैं इतना उत्तेजित था कि जितना कभी जिंदगी में नहीं हुआ. मेरे तन कर खड़े लंड में बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी और मैं उनका मजा लेता हुआ अम्मा को ऐसे हचक हचक कर चोद रहा था कि हर धक्के से उनका शरीर हिल जाता. मां की चूत के रस में सराबोर मेरा शिश्न बहुत आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.
हम दोनों मदहोश होकर ऐसे चोद रहे थे जैसे हमें इसी काम एक लिये बनाया गया हो.
मां ने मेरी पीठ को अपनी बांहों में कस रखा था और मेरे हर धक्के पर वह नीचे से अपने चूतड़ो उछाल कर धक्का लगा रही थी.
हर बार जब मैं अपना लंड अम्मा की चूत में घुसाता तो वह उनके गर्भाशय के मुंह पर पहुंच जाता, उस मुलायम अंदर के मुंह का स्पर्श मुझे अपने सुपाड़े पर साफ़ महसूस होता.
अम्मा अब जोर जोर से सांसें लेते हुए झड़ने के करीब थी. जानवरों की तरह हमने पंद्रह मिनट जोरदार संभोग किया. फ़िर एकाएक मां का शरीर जकड़ गया और वह कांपने लगी.
मां के इस तीव्र झड़ने के कारण उनकी चूत मेरे लंड को अब पकड़ने छोड़ने लगी और उसी समय मैं भी कसमसा कर झड़ गया.
इतना माल मेरे लंड ने उनकी चूत में उगला कि वह बाहर निकल कर बहने लगा. काफ़ी देर हम एक दूसरे को चूमते हुए उस स्वर्गिक आनंद को भोगते हुए वैसे ही लिपटे पड़े रहे.
मां के मीठे चुंबनों से और मेरी छाती पर दबे उनके कोमल उरोजों और उनके बीच के कड़े निपलों की चुभन से अब भी चूत में घुसा हुआ मेरा शिश्न फ़िर धीरे धीरे खड़ा हो गया.
जल्द ही हमारा संभोग फ़िर शुरू हो गया. इस बार हमने मजे ले लेकर बहुत देर कामक्रीड़ा की. मां को मैंने बहुत प्यार से हौले हौले उनके चुंबन लेते हुए करीब आधे घंटे तक चोदा.
हम दोनों एक साथ झड़ गए. (maa ki xxx)
अम्मा की आंखों में एक पूर्ण तृप्ति के भाव थे. मुझे प्यार करती हुई वह बोली. “शिवम्, तेरा बहुत बड़ा है बेटे, बिलकुल मुझे पूरा भर दिया तूने.”
मैं बहुत खुश था और गर्व महसूस कर रहा था कि पहले ही चुदाई में मैंने अम्मा को वह सुख दिया जो आज तक कोई उन्हें नहीं दे पाया था.
मैं भरे स्वर में बोला. “यह इसलिये मां कि मैं तुझपर मरता हूं और बहुत प्यार करता हूं.”
मां सिहर कर बोली. “इतना आनंद मुझे कभी नहीं आया. मैं तो भूल ही गई थी कि झड़ना किसे कहते हैं” मैं मां को लिपटा रहा और हम प्यार से एक दूसरे के बदन सहलाते हुए चूमते रहे.
आखिर मां मुझे अलग करते हुए बोली “शिवम्, मेरे राजा, मेरे लाल, अब मैं जाती हूं. हमें सावधान रहना चाहिये, किसी को शक न हो जाये.”
उठ कर उन्होंने अपना बदन पोंछा और कपड़े पहनने लगी. मैंने उससे धीमे स्वर में पूछा. “अम्मा, मैं तुम्हारा पेटीकोट रख लूं? अपनी पहली रात की निशानी?”
वह मुस्करा कर बोली. “रख ले राजा, पर छुपा कर रखना.” उन्होंने साड़ी पहनी और मुझे एक आखरी चुंबन देकर बाहर चली गई.
मैं जल्द ही सो गया, सोते समय मैंने अपनी मां का पेटीकोट अपने तकिये पर रखा था. उसमें से आ रही मां के बदन और उनके रस की खुशबू सूंघते हुए कब मेरी आंख लग गयी, पता ही नहीं चला.
अगले दिन नाश्ते पर जब सब इकट्ठा हुए तो मां चुप थी, मुझसे बिलकुल नहीं बोली. मुझे लगा कि लो, हो गई नाराज, कल शायद मुझसे ज्यादती हो गई.
जब मैं काम पर जा रहा था तो अम्मा मेरे कमरे में आयी. “बात करना है तुझसे” गम्भीर स्वर में वह बोली.
“क्या बात है अम्मा? क्या हुआ? मैंने कुछ गलती की?” मैंने डरते हुए पूछा. (maa ki xxx)
“नहीं बेटे” वह बोली “पर कल रात जो हुआ, वह अब कभी नहीं होना चाहिये.” मैंने कुछ कहने के लिये मुंह खोला तो उसने मुझे चुप कर दिया.
“कल की रात मेरे लिये बहुत मतवाली थी शिवम् और हमेशा याद रहेगी. पर यह मत भूलो कि मैं शादी शुदा हूं और तेरी मां हूं. यह संबंध गलत है.”
मैंने तुरंत इसका विरोध किया. “अम्मा, रुको.” उनकी ओर बढ़कर उन्हें बांहों में भरते हुए मैं बोला.
“तुम्हे मालूम है कि मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूं और यह भी जानता हूं कि तुम भी मुझे इतना ही चाहती हो. इस प्यार को ऐसी आसानी से नहीं समाप्त किया जा सकता.”
मैंने उनका चुंबन लेने की कोशिश की तो उसने अपना सिर हिलाकर नहीं कहते हुए मेरी बांहों से अपने आप को छुड़ा लिया.
मैंने पीछे से आवाज दी. “तू कुछ भी कह मां, मैं तो तुझे छोड़ने वाला नहीं हूं और ऐसा ही प्यार करता रहूंगा.” रोती हुई मां कमरे से चली गई.
इसके बाद हमारा संबंध टूट सा गया. मुझे साफ़ दिखता था कि वह बहुत दुखी है फ़िर भी उसने मेरी बात नहीं सुनी और मुझे टालती रही.
मैंने भी उनके पीछे लगना छोड़ दिया क्योंकि इससे उन्हें और दुख होता था.
मां अब मेरे लिये एक लड़की की तलाश करने लगी कि मेरी शादी कर दी जाये. (maa ki xxx)
उसने सब संबंधियों से पूछताछ शुरू कर दी. दिन भर अब वह बैठ कर आये हुए रिश्तों की कुंडलियां मुझसे मिलाया करती थी.
जबरदस्ती उसने मुझे कुछ लड़कियों से मिलवाया भी. मैं बहुत दुखी था कि मेरी मां ही मेरे उस प्यार को हमेशा के लिये खतम करने के लिये मुझपर शादी की जबरदस्ती कर रही है.
अखिर मैंने हार मान ली और एक लड़की पसंद कर ली.
वह कुछ कुछ मां जैसी ही दिखती थी. पर जब शादी की तारीख पक्की करने का समय आया तो मां में अचानक एक परिवर्तन आया.
वह बात बात में झल्लाती और मुझ पर बरस पड़ती. उनकी यह चिड़चिड़ाहट बढ़ती ही गई. मुझे लगा कि जैसे वह मेरी होने वाली पत्नी से बहुत जल रही है.
आखिर एक दिन अकेले में उसने मुझसे कहा. “शिवम्, बहुत दिन से पिक्चर नहीं देखी, चल इस रविवार को चलते हैं.” मुझे खुशी भी हुई और अचरज भी हुआ. “हां मां, जैसा तुम कहो.” मैंने कहा. मैं इतना उत्तेजित था कि बाकी दिन काटना मेरे लिये कठिन हो गया.
यही सोचता रहा कि मालूम नहीं अम्मा के मन में क्या है. शायद उसने सिर्फ़ मेरा दिल बहलाने को यह कहा हो.
रविवार को मां ने फ़िर ठीक वही शिफ़ान की सेक्सी साड़ी पहनी. खूब बनठन कर वह तैयार हुई थी. मैं भी उनका वह मादक रूप देखता रह गया.
कोई कह नहीं सकता था कि मेरे पास बैठ कर पिक्चर देखती वह सुंदरी मेरी मां है. पिक्चर के बाद हम उसी बगीचे में अपने प्रिय स्थान पर गये.
मैंने मां को बांहों में खींच लिया. मेरी खुशी का पारावार न रहा जब उसने कोई विरोध नहीं किया और चुपचाप मेरे आलिंगन में समा गई.
मैंने उनके चुंबन पर चुंबन लेना शुरू कर दिये. मेरे हाथ उनके पूरे बदन को सहला और दबा रहे थे. मां भी उत्तेजित थी और इस चूमाचाटी में पूरा सहयोग दे रही थी.
आखिर हम घर लौटे. आधी रात हो जाने से सन्नाटा था. (maa ki xxx)
मां बोली. “तू अपने कमरे में जा, मैं देख कर आती हूं कि तेरे बापू सो गये या नहीं.” मैंने अपने पूरे कपड़े निकाले और बिस्तर में लेट कर उनका इंतजार करने लगा.
5 मिनट बाद मां अंदर आई और दरवाजा अंदर से बंद करके दौड़ कर मेरी बांहों में आ समायी.
एक दूसरे के चुंबन लेते हुए हम बिस्तर में लेट गये. मैंने जल्दी अम्मा के कपड़े निकाले और उनके नग्न मोहक शरीर को प्यार करने लगा.
मैंने उनके अंग अंग को चूमा, एक इंच भी जगह कहीं नहीं छोड़ी. उनके मांसल चिकने चुड़तो पकड़कर मैं उनके गुप्तांग पर टूट पड़ा और मन भर कर उसमें से रिसते अमृत को पिया.
दो बार मां को स्खलित कर के उनके रस का मन भर कर पान करके आखिर मैंने उन्हें नीचे लिटाया और उसपर चढ़ बैठा.
अम्मा ने खुद ही अपनी टांगें फ़ैला कर मेरा लोहे जैसा कड़ा शिश्न अपनी चूत के भगोष्ठों में जमा लिया. (maa ki xxx)
मैंने बस जरा सा पेला और उस चिकनी कोमल चूत में मेरा लंड पूरा समा गया. मां को बांहों में भर कर अब मैं चोदने लगा.
अम्मा मेरे हर वार पर आनंद से सिसकती. हम एक दूसरे को पकड़ कर पलंग पर लोट पोट होते हुए मैथुन करते रहे.
कभी वह नीचे होती, कभी मैं. इस बार हमने संयम रख कर खूब जमकर बहुत देर कामक्रीड़ा की.
आखिर जब मैं और वह एक साथ झड़े तो उस स्खलन की मीठी तीव्रता इतनी थी कि मां रो पड़ी “ऒह शिवम् बेटे, मर गयी” वह बोली “तूने तो मुझे जीते जागते स्वर्ग पहुंचा दिया मेरे लाल.”
मैंने उन्हें कस कर पकड़ते हुए पूछा. “अम्मा, मेरी शादी के बारे में क्या तुमने इरादा बदल दिया है?”
“हां बेटा” वह मेरे गालों को चूमते हुए बोली.
“तुझे नहीं पता, यह महना कैसे गुजरा मेरे लिये. जैसे तेरी शादी की बात पक्की करने का दिन पास आता गया, मैं तो पागल सी हो गयी.
आखिर मुझसे नहीं रहा गया, मैं इतनी जलती थी तेरी होने वाली पत्नी से मुझे अहसास हो गया कि मैं तुझे बहुत प्यार करती हूं, सिर्फ़ बेटे की तरह नहीं, एक नारी की तरह जो अपने प्रेमी की दीवानी है.”
मैने भी उनके बालों का चुंबन लेते हुए कहा. “हां मां, मैं भी तुझे अपनी मां जैसे नहीं, एक अभिसारिका के रूप में प्यार करता हूं, मैं तुझसे अलग नहीं रह सकता.”
मां बोली. “मैं जानती हूं शिवम्, तेरी बांहों में नंगी होकर ही मैंने जाना कि प्यार क्या है. अब मैं साफ़ तुझे कहती हूं, मैं तेरी पत्नी बनकर जीना चाहती हूं, बोल, मुझसे शादी करेगा?”
मैं आनंद के कारण कुछ देर बोल भी नहीं पाया. (maa ki xxx)
फ़िर उन्हें बांहों में भींचते हुए बोला. “अम्मा, तूने तो मुझे संसार का सबसे खुश आदमी बना दिया, तू सिर्फ़ मेरी है, और किसीकी नहीं, तुम्हारा यह मादक खूबसूरत शरीर मेरा है, मैं चाहता हूं कि तुम नंगी होकर हमेशा मेरे आगोश में रहो और मैं तुम्हें भोगता रहूं.”
“ऒह मेरे बेटे, मैं भी यही चाहती हूं, पर तुमसे शादी करके मैं और कहीं जा कर रहना चाहती हूं जहां हमें कोई न पहचानता हो. तू बाहर दूर कहीं नौकरी ढूंढ ले या बिज़िनेस कर ले. मैं तेरी पत्नी बनकर तेरे साथ चलूंगी. यहां हमें बहुत सावधान रहना पड़ेगा शिवम्. पूरा आनंद हम नहीं उठा पायेंगे”
मां की बात सच थी. मैं उन्हें बोला. “हां अम्मा, तू सच कहती है, मैं कल से ही प्रयत्न शुरू कर देता हूं.”
हम फ़िर से संभोग के लिये उतावले हो गये थे.
मां मेरी गोद में थी और मैंने उनके खूबसूरत निपल, जो कड़े होकर काले अंगूर जैसे हो गये थे, उन्हें मुंह में लेकर चूसने लगा.
अम्मा ने मुझे नीचे बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा लंड अपनी चूत के मुंह पर रख कर नीचे होते हुए उन्हें पूरा अंदर ले लिया.
फ़िर वह झुककर मुझे चूमते हुए उछल उछल कर मुझे चोदने लगी. मैं भी उनके चूतड़ पकड़े हुए था. उनकी जीभ मेरी जीभ से खेलने लगी और सहसा वह मेरे मुंह में ही एक दबी चीख के साथ स्खलित हो गयी. (maa ki xxx)
अब मैं उन्हें पटक कर उस पर चढ़ बैठा और पूरे जोर के साथ उन्हें चोद डाला. झड़ने के बाद भी मैं अपना लंड उनकी चूत में घुसेड़े हुए उसपर पड़ा पड़ा उनके होंठों को चूमता रहा और उनके शरीर के साथ खेलता रहा. अम्मा अब तृप्त हो गई थी पर मेरा लंड फ़िर खड़ा होने लगा था.
मां ने हंस कर लाड़ से कहा “तू आदमी है या सांड?” और फ़िर झुककर मेरा शिश्न मुंह में लेकर चूसने लगी.
पहली बार मां के कोमल तपते मुंह को अपने लंड पर पाकर मैं ज्यादा देर नहीं रह पाया और उनके मुंह में ही झड़ गई. मां ने झड़ते शिश्न को मुंह से निकालने की जरा भी कोशिश नहीं की बल्कि पूरा माल पी गयी.
दूसरे ही दिन मैं एक सराफ़ के यहां से एक मंगल सूत्र ले आया.
सबसे छुपा कर रखा और साथ ही एक अच्छी रेशम की साड़ी भी ले आया.
मौका देखकर एक दिन हम पास के दूसरे शहर में शॉपिंग का बहाना बना कर गये. मां ने वही नयी साड़ी पहनी थी.
वहां एक छोटे मंदिर में जाकर मैंने पुजारी से कहा कि हमारी शादी कर दे.
पुजारी को कुछ गैर नहीं लगा क्योंकि अम्मा इतनी सुंदर और जवान लग रही थी कि किसी को यह विश्वास ही नहीं होता कि वह मेरी मां है.
मां शरमा कर मेरे सामने खड़ी थी जब मैंने हार उनके गले में डाला. फ़िर मैंने अपने नाम का मंगल सूत्र उन्हें पहना दिया. एक अच्छे होटल में खाना खाकर हम घर आ गये.
रात को सब सो जाने के बाद अम्मा वही साड़ी पहने मेरे कमरे में आयी. (maa ki xxx)
आज वह दुल्हन जैसी शरमा रही थी. मुझे लिपट कर बोली. “शिवम्, आज यह मेरे लिये बड़ी सुहानी रात है, ऐसा प्रेम कर बेटे कि मुझे हमेशा याद रहे. आखिर आज से मैं तेरी पत्नी भी हूं.”
मैंने उनके रूप को आंखें भर कर देखते हुए कहा.
“अम्मा, आज से मैं तुम्हें तुम्हारे नाम से बुलाना चाहता हूं, कमला. अकेले में मैं यही कहूंगा. सबके सामने मां कहूंगा.” मां ने लज्जा से लाल हुए अपने मुखड़े को डुलाकर स्वीकृति दे दी.
फ़िर मैं मां की आंखों में झांकता हुआ बोला. “कमला रानी, आज मैं तुम्हें इतना भोगूंगा कि जैसा एक पति को सुहागरात में करना चाहिये.
आज मैं तुम्हें अपने बच्चे की मां बना कर रहूंगा. तू फ़िकर मत कर, अगले माह तक हम दूसरी जगह चले जायेंगे.”
अम्म ने अपना सिर मेरी छाती में छुपाते हुए कहा. “ओह शिवम्, हर पत्नी की यही चाह होती है कि वह अपने पति से गर्भवती हो. आज मेरा ठीक बीच का दिन है. मेरी कोख तैयार है तेरे बीज के लिये मेरे राजा.”
उस रात मैंने अम्मा को मन भर कर भोगा. उनके कपड़े धीरे धीरे निकाले और उनके पल पल होते नग्न शरीर को मन भर कर देखा और प्यार किया. पहले घंटे भर उनके चूत के रस का पान किया और फ़िर उस पर चढ़ बैठा.
उस रात मां को मैंने चार बार चोदा. एक क्षण भी अपना लंड उनकी चूत से बाहर नहीं निकाला. सोने में हमें सुबह के तीन बज गये. इतना माल मैंने उनके गर्भ में छोड़ा कि उनका गर्भवती होना तय था.
उनके बाद मैं इसी ताक में रहता कि कब घर में कोई न हो और मैं अम्मा पर चढ़ जाऊं. मां भी हमेशा संभोग की उत्सुक रहती थी.
पहल हमेशा वही करती थी. वह इतनी उत्तेजित रहती थी कि जब भी मैं उनका पेटीकोट उतारता, उनकी चूत को गीला पाता. जब उसने एक दिन चुदते हुए मुझे थोड़ी लजा कर यह बताया कि सिर्फ़ मेरी याद से ही उनकी चूत में से पानी टपकने लगता था, मुझे अपनी जवानी पर बड़ा गर्व महसूस हुआ.
कभी कभी हम ऐसे गरमा जाते कि सावधानी भी ताक पर रख देते. (maa ki xxx)
एक दिन जब सब नीचे बैठ कर गप्पें मार रहे थे, मैंने देखा कि अम्मा ऊपर वाले बाथरूम में गयी. मैं भी चुपचाप पीछे हो लिया और दरवाजा खोल कर अंदर चला गया.
मां सिटकनी लगाना भूल गयी थी. मैं जब अंदर गया तो वह पॉट पर बैठकर मूत रही थी. मुझे देखकर उनकी काली आंखें आश्चर्य से फ़ैल गईं.
उनके कुछ कहने के पहले ही मैंने उन्हें उठाया, घुमा कर उन्हें झुकने को कहा और साड़ी व पेटीकोट ऊपर करके पीछे से उनकी चूत में लंड डाल दिया.
“बेटे कोई आ जायेगा” वह कहती रह गयी पर मैंने उनकी एक न सुनी और वैसे ही पीछे से उन्हें चोदने लगा.
पांच मिनट में मैं ही झड़ गया पर वे इतने मीठे पांच मिनट थे कि घंटे भर के संभोग के बराबर थे.
मेरे शक्तिशाली धक्कों से उनका झुका शरीर हिल जाता और उनका लटकता मंगलसूत्र पेंडुलम जैसा हिलने लगता.
झड़ कर मैंने उनके पेटीकोट से ही माल साफ़ किया और हम बाहर आ गये. मां पेटीकोट बदलना चाहता थी पर मैंने मना कर दिया.
दिन भर मुझे इस विचार से बहुत उत्तेजना हुई कि मां के पेटीकोट पर मेरा माल लगा है और उनकी चूत से भी मेरा माल टपक रहा है.
हमारा संभोग इसी तरह चलता रहा. एक बार दो दिन तक हमें मैथुन का मौका नहीं मिला तो उस रात वासना से व्याकुल होकर आखिर मैं मां और बापू के कमरे में धीरे से गया.
बापू नशे में धुत सो रहे थे और मां भी वहीं बाजू में सो रही थी. (maa ki xxx)
सोते समय उनकी साड़ी उनके वक्षस्थल से हट गयी थी और उनके उन्नत उरोजों का पूरा उभार दिख रहा था.
सांस के साथ वे ऊपर नीचे हो रहे थे. मैं तो मानों प्यार और चाहत से पागल हो गया. मां को नींद में से उठाया और जब वह घबरा कर उठी तो उन्हें चुप रहने का इशारा कर के अपने कमरे में आने को कह कर मैं वापस आ गया.
दो मिनत बाद ही वह मेरे कमरे में थी. मैं उनके कपड़े उतारने लगा और वह बेचारी तंग हो कर मुझे डांटने लगी. “शिवम्, मैं जानती हूं कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं और जब भी तुम बुलाओ, आना मेरा कर्तव्य है, पर ऐसी जोखिम मत उठा बेटे, किसी ने देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगा.”
मैंने अपने मुंह से उनका मुंह बंद कर दिया और साड़ी उतारना छोड़ सिर्फ़ उन्हें ऊपर कर के उनके सामने बैठ कर उनकी चूत चूसने लगा.
क्षण भर में उनका गुस्सा उतर गया और वह मेरे सिर को अपनी जांघों में जकड़ कर कराहते हुए अपनी चूत में घुसी मेरी जीभ का आनंद उठाने लगी.
इसके बाद मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटा कर उन्हें चोद डाला. (maa ki xxx)
मन भर कर चुदने के बाद मां जब अपने कमरे में वापस जा रही थी तो बहुत खुश थी. मुझे बोली. “शिवम्, जब भी तू चाहे, ऐसे ही बुला लिया कर. मैं आ जाऊंगी.”
अगली रात को तो मां खुले आम अपना तकिया लेकर मेरे कमरे में आ गयी.
मैंने पूछा तो हंसते हुए उसने बताया “शिवम्, तेरे बापू को मैंने आज बता दिया कि उनकी शराब की दुर्गंध की वजह से मुझे नींद नहीं आती इसलिये आज से मैं तुम्हारे कमरे में सोया करूंगी.
उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इसलिये मेरे राजा, मेरे लाल, आज से मैं खुले आम तेरे पास सो सकती हूं.”
मैंने उन्हें भींच कर उसपर चुंबनों की बरसात करते उए कहा. “सच अम्मा?
आज से तो फ़िर हम बिलकुल पति पत्नी जैसे एक साथ सो सकेंगे.” उस रात के मैथुन में कुछ और ही मधुरता थी क्योंकि मां को उठ कर वापस जाने की जरूरत नहीं थी और मन भर कर आपस में भोगने के बाद हम एक दूसरे की बांहों में ही सो गये.
अब सुबह उठ कर मैं मां को चोद लेता था और फ़िर ही वह उठ कर नीचे जाती थी.
कुछ ही दिन बाद एक रात संभोग के बाद जब मां मेरी बांहों में लिपटी पड़ी थी तब उसने शरमाते हुए मुझे बताया कि वह गर्भवती है.
मैं खुशी से उछल पड़ा. आज मां का रूप कुछ और ही था. लाज से गुलाबी हुए चेहरे पर एक निखार सा आ गया था. (maa ki xxx)
मुझे खुशी के साथ कुछ चिंता ही हुई. दूर कहीं जाकर घर बसाना अब जरूरी था. साथ ही बापू और भाई बहन के पालन का भी इंतजाम करना था.
शायद कामदेव की ही मुझपर कृपा हो गयी. एक यह कि अचानक बापू एक केस जीत गये जो तीस साल से चल रहा था.
इतनी बड़ी प्रापर्टी आखिर हमारे नाम हो गयी. आधी बेचकर मैंने बैंक में रख दी कि सिर्फ़ ब्याज से ही घर आराम से चलता.
साथ ही घर की देख भाल को एक विधवा बुआ को बुला लिया. इस तरफ़ से अब मैं निश्चिंत था.
दूसरे यह कि मुझे अचानक आसाम में दूर पर एक नौकरी मिली. मैंने झट से अपना और मां का टिकट निकाला और जाने की तारीख तय कर ली.
मां ने भी सभी को बता दिया कि वह नहीं सह सकती कि उनका बड़ा बेटा इतनी दूर जाकर अकेला रहे.
यहां तो बुआ थी हीं सबकी देखभाल करने के लिये. इस सब बीच मां का रूप दिन-ब-दिन निखर रहा था. खास कर इस भावना से उनके पेट में उसी के बेटे का बीज पल रहा है, मां बहुत भाव विभोर थी.
हम आखिर आकर नई जगह बस गये. (maa ki xxx)
यहां मैंने सभी को यही बताया कि मैं अपनी पत्नी के साथ हूं. हमारा संभोग तो अब ऐसा बढ़ा कि रुकता ही नहीं था.
सुबह उठ कर, फ़िर काम पर जाने से पहले, दोपहर में खाने पर घर आने के बाद, शाम को लौटकर और फ़िर रात को जब मौका मिले, मैं बस अम्मा से लिपटा रहता था, उस पर चढ़ा रहता था.
मां की वासना भी शांत ही नहीं होती थी. कुछ माह हमने बहुत मजे लिये. फ़िर आठवें माह से मैंने उन्हें चोदना बंद कर दिया. मैं उनकी चूत चूस कर उन्हें झड़ा देता था और वह भी मेरा लंड चूस देती थी. घरवालों को मैंने अपना पता नहीं दिया था, बस कभी कभी फ़ोन पर बात कर लेता था.
आखिर एक दिन मां को अस्पताल में भरती किया. दूसरे ही दिन चांद सी गुड़िया को उसने जन्म दिया. मां तो खुशी से रो रही थी, अपने ही बेटे की बेटी उसने अपनी कोख से जनी थी. वह बच्ची मेरी बेटी भी थी और बहन भी. मां ने उनका नाम मेरे नाम पर शिवम्ी रखा.
इस बात को बहुत दिन बीत गये हैं. अब तो हम मानों स्वर्ग में हैं. मां के प्रति मेरे प्यार और वासना में जरा भी कमी नहीं हुए है, बल्कि और बढ़ गई है.
एक उदाहरण यह है कि हमारी बच्ची अब एक साल की हो गयी है और अब मां का दूध नहीं पीती. पर मैं पीता हूं. मां के गर्भवती होने का यह सबसे बड़ा लाभ मुझे हुआ है कि अब मैं अपनी मां का दूध पी सकता हूं.
इसकी शुरुवात मां ने शिवम् छह माह की होने के बाद ही की. (maa ki xxx)
एक दिन जब वह मुझे लिटा कर ऊपर चढ़ कर चोद रही थी तो झुककर उसने अपना निपल मेरे मुंह में देकर मुझे दूध पिलाना शुरू कर दिया था.
उस मीठे अमृत को पाकर मैं बहुत खुश था पर फ़िर भी मां को पूछ बैठा कि बच्ची को तो कम नहीं पड़ेगा.
वह बोली. “नहीं मेरे लाल, वह अब धीरे धीरे यह छोड़ देगी. पर जब तूने पहली बार मेरे निपल चूसे थे तो मैं यही सोच रही थी कि काश, मेरे इस जवान मस्त बेटे को फ़िर से पिलाने को मेरे चुचो में दूध होता. आज वह इच्छा पूरी हो गयी.”
मां ने बताया कि अब दो तीन साल भी उनके चुचो से दूध आता रहेगा बशर्ते मैं उन्हें लगातार पिऊं.
अंधे को चाहिये क्या, दो आंखें, मैं तो दिन में तीन चार बार अम्मा का दूध पी लेता हूं. खास कर उन्हें चोदते हुए पीना तो मुझे बहुत अच्छा लगता है.
मैंने मां को यही कहा है कि जब मैं घर में होऊं, वह नग्न रहा करे. उसने खुशी से यह मान लिया है.
घर का काम वह नग्नावस्था में ही करती रहती है. जब वह किचन में प्लेटफ़ार्म के सामने खड़ी होकर खाना बनाती है, तब मुझे उनके पीछे खड़ा होकर उनके चुचे दबाना बहुत अच्छा लगता है.
उस समय मैं अपना लंड भी उनके चूतड़ों के बीच के गहरी लकीर में सटा देता हूं. (maa ki xxx)
मां को भी यह बहुत अच्छा लगता है और कभी कभी तो वह मुझे ऐसे में अपने गुदा में शिश्न डालने की भी सहमति दे देती है.
हां, मां से अब मैं कई बार अप्राकृतिक मैथुन याने गुदा मैथुन करता हूं, उनकी गांड मारता हूं. उन्हें यह हमेशा करना अच्छा नहीं लगता पर कभी कभी जब वह मूड में हो तो ऐसा करने देती है. खास कर अपने माहवारी के दिनों में.
इसकी शुरुवात भी ऐसे ही हुई. मां जब रजस्वला होती थी तो हमारा मैथुन रुक जाता था.
वह तो उन दिनों में अपने आप पर संयम रखती थी पर मेरा लंड चूस कर मेरी तृप्ति कर देती थी. मुझे उन्हें जोर जोर से चढ़ कर चोदने की आदत पड़ गई था इसलिये ऐसे में मेरा पूर्ण स्खलन नहीं हो पाता था. (maa ki xxx)
एक दिन जब वह ऐसे ही मेरा लंड चूस रही था तब मैं उनके नितंब उनकी साड़ी में हाथ डाल कर सहला रहा था.
उसने पैड बांधा था इसलिये पैंटी पहने थी. मेरे हाथों के उनके नितंब सहलाने से उसने पहचान लिया कि मैं क्या सोच रहा हूं.
फ़िर जब मैंने उंगली पैंटी के ऊपर से ही उनके गुदा में डालने लगा तब लंड चूसना छोड़ कर वह उठी और अंदर से कोल्ड क्रीम की शीशी ले आयी. एक कैंची भी लाई.
फ़िर मुस्करा कर लाड़ से मेरा चुंबन लेते हुए पलंग पर ओंधी लेट गयी और बोली. “शिवम्, मैं जानती हूं तू कितना भूखा है दो दिन से. ले , मेरे पीछे के छेद से तेरी भूख कुछ मिटती हो तो उसमें मैथुन कर ले.”
मैंने मां के कहे अनुसार पैंटी के बीच धीरे से छेद काटा और फ़िर उसमें से मां के गुदा में क्रीम लगाकर अपना मचलता लंड धीरे धीरे अंदर उतार दिया.
अम्मा को काफ़ी दुखा होगा पर मेरे आनंद के लिये वह एक दो बार सीत्कारने के सिवाय कुछ न बोली.
मां के उस नरम सकरे गुदा के छेद को चोदते हुए मुझे उस दिन जो आनंद मिला वह मैं बता नहीं सकता. (maa ki xxx)
उनके बाद यह हमेशा की बात हो गयी. माहवारी के उन तीन चार दिनों में रोज एक बार मां मुझे अपनी गांड मारने देती थी.
महने के बाकी स्वस्थ दिनों में वह इससे नाखुश रहती थी क्योंकि उन्हें दुखता था.
पर मैंने धीरे धीरे उन्हें मना लिया. एक दो बार जब उसने सादे दिनों में मुझे गुदा मैथुन करने दिया तो उनके बाद मैंने उनकी चूत को इतने प्यार से चूसा और जीभ से चोदा कि वह तृप्ति से रो पड़ी.
ऐसा एक दो बार होने पर अब वह हफ़्ते में दो तीन बार खुशी खुशी मुझसे गांड मरवा लेती है क्योंकि उनके बाद मैं उनकी बुर घंटों चूस कर उन्हें इतना सुख देता हूं कि वह निहाल हो जाती है.
और इसीलिये खाना बनाते समय जब मैं पीछे खड़ा होकर उनके चुचे दबाता हूं (maa ki xxx)
तो कभी कभी मस्ती में आकर अपना शिश्न उनके गुदा में डाल देता हूं और जब तक वह रोटी बनाये, खड़े खड़े ही उनकी गांड मार लेता हूं.
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